सबको समय पर न्याय मिलेगा तो लोकतंत्र होगा मजबूत-मुख्यमंत्री
प्रदेश में 3 दिसम्बर को मनाया जायेगा अधिवक्ता दिवस
जबलपुर में म.प्र. न्यायाधीश संघ के अधिवेशन का शुभारंभ
भोपाल। गोंडवाना समय।मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शनिवार को जबलपुर में मध्यप्रदेश न्यायाधीश संघ के अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए कहा कि लोकतंत्र की मजबूती का सबसे बड़ा आधार न्याय है। सबको समय पर न्याय मिलेगा, तो लोकतंत्र मजबूत होगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर तीन दिसम्बर को अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एस.के. सेठ की अध्यक्षता में शुरू हुए अधिवेशन में विशिष्ट अतिथि विधि एवं विधायी कार्य, जनसम्पर्क तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री पी.सी. शर्मा थे। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय मिलने से ही लोकतंत्र सुदृढ़ होता है। मध्यप्रदेश सरकार न्यायिक व्यवस्था को सभी आवश्यक संसाधन और सुविधाएँ उपलब्ध करवाने में पीछे नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री ने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को दुनिया के लिए आदर्श बताते हुए कहा कि विविधता से परिपूर्ण हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था ही हमारे लोकतंत्र को पोषित और संरक्षित कर रही है। उन्होंने कहा लोकतंत्र का अर्थ है स्वतंत्रता, समानता और न्याय। स्वतंत्रता और समानता की सीमाएँ हैं परन्तु न्याय असीमित है।
न्याय ही हमें स्वतंत्रता और समानता दिलाता है। हमें यह बात हमेशा ध्यान रखना होगी कि जब तक सबसे निर्धन और कमजोर तबके तक न्याय नहीं पहुँच जाता, तब तक न्याय का काम पूरा नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए न्यायिक संरचना को और अधिक सशक्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों को सुदृढ़ बनाया जाएगा। पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने में सरकार पूरा सहयोग करेगी। श्री नाथ ने कहा कि आज के दौर में न्यायपालिका को नए प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए आधुनिक रणनीति अपनानी होगी। उन्होंने उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ने की बात कही। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस एस.के. सेठ ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद मध्यप्रदेश में न्यायिक प्रतिबद्धता का स्तर सराहनीय है। उन्होंने मेडिको लीगल प्रकरण, मुकदमों एवं लम्बित मामलों की बढ़ती संख्या का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में नई भर्तियों, सुचारू संचालन के साथ-साथ आवश्यक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता से न्यायपालिका की दक्षता को बढ़ाया जा सकता है।
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