कांग्रेस को हराने, भाजपा को राजनैतिक शहादत के लिये छिंदवाड़ा में आदिवासी चेहरे की तलाश
छिंदवाड़ा में प्रहलाद पटेल का प्रयोग भी चुका है फेल
लोकसभा चुनाव छिंदवाड़ा के चुनावी महासंग्राम पर विस्तृत रिपोर्ट
छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय।मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमल नाथ को उनके गृह जिले में घेरने के लिये छिंदवाड़ा सीट से हार का स्वाद लगातार चखने वाली भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में चेहरा बदलने की रणनीति बना रही है और इकसे लिये भाजपा आदिवासी उम्मीरवार को मैदान में उतारने का मन बना रही है जबकि छिंदवाड़ा में अभी हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव में सातों सीट में भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा है जबकि स्वयं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव के दौरान और यहां पर भाजपा के बड़े बड़े नेताओं ने रणनीति बनाने का प्रयास किया था लेकिन कमल नाथ और कांग्रेस की चुनावी बिसात के आगे चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा और छिंदवाड़ा जिले की सात विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा हो गया ।
अमित शाह ने मध्य प्रदेश की तीन सीटों पर किया था फोकस
हम आपको बता दे कि विधानसभा चुनाव के बहुत पहले से ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि इस बार मध्य प्रदेश के तीन सीटों पर जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया और कमल नाथ को लोकसभा चुनाव जीतने से रोकने के लिये अलग से प्रभारी भी बनाया था परंतु विधानसभा चुनाव में ही भाजपा के हार जाने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति धरी की धरी रह गई है । हालांकि भाजपा विशेष रूप से मुख्यमंत्री कमल नाथ को उनके गृह जिले में ही घेरने के लिये रणनीति बनाने के लिये अब आदिवासी को सामान्य सीट से उतारने की योजना बना रही है इस बहाने भाजपा आदिवासी मतदाताओं पर भी अपनी गहरी पैठ बनाना चाहती है ताकि यह कह सके कि हमने सामान्य सीट से आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाया है । हालांकि भाजपा छिंदवाड़ा सामान्य सीट से आदिवासी को उम्मीदवार बनाती है या नहीं यह आने वाले साफ हो ही जायेगा लेकिन राजनैतिक गलियारों में यही चर्चा चल रही है कि आदिवासी चेहरे को भाजपा उम्मीदवार बना सकती है ।छिंदवाड़ा में आदिवासी मतदाता निभाते है निर्णायक भूमिका
हम आपको बता दे कि छिंदवाड़ा में 40 साल से कमल नाथ सांसद बनकर कांग्रेस का अभेद गढ़ बनाये हुये है विपरीत परिस्थिति में भी छिंदवाड़ा में कांग्रेस को कमल नाथ ने हारने नहीं दिया है । छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते है क्योंकि आदिवासी मतदाताओं की संख्या छिंदवाड़ा में सर्वाधिक है । छिंदवाड़ा जिले में इस बार 15 लाख से अधिक मतदाता मतदान करेंगे इसमें लगभग आदिवासी मतदाताओं की संख्या 6 लाख से ज्यादा ही होगी इसी वजह से आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते है ।छिंदवाड़ा जिले में इसलिये है भाजपा की बट्टी पर नजर
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने छिंदवाड़ा जिले में अपना चुनावी प्रदर्शन सबसे अच्छा अमरवाड़ा विधानसभा में प्रदर्शित किया था और मतगणना के दिन तो दोपहर व शाम तक तो पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी की जीत को लेकर उनके समर्थकों खुशियां भी मनाने लगे थे लेकिन अंतिम समय के लगभग तीन या चार राऊंड की गिनती में मनमोहन शाह बट्टी पिछड़ गये और वह दूसरे नंबर पर रहे फिर भी उन्हें 61 हजार 269 मत अमरवाड़ा विधानसभा में मिले । इसी तरह छिंदवाड़ा जिले की ही विधानसभा जुन्नारदेव में गोंगपा को 19, 369 वोट मिले थे । इसी तरह विधानसभा क्षेत्र चौरई में 12, 551 मत मिले तो वहीं पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में 4 हजार 30 वोट मिले थे । इसी तरह परासिया विधानसभा में 4,717 वोट मिले थे । वहीं विधानसभा क्षेत्र सौंसर में गोंगपा को 1892 और विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में 2211 वोट मिले थे । इस आधार पर छिंदवाड़ा में सातों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा तो हुआ लेकिन अमरवाड़ा सहित सात सीटों पर गोंगपा ने भी अपनी जमीनी ताकत का एहसास कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों को कराया था । हालांकि अब मनमोहन शाह बट्टी भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कमान संभालकर काम कर रहे है ।बीजेपी को मिले 4 लाख 56 हजार 105 वोट
विधानसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में भाजपा को 89 हजार 487 तो वहीं विधानसभा क्षेत्र चौरई में 65 हजार 411 वोट मिले है । इसी तरह सौंसर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा को 66 हजार 228 वोट मिले है । विधानसभा क्षेत्र अमरवाड़ा में भाजपा तीसरे स्थान पर थी और भाजपा के उम्मीदवार को 53 हजार 499 वोट मिले थे वहीं विधानसभा क्षेत्र पांढुर्णा में भाजपा को 58 हजार 776 वोट मिले थे तो विधानसभा क्षेत्र परासिया में 66 हजार 819 वोट मिले थे तो वहीं विधानसभा क्षेत्र जुन्नाारदेव में भाजपा को 55 हजार 885 वोट मिले थे इस आधार पर भाजपा को छिंदवाड़ा जिले की सात विधानसभा क्षेत्र में कुल 4 लाख 56 हजार 105 मिले है ।अनुसूइया उईके भी मजबूत उम्मीदवार
छिंदवाड़ा जिले में और भाजपा में सुश्री अनुसुइया उईके भी मजबूत स्थान रखती है । भाजपा ने सुश्री अनुसुइया को राज्यसभा सांसद भी बनाया था वहीं वर्तमान में वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष भी है । छिंदवाड़ा में आदिवासी मतदाता के निर्णायक भूमिका में देखते हुये भाजपा सुश्री अनुसुइया उईके को भी मैदान में उतार सकती है हालांकि सूत्र बताते है कि सुश्री अनुसुइया उईके छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है वे बैतुल लोकसभा क्षेत्र जो कि जनजाति के लिये आरक्षित है वहां से चुनाव लड़ने के लिये मन बना रही है क्योंकि वहां से सांसद ज्योति धुर्वे जाति प्रमाण पत्र को लेकर न्यायिक मामलों में उलझ गई है । इसलिये बैतुल संसदीय क्षेत्र से सुश्री अनुसुइया उईके लोकसभा चुनाव में उतरने की इच्छुक है अब देखना यह है कि भाजपा छिंदवाड़ा या बैतुल से लोकसभा चुनाव में सुश्री अनुसुइया को उम्मीदवार बनाती है या नहीं यह भी सामने आ जायेगा ।भाजपा को हराकर कमलनाथ जीते थे 1,16,576 मतों से
आदिवासी मतदाताओं के द्वारा निर्णायक भूमिका निभाने वाले संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में वर्ष 1980 से कांग्रेस पार्टी से 9 बार का सांसद का गौरव प्राप्त कर छिंदवाड़ा में राजनीतिक कुर्सी में अपना कब्जा बरकरार रखने वाले कमलनाथ अब मुख्यमंत्री बन गये है । अब वे विधायक बनकर विधानासभा के सदन में पहुंचने की तैयारी में लगे हुये है और वे भी अपने पुत्र नकुल नाथ के साथ लोकसभा के चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में नजर आयेंगे । मध्य प्रदेश में भाजपा को 108 सीट पर विधानसभा में रोकने वाले कमलनाथ कांग्रेस के 114 विधायक बनाने में तो सफल हो गये और मुख्यमंत्री भी बन गये है । अब लोकसभा चुनाव उनके लिये बड़ी चुनौती है क्योंकि मुख्यमंत्री का दारोमदार भी इसी आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी ने उन्हें दिया है । लोकसभा चुनाव में यदि हम मध्य प्रदेश में विशेषकर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर कमलनाथ को हराना भाजपा के बस की बात नहीं रही माना जाने लगा है चूंकि बीते कुछ माह पहले अमित शाह ने भले ही छिंदवाड़ा सीट को हराने के लिये रणनीति बनाने के लिये प्रयास किया हो परंतु विधानसभा चुनाव में आये परिणाम से अमित शाह की आश भी छिंदवाड़ा लोकसभा को फतेह कर पाना धरी की धरी रह गई है । छिंदवाड़ा में सातों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है और भाजपा का सुपड़ा साफ हो चुका है । अब छिंदवाड़ा में लोकसभा चुनाव में भाजपा को अत्याधिक मेहनत करना पड़ सकता है क्योंकि उनकी टक्कर अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ के साथ होगी । वहीं यदि हम बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो कमल नाथ पिछला संसदीय चुनाव भाजपा को हराकर लगभग 1,16, 576 हजार वोटों से जीते थे ।नकुल नाथ हो सकते है लोकसभा उम्मीदवार
मुख्यमंत्री कमल नाथ अपने पुत्र नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से सांसद का चुनाव लड़ाये जाने की पूरी तैयारी कर चुके है और इस आधार पर बीते दो माह से नकुल नाथ भी छिंदवाड़ा जिले की संसदीय क्षेत्र के ब्लॉक, ग्रामीण अंचलों व कांग्रेस के प्रकोष्ठों की बैठक ले चुके है । इसके साथ ही उन्होंने आमसभा को संबोधित किया है और कार्यकर्ता सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है । नकुल नाथ ने कार्यकर्ता सम्मेलन में यह भी कहा है कि मेरे पिता से भले ही कम हो परंतु मैं भी आपके आशीर्वाद सहयोग का हकदार हूँ । छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सांसद कमल नाथ ने अपने पुत्र नकुल नाथ को राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सीधे सांसद बनाये जाने को रणनीति तैयार किया है । यह भी तय है कि कांगे्रस पार्टी नकुल नाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदार बनायेगी । हालांकि पार्टी की अधिकृत घोषणा होना अभी बाकी है परंतु जिस तरह से नकुल नाथ का दौरा हो रहा है और कांग्रेस पदाधिकारियों के द्वारा छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से सांसद के लिये चुनाव लड़ने के लिये सिर्फ और सिर्फ नकुल नाथ का ही नाम लिया जा रहा है ।उमा भारती ने प्रहलाद पटेल को लड़ाया था लोकसभा चुनाव
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को राज्य में मदर आॅफ आॅल बैटेल्स यानी सबसे रोचक और कठिन संघर्ष के रूप में देखा जाता है । यदि हम बात करें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तो जब कांग्रेस महासचिव कमलनाथ मैदान में थे और इन्हें चुनौती देने के लिये स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने छिंदवाड़ा को गोद लिया था और अपने विश्वासपात्र पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री और वर्तमान दमोह से सांसद भाजपा नेता प्रहलाद पटेल को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारकर छिंदवाड़ा से कांग्रेस व कमल नाथ को हराने के लिये उतारा था । वहीं उसी समय का लोकसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच में चुनावी रणयुद्ध में सामने आया था चाहे रोहना में दीपक सक्सेना के घर के पास हुये विवाद का मामला हो या हथियारों की खुली जंग भी चुनावी माहौल में दिखाई दी थी । जबकि उसी दौरान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी पूरे उफान व तूफान के साथ राजनैतिक रूप से अग्रसर थी और कांग्रेस भाजपा के संघर्ष में तीसरी शक्ति ताकत के रूप में राजनैतिक पटल में दिखाई दे रही थी । जबकि छिंदवाड़ा उन संसदीय क्षेत्रों में से गिना जाता है जहाँ पर वर्ष 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस विरोधी देशव्यापी लहर के बावजूद भी कांग्रेस के प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज कराई थी। छिंदवाड़ा संसदीय सीट में सर्वाधिक आदिवासी मतदाता है जिनमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रभाव अलग ही झलकता है तब गोंगपा से मनमोहन शाह बट्टी मैदान में थे आदिवासी वोटों के आधार पर चुनाव जीतने की कोशिश किया था परंतु वे भी उतने सफल नहीं हो पाये परंतु गोंगपा का चुनावी प्रदर्शन ने कमलनाथ को चिंता में जरूर डाल दिया था । छिंदवाड़ा में आदिवासी मतदाताआें की संख्या लगभग 40 प्रतिशत है जो निर्णायक भूमिका निभाते है । हालांकि छिंदवाड़ा को मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उमाभारती ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था लेकिन उसके बाद भी वह सफल नहीं हो पाई थी और कमलनाथ के आगे प्रहलाद पटेल को चुनाव हारना पड़ा था ।भाजपा ने बट्टी को दिया साथ तो मुश्किल में पड़ सकते है कमलनाथ
विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता से हाथ धो बैठी है तो वहीं छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट में ही पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी ने कांग्रेस को तगड़ी टक्कर दिया था वहीं भाजपा तीसरे पायदान पर पहुंच गई । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह विधानसभा चुनाव से पहले ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति बना चुके है परंतु विधानसभा के परिणाम ने उन्हें भी हताश कर दिया है और चिंतन के साथ साथ मंथन करने पर मजबूर कर दिया है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस का गढ़ छिंदवाड़ा में कैसे सेंध लगा पायेंगे । भाजपा अकेले कमलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में टक्कर देने की स्थिति में अब नहीं दिखाई देती है क्योंकि छिंदवाड़ा की सातों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो चुका है और भाजपा का सूपड़ा साफ हो चुका है । ऐसी स्थिति में छिंदवाड़ा में तीसरी ताकत के रूप में राजनैतिक संघर्ष कर रहे पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी को साथ लेकर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में कमलनाथ व कांग्रेस को कड़ी चुनौति देने के लिये रणनीति बना रही है । हालांकि जीत हार किसकी होगी यह सटीक कह पाना असंभव ही है क्योंकि भाजपा बीते लोकसभा चुनाव में कमलनाथ से 1,16, 576 मतों से चुनाव हारी थी । यदि भाजपा ने पूर्व विधायक मन मोहन शाह बट्टी को साथ में लेकर कमलनाथ को घेरने के लिये उनके ही गृह जिले में एक साथ गठबंधन के साथ लोकसभा चुनावी मैदान में उतरती है तो कांग्रेस व कमलनाथ को अपने ही गृह जिले में घेरने के लिये कड़ी टक्कर दे सकती है ।भाजपा की विचारधारा और बट्टी का नारा जय लंकेश
हिन्दुत्व और राममंदिर के मुद्दे को लेकर राजनैतिक रूप में अपनी पहचान बनाने वाली भाजपा व जय लंकेश का संबोधन करने वाले पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी को लेकर राजनैतिक सरगर्मी छिंदवाड़ा में चल रही कि भाजपा व मनमोहन शाह बट्टी का एक साथ राजनैतिक मैदान में उतर सकते है । यहां हम आपको बता दे कि भाजपा और पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी में राजनैतिक विचारधारोओं की बात करें तो काफी मतभेद दिखाई देते है क्योंकि यदि हम विचारधारा की बात करे तो भाजपा व पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी एक दूसरे के विपरीत ही नजर आते है । अब चाहे आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, संवैधानिक मुद्दों को लेकर भाजपा को लेकर हमेशा टकराहट की स्थिति बनती है । कहीं से भी भाजपा की विचारधारा में पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी की विचारधारा में एकरूपता नजर नहीं आती है क्योंकि पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी का नारा ही जय लंकेश है । इसलिये भाजपा और पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी के एक साथ चुनावी मैदान में नजर आयेंगे यह बहुत ही मुश्किल है परंतु राजनैतिक रूप से संघर्ष कर रहे पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी चुनावी मैदान में सफल नहीं हो पा रहे है । इस विषय पर मंथन कर यदि राजनैतिक रूप से भाजपा के साथ आते और भाजपा भी छिंदवाड़ा में 40 प्रतिशत आदिवासी मतदाताओं के साथ साथ मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर पर अपना प्रभाव जमाने के बहाने एक साथ हो जाते है तो कमलनाथ को छिंदवाड़ा जिले में ही चुनौती मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता है ।सबसे अधिक बार जीतने वाले सांसद बने थे कमलनाथ
कांग्रेस के कमलनाथ छिंदवाड़ा से जीत दर्ज करके 9 वी बार लोकसभा चुनाव में जीतने वाले सांसद बने और 16 वीं लोकसभा में कमल नाथ सबसे अधिक बार चुनकर आने वाले सदस्य भी बने जबकि 15 वीं लोकसभा में माकपा के वासुदेव आचार्य और कांग्रेस के मणिक राव होदिया के नाम सर्वाधिक 9 बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड था। वासुदेव आचार्य और मणिक राव होदिया इस बार भी क्रमश: पश्चिम बंगाल की बांकुड़ा सीट से औरमहाराष्ट्र की नंदरबार सीट से चुनाव लड़ रहे थे लेकिन वे चुनावी जीत दर्ज नहीं कर पाए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वासुदेव आचार्य और मणिक राव होदिया 7 वीं से 15 वीं लोकसभा तक 9 बार सांसद निर्वाचित हुए। कमलनाथ इससे पहले 8 बार सांसद चुने गए थे और यह उनकी 9 वीं बार लोकसभा जीत है। 11 वीं लोकसभा को छोड़कर कमलनाथ 7 वीं, 8 वीं, 9 वीं, 10 वीं, 12 वीं, 13 वीं, 14 वीं और 15 वीं लोकसभा के सदस्य रहे। 16 वीं लोकसभा के चुनाव में कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से 1,16,576 मतों से जीत दर्ज किया था । अब वे अपने पुत्र नुकल नाथ को सांसद बनाने की तैयारी कर रहे है ।