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केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विकास हेतु बढ़ाया बजट

केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विकास हेतु बढ़ाया बजट

2019-20 और उसके बाद के वर्षों के लिए राजकोषीय कार्यक्रम

अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण के लिए आवंटन राशि में भारी वृद्धि करने का प्रस्ताव किया गया है। अनूसूचित जातियों के लिए 2018-19 के बजट अनुमानों में 56,619 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे संशोधित बजट अनुमानों में बढ़ाकर 62,474 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 2019-20 के बजट अनुमानों में इसमें और वृद्धि करके 76,800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार इसमें 2018-19 के बजट अनुमानों की तुलना में 35.6 % बढ़ोतरी हुई है। अनुसूचित जनजातियों के लिए भी बजट अनुमान 2019-20 में 50,086 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार 2018-19 के बजट अनुमान में किये गए 39,135 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में 28 % की वृद्धि दर्ज की गई है।

नई दिल्ली। गोेंडवाना समय। 
केन्द्रीय वित्त, कॉरपोरेट मामले, रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज संसद में अंतरिम बजट 2019-20 पेश करते हुए कहा कि राजकोषीय घाटा वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत तय किया गया है। उन्होंने कहा, मैं आय एवं व्यय का जो अनुमान पेश कर रहा हूं उसके तहत वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 प्रतिशत तय किया गया है। श्री गोयल ने अपने भाषण में कहा, हम वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर बनाए रख सकते थे और वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे को समेकित करने के लिए भी कदम उठा सकते थे, लेकिन किसानों को आमदनी बढ़ाने में सहायता प्रदान करने के लिए हमने वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान में 20,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 75,000 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। यदि हम इसे अलग कर दें तो राजकोषीय घाटा वर्ष 2018-19 में 3.3 प्रतिशत से कम और वर्ष 2019-20 में 3.1 प्रतिशत से कम होता है । वृहद-आर्थिक रूपरेखा वक्तव्य में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 में राजस्व घाटा 4,16,034 करोड़ रुपये अर्थात जीडीपी का 2.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। वहीं, दूसरी ओर चालू खाता घाटा वर्ष 2017-18 में जीडीपी के 1.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018-19 की प्रथम छमाही में जीडीपी का 2.7 प्रतिशत हो गया। ऐसी स्थिति मुख्यत: पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट के ज्यादा आयात से व्यापार घाटा बढ़ने के कारण देखने को मिली। मामूली वृद्धि होने के बावजूद राजकोषीय घाटा एवं जीडीपी का अनुपात सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के अपने लक्ष्?य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। मध्यमकालिक राजकोषीय नीति-सह-राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य में बताया गया है कि आगामी वर्ष के दौरान फोकस मुख्य रूप से व्यय दक्षता में सुधार करने और कर संग्रह बढ़ाने पर होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अर्थव्यवस्था राजकोषीय घाटे की राह पर वापस आ सके, जैसा कि राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम में कहा गया है। इसके अलावा, उपर्युक्त वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार का सकल कर राजस्व वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 25,52,131 करोड़ रुपये रहने का आकलन किया गया है। यह वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान की तुलना में 3,03,956 करोड़ रुपये (13.5 प्रतिशत) की वृद्धि को दशार्ता है। प्रत्यक्ष करों का संग्रह वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में बढ़कर 13,80,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान में यह आंकड़ा 12,00,000 करोड़ रुपये था। यह संशोधित अनुमान की तुलना में 15 प्रतिशत की वृद्धि दशार्ता है। यह उम्मीद की जा रही है कि प्रत्यक्ष कर वर्ष 2019-20 के आखिर में जीडीपी का 6.6 प्रतिशत होगा। अप्रत्यक्ष करों का संग्रह वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 11,66,188 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है जो संशोधित अनुमानों (10,42,833 करोड़ रुपये) की तुलना में 11.8 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2019-20 में अनुमानित जीएसटी संग्रह में बेहतरी को ध्यान में रखते हुए ही यह वृद्धि संभव नजर आ रही है। मध्यमकालिक राजकोषीय नीति-सह-राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य में बताया गया है कि गैर-कर राजस्व संग्रह वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान के 2,45,276 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2019-20 में 2,72,647 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। यह 2018-19 के संशोधित अनुमान की तुलना में 27,371 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दशार्ता है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि निम्न महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए कुल व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि परिलक्षित होती है। यह वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान के 24,57,235 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 27,84,200 करोड़ रुपये हो गया जो 3,26,965 करोड़ रुपये अथवा लगभग 13.30 प्रतिशत की वृद्धि दशार्ता है। इसके अलावा वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान के आंकड़ों ने वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान के आंकड़ों की तुलना में 15,022 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्शाई है। वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान के लिए पूंजीगत व्यय 3,36,292 करोड़ रुपये रहने का आकलन किया गया है। कृषि क्षेत्र के लिए सहायता राशि में वृद्धि करने, ब्याज भुगतान और आंतरिक सुरक्षा मद में व्यय के कारण ही कुल व्यय में बढ़ोतरी हुई है, जैसा कि बजट एक नजर में वक्तव्य में बताया गया है। वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में केन्द्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के लिए 3,27,679 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है, जबकि वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान में यह आंकड़ा 3,04,849 करोड़ रुपये था। श्री गोयल ने इस बारे में अपने बजट भाषण में विस्तार से बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के लिए आवंटन को वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान के 32,334 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 38,572 करोड़ रुपये किया जा रहा है। यही नहीं, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के लिए आवंटन को भी वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान के 23,357 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 27,584 करोड़ रुपये किया जा रहा है। श्री गोयल ने कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण के लिए आवंटन राशि में भारी वृद्धि करने का प्रस्ताव किया गया है। अनूसूचित जातियों के लिए 2018-19 के बजट अनुमानों में 56,619 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे संशोधित बजट अनुमानों में बढ़ाकर 62,474 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 2019-20 के बजट अनुमानों में इसमें और वृद्धि करके 76,800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार इसमें 2018-19 के बजट अनुमानों की तुलना में 35.6 % बढ़ोतरी हुई है। अनुसूचित जनजातियों के लिए भी बजट अनुमान 2019-20 में 50,086 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार 2018-19 के बजट अनुमान में किये गए 39,135 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में 28 % की वृद्धि दर्ज की गई है। विनिवेश राशि के संबंध में सरकार इस वर्ष 80,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार करने के बारे में आश्वस्त है। सरकार ने बजट सार दस्तावेज के अनुसार बजट अनुमान 2019-20 में 90,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। हमने सार्वजनिक उद्यम परिसम्पत्ति प्रबंधन एजेंडा शुरू किया है ताकि इन उद्यमों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जा सके। अब 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कुल बाजार पूंजीकरण के साथ 57 सीपीएसई सूचीबद्ध हैं। वर्ष 2017-18 के दौरान विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि सरकार को प्राप्त हुई है। मध्यमकालिक राजकोषीय नीति-सह-राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य के अनुसार, पूंजी संबंधी  गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां वर्ष 2019-20 के बजट अनुमान में 1,02,508 करोड़ रुपये होने की संभावना है, जो वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान की तुलना में 9,353 करोड़ रुपये अधिक है। गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में वृद्धि का मुख्य कारण विनिवेश है, जिसके लिए बजट में 90,000 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान 2018-19  80,000 करोड़ रुपये) का प्रावधान है। वर्ष 2019-20 में कुल सकल ऋण के 7,03,999 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2018-19 में यह 6,34,398 करोड़ रुपये था। यह संशोधित अनुमान की तुलना में 11 प्रतिशत की वृद्धि दशार्ता है। सरकार ने पिछले वर्ष यह वादा किया था कि यह वित्तीय प्रतिभूतियों के लेन-देन पर वसूली जाने वाली स्टाम्प ड्यूटी में सुधार करेगी। श्री गोयल ने अपने बजट भाषण में कहा, इस वित्त विधेयक के माध्यम से मैं इसके बारे में आवश्यक संशोधनों का प्रस्ताव कर रहा हूं। प्रस्तावित संशोधनों से एक अत्यंत सुसंगत प्रणाली विकसित होगी। लेन-देन से संबंधित एक इंस्ट्रूमेंट पर स्टाम्प ड्यूटी लगाई जाएगी तथा शेयर बाजार के माध्यम से एक स्थान पर इसकी वसूली की जाएगी। इस प्रकार वसूले गए शुल्क को मूल निवासी खरीदारों के आधार पर राज्य सरकारों के साथ बांटा जाएगा। वित्तीय समेकन के विजन की जानकारी देते हुए गोयल ने अपने भाषण में कहा, हमने 2020-21 तक 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाना जारी रखा है। सरकार अब राजकोषीय घाटा समेकन कार्यक्रम को पूरा करने के साथ ही ऋण समेकन पर भी विशेष ध्यान देगी। भारत का ऋण-जीडीपी अनुपात वर्ष 2017-18 में 46.5 प्रतिशत था। एफआरबीएम अधिनियम में यह कहा गया है कि भारत सरकार के ऋण-जीडीपी अनुपात को घटाकर 2024-25 तक 40 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाना चाहिए। नीचे दी गई तालिका आरई 2018-19 और बीई 2019-20 के दौरान और 2020-21 और 2021-22 के अनुमानों के विशेष राजकोषीय संकेतकों के सामने राजकोषीय प्रदर्शन के अनुमान प्रदान करती है।

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1 Comments
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  1. Kuch dentist ki job k liye v kijiye ya fir bds, dentist k admission hi cancel karwa dijiye, job to h nai

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