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प्रदेश हित और नागरिकों की सुविधाओं के लिए नई संचार नीति लागू

प्रदेश हित और नागरिकों की सुविधाओं के लिए नई संचार नीति लागू

जिला कलेक्टर लायसेंस देने के लिए अधिकृत 

16 फरवरी को जबलपुर में हुई मंत्री-मंडल की बैठक में हुआ नीति का अनुमोदन

भोपाल। गोंडवाना समय।
राज्य शासन ने प्रदेश के नागरिकों को बेहतर संचार सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए नई संचार नीति बनाई है। मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में विगत 16 फरवरी को जबलपुर में हुई मंत्री-मंडल की बैठक में नीति का अनुमोदन किया गया। यह नीति 2023 तक अथवा नई नीति की घोषणा होने तक लागू रहेगी। राज्य सरकार द्वारा आईटी के लिए गठित शीर्ष समिति इस नीति में संशोधन या वृद्धि करने के लिए अधिकृत होगी।  ''इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर मध्यप्रदेश 2019 वायर लाइन या वायर लेस आधारित वाइस या डेटा एक्सिस सेवाएँ प्रदान करने के लिए बुनियादी ढाँचे की स्थापना नीति 'समाज और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए संचार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर पूरे राज्य में मजबूत, सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता और निर्बाध दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की स्थापना करेगी। जिलों में इस नीति के क्रियान्वयन के लिए लायसेंसिंग प्राधिकरण जिला कलेक्टर एकल खिड़की के रूप में कार्य करेंगे। वे भूमिगत, ओवर-ग्राउण्ड कार्य के लिए केन्द्र या राज्य सरकार या किसी अन्य एजेन्सियों की निजी संपत्ति पर लायसेंस देने के लिए अधिकृत होंगे। नई नीति का उद्देश्य प्रदेश में संचार सुविधाओं के बुनियादी ढाँचे के नियोजित विकास और विस्तार को सुनिश्चित करना होगा। प्रदेश के सभी हिस्सों में टेली-डेंसिटी और इंटरनेट का उपयोग बढ़ाया जाएगा। नागरिकों और संगठनों को सस्ती, विश्वसनीय, उच्च गति और माँग आधारित वाइस और डेटा एक्सेस सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। नई नीति से दूरसंचार अवसंरचना स्थापित करने की इच्छुक संस्थाओं को अनुमति और अनुमोदन प्रदान करने के लिए सरल और पारदर्शी ढाँचा स्थापित होगा।

अधिकारी को आवश्यकत दस्तावेजों के साथ साक्ष्य रखकर बताना होगा कारण 

नई नीति के प्रावधान मध्यप्रदेश में पूर्व से लागू 2013 की 4 जी ब्रॉडबेंड वायर लाइन और वायर लेस एक्सेस सेवाएँ प्रदान करने की नीति के स्थान पर लागू होंगे। वायर लाइन और वायर लेस आधारित डेटा या वाइस एक्सेस सेवाएँ प्रदान करने के लिए जो कम्पनियाँ काम करेंगी, उनके पास दूरसंचार विभाग भारत सरकार द्वारा जारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता कम्पनी के रूप में काम करने के लिए लायसेंस होना अनिवार्य होग। नीति में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रावधान के अनुसार किसी भी संरचना के निर्माण के लिए लायसेंस धारित कम्पनी के पास पूर्व निर्मित संरचना, शेल्टर, केबल, डक्ट और आवश्यक उपकरण जो वायर लाइन, वायर लेस आधारित वाइस और डेटा एक्सेस सेवाएँ प्रदान करने के लिए सेटअप स्थापित करने का अनुभव आवश्यक है। कंपनी के पास सेवा प्रदाता (टीएसपी), इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता, (आईपी) इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) और इसमें जनरेटर सौर पेनल जैसे सहायक उपकरण होना जरूरी है। नई नीति के अनुसार किए जाने वाले कार्य की एन.ओ.सी. न दिये जाने की स्थिति में लायसेंस देने के लिए अधिकृत एजेंसी को स्पष्ट कारणों का उल्लेख करना होगा। जैसे किसी भूमि पर कोई परियोजना भवन निर्माण का उपयोग प्रस्तावित है और उस पर बुनियादी ढाँचे की स्थापना से उसके क्रियान्वयन में कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हो। जहाँ पर बुनियादी ढाँचे की स्थापना की जा रही है उसके पास की सड़क पर अगर हाइटेंशन लाइन स्थापित किया जाना है और उसकी स्थापना से वाहन चलाने वाले लोगों की दुर्घटना होने की संभावना हो। एनोसी देने से इंकार करने के मामले में लायसेंस देने के लिए अधिकृत अधिकारी को अपनी रिपोर्ट में आवश्यक दस्तावेजों के साथ साक्ष्य रखकर कारण बताना होगा। नई नीति में लायसेंस उन कम्पनियों के लिए पूरी अवधि के लिए मान्य होगा जिन्हें दूरसंचार विभाग भारत सरकार ने आइएसपी, टीएसपी, आइपी का वैध लायसेंस जारी किया हो और जो श्रेणी एक कम्पनी हो, जिसका दूरसंचार विभाग भारत सरकार में वैध पंजीकरण हो। किसी भी कम्पनी को दिया गया लायसेंस अहस्तांतरणीय होगा। लायसेंस के नवीनीकरण के लिए संबंधित कम्पनी को अपना आवेदन देकर जरूरी दस्तावेज और प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा जो भी शुल्क समय-समय पर तय किया जायेगा। उसका भुगतान लायसेंस प्राप्त करने वाली कम्पनी को करना होगा। नई नीति में इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप को अस्थाई संरचनाओं के रूप में सार्वजनिक सुविधा के रूप में माना गया है। इसलिए इसमें मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के प्रावधान लागू नहीं होंगे। बुनियादी ढाँचे के विकास में संबंधित स्थानीय निकायों द्वारा लिए जाने वाले संपत्ति कर से छूट दी जाएगी।

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