कांग्रेस का वचन पत्र आदिवासियों के लिये जमीन पर कब तक खरा उतरेगा
पांचवी अनुसूची सहित अन्य वायदा कांग्रेस ने वचन पत्र में किया है
कम से कांग्रेस को आजादी के इतने वर्ष बाद आदिवासियों के संवैधानिक हक अधिकारों की याद आ ही गई है और वचन पत्र में टंकित कर अंकित भी कर दिया है । कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 में अपने वचन पत्र में संविधान की पांचवी व छटवी अनुसूची को लागू करने का वायदा कांग्रेस ने किया था । वचन पत्र का पेज नंबर 62 पर कांग्रेस ने भारत के संविधान में जो प्रावधान है । सभी वर्गों के आदिवासी को लेकर कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वायदा किया है । भारत के संविधान में 12 अनुसूचि है जिसमें 5 वी अनुसूची में आदिवासी सरकार, विशेषाधिकार संस्थायें होंगी । भारत राज्य सरकार की भूमिका कार्यपालिका तक होती है इसमें मुख्य भूमिका राष्ट्रपति व राज्यपाल निभाते है । गैर आदिवासी मुख्यमंत्री को भी आने के लिये अनुमति लेनी होगी यह नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है । पांचवी अनुसूची में चुनाव होते है लेकिन वहां पर सिर्फ आदिवासी ही जनप्रतिनिधि होंगे, प्रशासन में कलेक्टर एसपी कौन होगा इसके लिये भी अनुमति लेनी होगी । कांग्रेस अपने वचन पत्र के 62 वे पेज पर लिखित वायदों को पूरा कर पायेगी अर्थात पांचवी अनुसूची को लागू कर पायेगी । इसके साथ ही चाहे दिलीप सिंह भूरिया आयोग की रिपोर्ट हो या टीएमसी, पेशा कानून, भूरिया आयोग ने अनुशंसा की थी । दिलीप सिंह भ्ूारिया की अध्यक्षता में छटवी अनुसूचि लागू करने को लेकर थी । मध्य प्रदेश में जिन विकासखंडों की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी की है वहां पर लागू किये जाने का नियम है परंतु ईमानदारी से कोई भी कानून का पालन नहीं कर पाया है । जहां पर पेशा एक्ट लागू होता है वहां पर जल, जंगल, जमीन का मालिक आदिवासी होगा, खनिज भण्डारण का लाभ भी आदिवासी ही ले पायेंगे ।पेशा कानून में ग्राम सभाओं को मजबूत व ताकतवर बताया गया है वहां पर न सरकार और न ही शासन कुछ कर पायेगी । कांग्रेस ने जो वचन पत्र दिया है उसमें भी ग्राम सभाओं को मजबूती से लिखिता रूप में बताया है । अब यह देखना होगा कांग्रेस का वचन पत्र आदिवासी के लिये जमीन पर खरा कब तक उतारेगा यह बड़ा सवाल है ।
सिवनी। गोंडवाना समय।वर्ष 2003 की बात करें तो भाजपा ने कहा था कि सत्ता आप बदलों, व्यवस्था हम बदलेंगे और इस नारे को भाग्य विधाता मानकर प्रदेश की जनता ने भाजपा को सत्ता सिंहासन पर बैठाल दिया और आजादी के बाद से राजपाठ करती आ रही कांग्रेस को धरती दिखाकर धरातल पर पहुंचा दिया था । भाजपा ने 15 साल राजपाठ किया और सत्ता बदलने के बाद भी व्यवस्था बदलने में शायद फेल ही रही इसलिये जनता ने फिर वक्त है बदलाव का कांग्रेस के नारे पर भरोसा करके 112 पेज के वचन पत्र में किये गये वायदों पर विश्वास करते हुये मध्य प्रदेश की सत्ता सिंहासन पर बैठा दिया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ बने । जैसे ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लिया तो घण्टे भर में किसानों के कर्ज माफी के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया इसके साथ ही अन्य कुछ वायदों को भी पूरा करने के लिये कवायद करना प्रारंभ कर दिया ।
अब यदि हम कांग्रेस के वचन पत्र को पढ़े तो हम जैसे वचन पत्र के 62 वें पेज के बिंदु क्रमांक 25 में आदिम जाति न्याय एवं सशक्तिकरण/घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ के 25.1 पर यह लिखा हुआ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 244-1 के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन नियंत्रण एवं संरक्षण की व्यवस्था स्थापित करेंगे तथा आदिम जाति मंत्रणा परिषद की नियमित बैठकों का आयोजन करेंगे । इन बैठकों में लिये गये निर्णय का क्रियान्वयन करायेंगे । इसमें सभी वर्गों के आदिवासियों एवं महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहेगा । जिला स्तरीय आदिम जाति मंत्रणा परिषद का गठन करेंगे । इस परिषद की अध्यक्षता आदिम जाति समाज के चुने हुये जनप्रतिनिधियों द्वारा की जावेगी । इसके साथ ही 25.2 बिंदु पर लिखित है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पांचवी अनुसूची का पूर्ण क्रियान्वयन और 50 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले विकासखण्डों में छठी अनुसूची का भूरिया समिति के अनुरूप क्रियान्वयन करने की पहल करेंगे । इसके आगे कांग्रेस के वचन पत्र में 25.3 बिंदु पर अनुसूचित क्षेत्रो में पंचायत विस्तार अधिनियम 1966 को लागू करेंगे । इसके साथ ही 25.4 बिंदु पर लॉ-कमीशन के द्वारा कई कानूनों को समाप्त करने का कार्य किया जा रहा है । इस कमीशन में अनुसूचित जाति जनजाति, के कानूनों के संरक्षण के लिये इस वर्ग के प्रतिनिधि को भी रखने की अनुशंसा केंद्र को भेजेंगे । आगे हम बात करें 25.5 बिंदु की तो उसमें एकीकृत आदिवासी विकास परियोजनाओं का पुनर्गठन करेंगे । विशेष केंद्रीय सहायता के अंतर्गत प्राप्त राशि से कार्य परियोजनाओं से करायेंगे । आगे 25.6 बिंदु में यह लिखा है कि विशेष्ज्ञ पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया तथा सहरिया समाज के लोग जो अभिकरण के क्षेत्रों से बाहर रह रहे है, उनको अभिकरण के दायरे में लायेंगे । इनकों प्रतिमाह पोषण हेतु रूपये 1500 रूपये की राशि देंगे । आगे 25.7 बिंदु पर कोल, कोरकू तथा मवासी जनजाति भी अत्याधिक पिछड़ी है, इन जातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित कराने हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजेंगे । इसके साथ आगे 25.8 बिंदु पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सभी मानवाधिकार और उनके संरक्षण के लिये बने कानूनों को लागू करने के लिये कांग्रेस सरकार प्रतिबद्ध रहेगी । हम किसी भी वर्ग के प्रति भेदभाव के खिलाफ है । आगे हम बात करें 25.9 बिंदु पर म.प्र. आदिम जाति, जनजातियों का संरक्षण वृक्षों में हित अधिनियम 1999 के अंतर्गत बनाये गये प्रावधानों की भावना को गलत ढंग से प्रशासनिक अधिकारियों ने लिया है, जिसके हित संरक्षण की जगह आदिवासियों को परेशानी हुई हे इसमें परिवर्तन करेंगे । आगे हम 25.10 बिंदु की बात करें तो उसमें मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों की ऋणग्रस्तता के निवारण के लिये उपबंध करने का अधिनियम 1967 को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु नियम बनायेंगे ।