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चुनाव का बहाना,अध्यापन कार्य छुड़वाकर प्राचार्यो ने कराया सर्विस का बुक काम

चुनाव का बहाना,अध्यापन कार्य छुड़वाकर प्राचार्यो  ने कराया सर्विस का बुक काम

पांच महीने बाद बीआरसी की भी खुली आंख

सिवनी। गोंडवाना समय।
निर्वाचन के कार्य का बहाना बताकर बच्चों के अध्यापन कार्य को छोड़कर गायब रहने वाले निचली सलामटी टोला प्राथमिक शाला के शिक्षक राजेश यादव के मामले में नया मोड़ आ गया है। पांच महीने बाद शिक्षक राजेश यादव की सुध लेने वाले घंसौर बीआरसी मनीष मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्राथमिक शाला सलामटी के प्रधान पाठक सहित उत्कृष्ट विद्यालय घंसौर और पहाड़ी स्कूल के प्राचार्य भी दोषी माने जा सकते हैं। हालांकि बीआरसी एसडीएम के साथ कार्रवाई में शामिल होकर खुद को निर्दोष बताकर सिर्फ उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य  और शिक्षक राजेश यादव को दोषी मानकर नोटिस जारी किया गया है।

पांच माह में ली सुध

शासन स्तर से हर विकासखंड में बीआरसी और जनशिक्षक पदस्थ किए गए हैं ताकि स्कूलों व वहां की हर एक गतिविधियों की जानकारी उन्हें पता रहे लेकिन जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत आने वाले घंसौर विकासखंड के पहाड़ी जनशिक्षा केन्द्र के निचली सलामतीटोला के प्राथमिक शाला के शिक्षक राजेश यादव के चुनाव कार्य का बहाना बताकर पांच महीने से स्कूल न पहुंचने की जानकारी न लगना ऐसा प्रतित होता है कि वे क्षेत्र में मानीटरिंग ही नहीं कर रहे हैं और उनकी पकड़ शिक्षकों में नही है यही वजह है कि उन्हें पांच महीने बाद शिक्षक राजेश यादव के स्कूल न पहुंचने की जानकारी लगी जो सवालों के घेरे में है।

बना दिया जनशिक्षक,स्कूल में कराया सर्विस बुक का काम-

निर्वाचन के ड्यूटी लगने के नाम पर स्कूल से गायब रहने वाले निचली सलामतीटोला के प्राथमिक शाला  शिक्षक राजेश यादव को उत्कृष्ट विद्यालय घंसौर के प्राचार्य प्रसन्न दीक्षित द्वारा बीआरसी और जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एसएस मरकाम को बिना सूचना दिए पहाड़ी स्कूल के प्राचार्य शैलेष दीक्षित के साथ मिलकर उत्कृष्ट विद्यालय में शिक्षकों की सर्विस बुक संधारण  एवं वेतन संधारण का कार्य कराया गया। वहीं उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य ने अधिकार न होने के बावजूद राजेश यादव को जनशिक्षक बना दिया था। इस मामले को लेकर गोंडवाना समय ने जब उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य प्रसन्न दीक्षित से बात की तो उनका कहना था कि संकुल केन्द्र पहाड़ी के प्राचार्य शैलेष दीक्षित ही राजेश यादव को सर्विस बुक संधारण के कार्य से उत्कृष्ट विद्यालय लेकर आए थे।  प्रसन्न दीक्षित ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा है कि राजेश यादव से कार्य कराए जाने की मंशा गलत नहीं थी। उनके यहां कार्य का दबाव ज्यादा होने के कारण उससे काम कराया गया था।

प्रधान पाठक ने भी क्यो नहीं दी जानकारी

सबसे खास बात तो यह है कि जिस स्कूल में राजेश यादव पदस्थ है उस स्कूल के  प्रभारी एचएम प्रकाश रजक ने भी बीआरसी व वरिष्ठ अधिकारियों को राजेश यादव के पांच महीने से स्कूल न आने की जानकारी क्यों नहीं दी यह भी बड़ा सवाल है।

गुरु-चेला के बीच फंसा पेंच

शिक्षक राजेश यादव की कार्रवाई के मामले में गुरु-चेला के बीच दांव-पेंच फंस गया है। राजेश यादव के मामले में बीआरसी मनीष मिश्रा ने जांच के दौरान उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य  प्रसन्न दीक्षित जो उनके गुरु रहे हैं उन्हें दोषी मान रहे हैं। हालांकि अधिकारी होने के कारण वे उन्हें उनके खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। बीआरसी की माने तो उनके खिलाफ जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एसएस मरकाम कर सकते हैं। अब देखना यह है कि जनजातीय कार्य विभाग के एसएस मरकाम बीआरसी  सहित एचएम और प्राचार्यो के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं या  नहीं आने वाला समय बताएगा।

इनका कहना है

मैं जानकारी जुटाता हूं और जो भी दोषी होगा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
एसएस मरकाम,सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग सिवनी

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