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बगावत कर बागी बिगाड़ सकते हैं चुनावी जीत का समीकरण

बगावत कर बागी बिगाड़ सकते हैं चुनावी जीत का समीकरण 

विधानसभा चुनाव में डिंडौरी जिले की दो विधानसभा सीट डिंडौरी और शहपुरा में यदि बागियों ने बगावत का रूख अपनाया तो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के लिये परेशानी का सबब तो बन ही सकते है वहीं जीत का गणित भी बिगाड़ सकते है इसको देखते हुये नामांकन फार्म के अंतिम दिन और आज जांच के उपरांत मैदान में बचे बागी उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिये मनाने समझाने का दौर भी शुरू हो जायेगा और 14 नवंबर को नामांकन वापसी के बाद यदि बागियों ने नाम वापस नहीं लिया तो चुनावी मैदान वे अधिकृत उम्मीदवारों के जीत के समीकरण को बिगाड़ने में अपनी भूमिका निभाने में कोई कसर


डिण्डौरी। गोंडवाना समय। नामांकन फार्म भरने की अंतिम तारिख निकलने के बाद अब राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों की नजर उन पर टिकी हुई है जिन्होंने पार्टी से बगाबत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फार्म भरा हुआ है उन्हें मनाने थपाने समझाने का दौर शुरू हो चुका है ताकि वे अपना नामांकन वापस ले सके । डिण्डौरी जिले की दोनो विधानसभा सीटों पर बागी उम्मीदवारों तथा बागी कार्यकतार्ओं के द्वारा अपने अपने स्तरों पर जनसंपर्क कर उनके अपने ही संगठन के साथ साथ अधिकृत उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बन कर खड़े हो गए है । ऐसे में संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों के द्वारा नजर रखी जा रही है, अक्सर यह देखा गया है, कि एक ही दल के द्वारा अपने सभी प्रत्याशियों के निश्चित समय और तिथि पर नामांकन सभी पदाधिकारियों की उपस्थिति में भरा जाता रहा है । डिण्डौरी से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी ओमकार सिंह मरकाम के नामांकन फार्म भरते समय स्थानीय नेता पदाधिकारी दिखाई नदारत थे जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि कहीं न कहीं बगावत और चुनावी परिणाम को प्रभावित करने की खिचड़ी पक रही है अब यह खिचड़ी बागियों की पकते तक रह पाती है या अधपक्की ही रह जायेगी यह नामांकन वापसी के दिन सामने आ जायेगा। अब हम बात करे शहपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी भूपेन्द्र सिंह मरावी को पार्टी की टिकिट मिलते ही रूपा उरेती एंव कृष्णा उरेती के द्वारा विरोध दर्ज कराया गया और पार्टी से त्याग पत्र भी देने की खबर पूरे जिले में चर्चा बन गई थी और यही चर्चाओं को राजनीतिक गलियारों में लोगों ने कांग्रेस के लिए बड़ा झटका लगना बताया था । जब गोंडवाना समय संवाददाता द्वारा शहपुरा कांग्रेस प्रत्याशी के संबंध में कुछ कार्यकतार्ओं से बातचीत की गई तो उन्होने बताया कि पार्टी पूर्व की अपेक्षा मजबूत हुई है और जो भी नाराज कार्यकर्ता है उनको जल्द ही मना लिया जायेगा इसके लिये पार्टी स्तर पर हमारे द्वारा एवं पार्टी वरिष्ठ पदाधिकारियों के द्वारा निरंतर प्रयास जारी है । इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि युवा एवं बुजुर्ग कार्यकतार्ओं के द्वारा लगातार क्षेत्र में सघन जनसंपर्क किया जा रहा है। इसी तरह डिंडौरी जिले में भाजपा के उम्मीदवार ओम प्रकाश धुर्वे के द्वारा भी लगातार सघन जनसंपर्क किया जा रहा है लेकिन भाजपा में भी उम्मीदवार बनने के लिये टिकिट की दौड़ में दावेदारी करने वाले लोगों में कहीं न कहीं निराशा तो देखने को मिल ही रही है इस मामले में उम्मीदवारों के दावेदारों के समर्थकों का कहना है कि इस बार क्षेत्रीय प्रत्याशी को शीर्ष नेतृत्व टिकिट देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और शहपुरा विधानसभा में पूर्व में भी विधानसभा से बाहर के प्रत्याशी को भाजपा ने उतार कर विजय हासिल प्राप्त किया था । अनुप सिंह मरावी कुण्डम जिला जबलपुर इसके जीते जागते उदाहरण है, शहपुरा के मतदाताओं ने अनेकों बार बाहरी प्रत्याशी को ही अपना मत दिया है लेकिन राजनीति के इस दौर में विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का मन कब और कहां किसकी ओर पलट जाये कुछ कहा जा नहीं सकता है । शहपुरा विधानसभा में वर्तमान में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति नजर आ रही है परंतु नाम वापसी के बाद ही कुछ तस्वीर साफ हो सकती है।

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