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भारत आदि महोत्सव से 40000 जनजातीय कारीगर हुये लाभान्वित

भारत आदि महोत्सव से 40000 जनजातीय कारीगर हुये लाभान्वित 

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। आदि महोत्सव आदिवासियों को आजीविका और अपनी आय बढ़ाने के अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। महोत्सव आदिवासी कारीगरों को अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने की सुविधा प्रदान करता है। जनजातीय मामलों का मंत्रालय और ट्राइफेड पूरे भारत के बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करता है। इन्हीं उद्देश्यों के साथ 2018 की दूसरी छमाही में इंदौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, दिल्ली और भोपाल में पांच आदि महोत्सव आयोजित किए गए। 2019 की पहली छमाही में 12 आदि महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। (विवरण अ नीचे के नक्शे में दिया गया है)इस वर्ष के आदि महोत्सव से 14,000 जनजातीय परिवारों तथा 40,000 जनजातीय कारीगरों को आजीविका के साधन उपलब्ध हुए है तथा उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है। इस वर्ष 18 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार दर्ज किया गया है। दिसंबर, 2018 में भोपाल तथा रणथम्भौर में दो आदि महोत्सव आयोजित किए गए थे जहां 69.07 लाख रुपये का कारोबार हुआ था। इसके अतिरिक्त ट्राइफेड ने नई दिल्ली, रायपुर, गुवाहाटी, जयपुर, उदयपुर, भुवनेश्वर, मुंबई, रांची, लखनऊ, मसूरी, देहरादून, वाराणसी, भोपाल, बैंगलोर, कन्याकुमारी, कोयम्बटूर, भिलाई, कोहिमा, काजीरंगा, कोटा, राउरकेला, रणथम्भौर, पुणे, प्रयागराज, पुड्डूचेरी, कोलकाता, चेन्नई और चंडीगढ़ में 28 प्रदर्शनियों का आयोजन किया था। इनमें  110.58 लाख रुपये मूल्य के उत्पादों की बिक्री हुई थी।

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