छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने बढ़ाया जिले का गौरव
छात्रावास में संपन्न हुआ सम्मान समारोह
सिवनी। गोंडवाना समय।
शैक्षणिक क्षेत्र में उज्जवल भविष्य, उच्चतम जीवन जीने का सपना हर कोई देखता है लेकिन शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों के उज्ज्वल बनाने के लिये उजाला दिखाने का कार्य शिक्षक यानि गुरूजन ही करते है । वर्तमान तकनीकि आधुनिक युग के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा में भले ही शिक्षको के प्रति विद्यार्थियों को नजरिया बदलता जा रहा है इसमेंं युवा वर्ग सर्वाधिक प्रभावित हो रहा है । प्रतिस्पर्धा के समय तो भविष्य में क्या बनना है इसका चयन ही बहुत कठिन है विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिये सरकारी नौकरियों को पाना अत्याधिक मुश्किल सा लगता है लेकिन ईमानदारी, लगन, मेहनत, कठिन परीश्रम, पक्का इरादा के साथ जो विद्यार्थियों के शिक्षकों को अपना आदर्श मानकर उनके बताये हुये मार्गों पर चलकर अपने लक्ष्य के प्रति बढ़ता है तो वह सफल भी होता है अब चाहे सरकार नौकरी का पद कितना ही बड़ा क्यों न हो । हम बात कर रहे है अनुसूचित जाति छात्रावास में रहकर उत्कृष्ट विद्यालय में अध्यापन करते हुये सिवनी जिले के विजय डेहरिया डिप्टी कलेक्टर व अरूण मरावी परिवहन विभाग में प्रशासनिक पद में आयोजित परीक्षा में स्थान प्राप्त कर सिवनी जिले का मान सम्मान तो बढ़ाया ही है साथ में वह अन्य विद्यार्थियों के लिये प्रेरणास्त्रोत भी बन गये है ।
सम्मान समारोह में गुरूजनों ने रखे विचार

विजय डेहरिया व अरूण मरावी के द्वारा मेहनत व संघर्ष के साथ जो सफलता प्राप्त किया है उसके लिये निश्चित ही यह दोनों युवक साधुवाद के पात्र है। दोनो मेहनतकश विद्यार्थियों के सम्मान में बींझावाड़ा के छात्रावास में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । इस अवसर पर उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य आरपी बोरकर, जनजाति कार्य विभाग के एडी व्ही के बोरकर ने कहा कि अपने विद्यार्थी कार्यकाल में विजय डेहरिया एवं अरूण मरावी ने इसी छात्रावास में रहकर सच्ची लगन व मेहनत के साथ पढ़ाई किया और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। सम्मान समारोह में मौजूद विद्यार्थियों से कहा कि आप विजय डेहरिया व अरूण मरावी से आप प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। सम्मान समारोह के अवसर पर अवसर पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हॉयर सेकेण्डरी शाला के प्राचार्य ने कहा कि अगर शुरूआत अच्छी हो तो आधा काम वैसे ही पूरा हो जाता है। विजय डेहरिया और अरूण मरावी ने यहां रहकर शुरूआती दौर से ही लगन के साथ अध्यापन कार्य जारी रखा जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सफलता मिली है। अपने लक्ष्य को पाकर इन्होंने अपने माता-पिता, परिवार, समाज के साथ साथ गांव व जिन शिक्षण संस्थानों में अध्ययन करने का कार्य किया है उनकानाम गौरवांवित किया है। निश्चित ही आज उनके माता-पिता ऐसे पुत्र को पाकर धन्य हो गये और उनके गुरूजन भी गर्व महसूस कर रहे है ।
जीवन में कोशिश, कशिश व करिश्मा का महत्व
प्राप्त जानकारी के अनुसार सन 2007 में अनुसूचित जाति छात्रावास के अधीक्षक जीआर धुर्वे के मार्गदर्शन में अध्यापन कार्य प्रारंभ रखा और सुभाष ब्रम्हे तथा उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षक सुभाष चन्द्र सिंह के द्वारा उन्हें मार्गदर्शन दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। 2007 में उत्कृष्ट बालक शिक्षा केन्द्र के छात्र नायक भी रहे। कार्यक्रम के दौरान सुभाष चन्द्र सिंह ने कहा कि जिस तरह एक किसान को अपने हरे-भरे खेत को देखकर बाबा भारती को अपने घोड़े को देखकर आनंद की अनुभूति होती थी । इसी तरह आज मेरे पढ़ाये हुये इन बालकों को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने पर मुझे एवं सभी शिक्षकों को हो रही है। जीवन में तीन का महत्व है कोशिश, कशिश, करिश्मा का विशेष महत्व है किसी भी कार्य की कोशिश करने से इस तरह के करिश्में होते है। कार्यक्रम के दौरान संचालन अधीक्षक सुभाष ब्रम्हे द्वारा किया गया आयोजन में सीनियर उत्कृष्ट अधीक्षक एसके ब्रम्हे प्री-मैट्रिक अनुसूचित जाति एफएस शेरिया, जूनियर आर के अहिरवार, एससी महाविद्यालय जे उके, एस टी जी.आर. धुर्वे, इंग्लिस मीडियम सुनील चौरसिया एवं जी एस उके सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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