मी लार्ड क्या फॉरेस्ट एक्ट संविधान द्वारा प्रदत्त आर्टिकल 21 के ऊपर है ?
आदिवासियों को समुद्र में या गैस चेंबर में डाल दिया जायेगा
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।आदिवासी ही इस देश के असली मालिक है का फैसला सुप्रीम कोर्ट बतौर न्यायाधीश के पद पर रहते हुये निर्णय देने वाले जस्टिज मार्केण्य काटजू ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एनजीओ की याचिका पर वन अधिकार अधिनियम एवं जनजाति मामलो के मंत्रालय के द्वारा दिये गये अमान्य आवेदनों की संख्या के आधार पर देश से लगभग साढ़े तेरह लाख आदिवासियों को बेदखल करने का आदेश सरकार को दिया है
उक्त निर्णय के बाद पूर्व जस्टिस मार्केण्डय काटजू ने दु:ख जताते हुये कहा है कि कहा कि मी लॉर्ड, आर्टिकल 21 भूल गए हैं जिसके जरिए संविधान हमें जीने का अधिकार देता है। मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बेहद दुखी हूं जिसमें कहा गया है कि 17 राज्यों के जंगलों में रहने वाले 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों को जमीन खाली करके जाना होगा। मेरी अगुवाई में बनी बेंच द्वारा सुप्रीम कोर्ट (कैलाश वर्सेस स्टेट आॅफ महाराष्ट्र) का फैसला आया था। उसके मुताबिक, भारत प्रवासियों का देश है (जैसे कि नार्थ अमेरिका) यहाँ की 93 से 94% आबादी प्रवासियों की वंशज है। यहां पर मूलनिवासी तो द्रविड़ियन आदिवासी हैं (मसलन भील, गोंड, संथाल, टोडा जैसे आदिवासी) जिनका बेरहमी से कत्ल किया गया, जिनके साथ आक्रांता प्रवासियों ने बुरा बर्ताव किया और उन्हें जंगलों में रहने के लिए मजबूर कर दिया। ताकि वो अपना वजूद बचा सकें। और अब उन्हें जंगलों से भी भगाया जा रहा है। वह अब कहां जाएंगे ? क्या उन्हें अब समुद्र में फेंक दिया जाएगा ? या गैस चैंबर में डाल दिया जाएगा ? क्या फॉरेस्ट एक्ट संविधान द्वारा प्रदत्त आर्टिकल 21 के ऊपर है ?