टसल में चुनाव, लगा रहे दांव-पेंच, खर्चा ज्यादा, चेहरे में सिकन
शुरूआती दौर पर जीत-हार का दावा करने वाले प्रत्याशी अब चुप
सिवनी। गोंडवाना समय।जिले की चारों विधानसभा में जनता जनार्दन ने बड़ी-बड़ी लीड से जीत का दावा करने वाले कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों के चुनाव को टसल में ला दिया है। प्रत्याशी दांव-पेंच लगा रहे हैं। खर्चा भी चोरी-छिपे जमकर खर्च कर रहे पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है लेकिन जनता का मूड समझ नहीं पा रहे हैं। जनता कभी कांग्रेस के खेमे में नजर आ रही है तो वहीं जनता भाजपा प्रत्याशी के साथ भीड़ में देखी जा रही है। अबकी पारी हमारी बारी का राग अलापने वाले को जनता खुद ही बता रही है अब हमारी बारी है। भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को गांव-गांव और शहरों की गलियों में पहुंचने के बाद जनता व मतदाताओं के द्वार पर पहुंचकर चरण वंदन करने के बाद जब आशीवार्द देने के पहले पूछ रहे सवाल तो जवाब देने में पसीना छूट रहा है और घूम घूम कर चेहरे का रंग भी उड़ा हुआ है । ग्रामीण जनता क्षेत्रों में नहीं हुये कार्य और अपनी अपनी समस्याओं को लेकर जवाब तलब कर रही है तो वहीं मतदाता अपने मत का अधिकार इस बता देने की बात कर रहे है । जिससे भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवारों में चिंता की लकीरे खड़ी हो रही है क्योंकि पहले कांग्रेस के राज को जनता व मतदाता भूला नहीं तो है तो वहीं भाजपा के 15 वर्ष के शासनकाल में की गई अनदेखी को लेकर नये नये सवाल कर रहे है जिनका जवाब उम्मीदवार सटीक नहीं दे पा रहे है जिससे उनमें मानसिक तनाव तो बढ़ ही रहा है साथ ही हार जीत की चिंता भी सता रही है।
केवलारी में र के बीच तकरार कौन जीतेगा-किसकी होगी हार
केवलारी में र राशि वालों के बीच में तकरार है अर्थात कांग्रेस से रजनीश सिंह ठाकुर, भाजपा से राकेश सिंह पाल, गोंगपा से राजेन्द्र राय के बीच में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है । र नाम राशियों के बीच में तकरार ही नहीं रार बढ़ती जा रही है । जैसे जैसे चुनाव प्रचार समाप्त होने की तारिख करीब आ रही है तो मतदान की दिनांक के पास आते आते चुनाव प्रचार प्रसार उम्मीदवारों के द्वारा बढ़ा दिया गया है ।केवलारी विधानसभा में ओवर कॉन्फीडेंस कहें या अति उत्साह में कोई उम्मीदवार 28 वर्ष का राजपाठ समाप्त करने की बात दमखम से कर रहा है
तो वहीं 28 वाले उम्मीदवार पूरे भरोसे के साथ सीना ठोंक कर रहे है कि 33 वर्ष के बाद भी अपना ही राजपाठ रहेगा इनके बीच में कुछ ऐसे भी उम्मीदवार है
जो इनको चिंता में डाल रहे है जिनकी रैली, भीड़ और बढ़ती मतदाताआें की संख्या को देखकर अंचभित है कि कहीं हमारा दावा, विश्वास, अति उत्साह कहीं खोखला न पड़ जाये । अब चुनाव पूरा टसल में आ चुका है और केवलारी क्षेत्र में इस बार दबंगई दिखाने की नौबत तक आ सकती है क्योंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के उम्मीदवार इस बार पूरी ताकत, धन-दौलत सब कुछ झौंक रहे है पर परिणाम के किसके पक्ष में आयेगा इसका फैसला तो मतदाता ही करेंगे ।
सिवनी मोहन-मुनमुन की टक्कर
सिवनी विधानसभा में भले ही मोहन के पास धन बल कम है लेकिन लोग बताते है कि दिमाग चाणक्य की नीति जैसे चलता है और उन्होंने कांग्रेस की टिकिट लाकर इसे सिद्ध भी कर दिया है अब वे जीत को लेकर वही चाणक्य नीति के तहत चुनावी रणनीति बनाकर काम कर रहे हैहालांकि वे अपनी चाणक्य नीति से जनता व मतदाओं को कितना प्रभावित कर पाते है यह परिणाम ही बतायेगा अब बात करे दिनेश राय उर्फ मुनमुन की तो उन्हें ही भाजपा से सिवनी की टिकिट मिलेगी इसका अति विश्वास जिस तरह से उनके समर्थकों ने प्रचार प्रसार किया था वे ही समर्थक व कार्यकर्ताओं के द्वारा यह भी ओवर कॉनफीडेंस उन्हें दिला दिया है कि वे ही चुनाव जीत रहे है हालांकि जैसे चुनाव प्रचार की तारिख समाप्त होने को करीब आ रही है
वैसे वैसे दिनेश राय मुनमुन का प्रचार बढ़ते जा रहा है लेकिन चेहरे में सिकन सी नजर आ रही है अब सत्ताधारी दल से चुनाव लड़ने वाले दिनेश राय मुनमुन पर मतदाता कितना भरोसा जताता है यह तो परिणाम ही बतायेंगे इन सबके बीच में
सिवनी विधानसभा में गोंगपा का भी अपना एक अलग जनाधार है जो चुपचाप तो नजर आ रही है लेकिन अंदर ही अंदर मजबूती बना रही है जो भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवारों को तनाव ला रही है ।
बरघाट में नरेश को ताज या अर्जुन भेंदेंगे लक्ष्य
बरघाट विधानसभा आदिवासी आरक्षिता है यहां पर नरेश बरकड़े को टिकिट दो बार के विधायक कमल मर्सकोले की टिकिट काटकर दी गई है अब कमल की नाराजगी और कार्यकर्ताओं की आहत हुई भावना से कमल खिलेगा या नहीं या नरेश को ताज पहनने का अवसर मिलेगा या नहीं यह भी परिणाम बता देगा लेकिन चाटूकारों के बीच घिरे नरेश बरकड़े की विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो कई दिग्गज प्रचार प्रसार करने आ रहे है लेकिन नरेश के साथ मौजूद चाटूकारों के चेहरों को देखकर जनता उतनी संख्या में नहीं जुट पा रही है और न ही आने वाले दिग्गजों का प्रचार प्रसार कार्यकर्ताओं तक समय में नहीं पहुचा पा रहे है जिसको लेकर कार्यकर्ता पार्टी हाईकमान तक शिकवा शिकायत कर रहे हैवहीं अर्जुन सिंह काकोड़िया कम वोटो से हारने के बाद पार्टी ने दोबारा जीत की उम्मीद जताते हुये फिर कांग्रेस से उम्मीदवार तो बना दिया है लेकिन वे और उनके कार्यकर्ता जीत को लेकर अति उत्साह में है और हाथ खींचकर प्रचार प्रसार कर कटौती कर रहे है
वहीं बरघाट विधानसभा में गोंगपा से ऐसे उम्मीदवार मैदान में है जो धनबल में तो कम है लेकिन धरातल में ग्रामीण अंचल में समस्याओं का समाधान कराने के लिये सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने की पहचान रखते है अब ऐसे में मतदाता किस पर अपना विश्वास जताता है मतदान के बाद आने वाले परिणाम में स्पष्ट हो जायेगा परंतु उम्मीदवारों की धड़कने कम होने का नाम नहीं ले रही है ।
लखनादौन में त्रिकोणीय संघर्ष
मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा लखनादौन में भाजपा ने नया चेहरा को उतारा है तो कांग्रेस ने वर्तमान विधायक को दोबारा मौका दिया है वहीं गोंगपा का विशेष वर्चस्व वाली विधानभा में अपनी पूरी ताकत कार्यकर्ता झौंक रहे है ।लखनादौन विधानसभा में कांग्रेस विधायक योगेन्द्र सिंह बाबा अपनी माता जी के अच्छे कार्यकलापों व उनकी पहुंच पहचान के चलते राजनीति में सीधे विधायक बन गये लेकिन उनके पांच वर्ष के कार्यकाल को यदि देखा जाये तो जनता व मतदाता उन्हें चुनाव प्रचार प्रसार के पहले ढूढ़ रही थी हालांकि जीतने के बाद वे जिन जिन गांव में नहीं पहुंच नहीं पाये थे अब उन गाव में दर्शन देने जरूर जा रहे है और मतदाता भी उन्हें खरी खोटी सुना रहे है क्षेत्र में विकास न हो पाने को लेकर चुनाव का बहिष्कार किये जाने की बात यदि जनता कर रही है तो समझ लेना चाहिये कि विधायक ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में जरूर कहीं कसर छोड़ी है अब दोबारा विधायक की कुर्सी में बैठालने के लिये मतदाता योगेन्द्र सिंह बाबा पर कितना भरोसा जताते यह परिणाम स्वमेव स्पष्ट करेगा
वहीं भाजपा ने इस बार लखनादौन विधानसभा में नया चेहरा विजय उईके को मैदान में उतारा है उनके प्रचार के लिये स्वयं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को आना पड़ा। वहीं सूत्र बताते है कि सर्वे रिपोर्ट में मध्य प्रदेश की कमजोर स्थिति वाली 10 आदिवासी सीटों में लखनादौन भी शामिल है इसको लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पूरा संगठन इन सीटों पर अपना दिमाग लगा रहा है कि कैसे हम भाजपा के उम्मीदवार को जिताये हालांकि उनके साथ जो लोग है वे अपने क्षेत्र में सरपंच का चुनाव नहीं जिता पाये है वे विधायक बनाने के लिये मेहनत कर रहे है अब विजय को कितनी सफलता मिलती है यह परिणाम जाहिर कर देगा ।
इसी क्रम में लखनादौन विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी अपना दमखम लगा रही गांव गांव में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी अपने बल पर भाजपा कांग्रेस को टक्कर देने की तेयारी कर रही है गोंगपा ने पहली बार घंसौर ब्लॉक की वह मांग तो पूरी कर दी है कि आजादी के बाद से कोई भी राजनैतिक दल ने उम्मीदवार नहीं बनाया था लेकिन गोंगपा ने घंसौर ब्लॉक से ही इंदर सिंह उईके को मैदान में उतारा है हालांकि वे राजनैतिक रूप से कोई कार्यकर्ता या पदाधिकारी तो नहीं रहे है लेकिन शासकीय सेवा में रहते हुये समाज सेवा के क्षेत्र में काम किया है अब देखना यह है कि गोंगपा में इस बार पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपनी आपसी मनमुटाव को छोड़कर एकता के साथ काम कर पाते है या नहीं यह तो परिणाम आने पर स्पष्ट हो जायेगा कि गोंगपा का क्या जनाधार है।