धीमी रफ्तार, घटिया काम, ठेकेदार को पहुंचाया करोड़ों का लाभ
कांग्रेस-भाजपा दोनों कैग के कटघरे में
सिवनी। गोंडवाना समय।
सिवनी-छिंदवाड़ा की जीवनदायिनी पेंच व्यपवर्तन योजना का निर्माण कार्य जहां धीमी रफ्तार से चल रहा है। वहीं ठेकेदारा घटिया निर्माण को अंजाम दे रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि परियोजना के अधिकारी ठेकेदार पर मेहरबानी दिखाते हुए करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। हालांकि गोंडवाना समय भी पिछले कई महीनों से लगातार सरला-मेंटेना कम्पनी द्वारा नहर निर्माण में बरती जा रही लापरवाही और घटिया निर्माण को लेकर खबर प्रकाशित करते आ रहा है। कैग की रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद कांग्रेस और भाजपा सरकार दोनों कटघरे में खड़े हुए हैं। भाजपा शासन के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस सरकार के वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ दोनों नहर निर्माण पर चुप्पी साधे हुए हैं।
1987-88 में प्रारंभ की गई थी पेंच व्यपवर्तन परियोजना

पेंच उपकछार में सिंचाई सुविधा प्रदान करने एवं बैनगंगा उपकछार के ऊपरी भू-भाग को सिंचित करने के लिए 1987-88 में पेंच व्यपवर्तन की नींव रखी गई थी। परियोजना में छिंदवाड़ा जिले में पेंच नदी पर 5.97 किलोमीटर लंबे मिट्टी बांध (42 मीटर ऊंचा) तथा 360 मीटर लंबे कॉंक्रीट बांध (46.5 मीटर ऊंचा) का निर्माण परिकल्पित था । छिंदवाड़ा एवं सिवनी जिलों में निवल कृषि योग्य कमान (सी.सी.ए) 85,000 हेक्टेयर को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाना लक्षित था । परियोजना में तापविद्युत परियोजनाओं के लिये 61.68 मिलियन घनमीटर (एम.सी.एम) पानी उलब्ध करवाने के अतिरिक्त दोनों जिलों को घेरलू जल आपूर्ति के लिये भी 7.40 एम.सी.एम. पानी उपलब्ध करवाना था । पेंच व्यपवर्तन परियोजना का निर्माण प्रत्येक पांच वर्षों के दो चरणों में किया गया था परियोजना के चरण-1 में बांध, संपूर्ण दाई तट नहर (आर.बी.सी.) तक का निर्माण शामिल था। परियोजना के चरण-11 में सात किलोमीटर से 20.07 किलोमीटर तक एल.बी.सी. का शेष भाग, एल.बी.सी के 20.07 किलोमीटर से निकलने वाली सिवनी शाखा नहर एवं बखारी शाखा नहर एवं उनकी वितरण नेटवर्क का निर्माण शामिल था ।
धीमी रफ्तार से काम बढ़ती गई लागत
पेंच व्यपवर्तन योजना के तहत ठेकेदार और अफसरों की लापरवाही से धीमी रफ्तार से काम चला। जिससे योजना की राशि की लागत बढ़ते गई। मध्य प्रदेश शासन द्वारा पेंच व्यपवर्तन परियोजना के लिये प्रशासकीय स्वीकृति अप्रैल 1988 से सितंबर 2016 तक दी गई थी । जिसमें अप्रैल 1988 में 91.60 प्रथम चरण में वहीं सितंबर 2003 में 543.20 जिसका पूर्णतय: लक्ष्य वर्ष 2012 था । इसके बाद फिर रिवाईज कर सितंबर 2013 में 1, 733.06 करोड़ रूपये स्वीकृत किया था जिसका पूर्णत: लक्ष्य 2015 रखा गया था। इसके बाद फिर रिवाईज कर सितंबर 2016 में 2, 544.57 करोड़ रूपये स्वीकृत किया गया था जिसका कार्य पूर्णत: का लक्ष्य वर्ष 2017 रखा गया था। वहीं हम आपको बता दे कि योजना आयोग भारत सरकार ने परियोजना को वित्तीय वर्ष 2011-12 तक पूर्ण किये जाने के लिये राज्य आयोजना के अंतर्गत 583.40 करोड़ के निवेश को अप्रैल 2006 में अनुमोदित किया था । परियोजना का चरण-1 त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए.आई.बी.पी.) के अंतर्गत 25 प्रतिशत केंद्रांशित 75 प्रतिशत राज्यांश के साथ 2007-08 से 2009-10 के दौरान वित्तपोषण के लिये शामिल किया गया था । वहीं सितंबर 2017 तक परियोजना पर 1,978.24 करोड़ रूपये व्यय किया गया था जिसमें बांध पर 1, 256.37 करोड़ और नहर प्रणाली पर 721.87 करोड़ रूपये व्यय शामिल था । भारत सरकार ने फास्ट ट्रेक प्रोफार्मा क्लीयरेंस के अंतर्गत 2.544.57 करोड़ की अनुमानित लागत पर इस परियोजना को 2019-20 में पूर्ण किये जाने के लिये स्वीकृत किया गया है।
घटिया निर्माण अफसरों को बताया जिम्मेदार
पेंच व्यपवर्तन के निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा घटिया और गुणवत्ता विहीन कार्य कराया गया है। कैग की रिपोर्ट ने इस घटिया काम को लेकर पेंच व्यपवर्तन परियोजना के प्रमुख सचिव (पी एस),डब्ल्यू.आर.डी. शासन स्तर पर प्रमुख, प्रमुख अभियंता (ई.इन.सी.) विभाग के प्रशासनिक प्रमुख,मैदानी स्तर पर मुख्य अभियंता (सी.ई) बैनगंगा कछार,अधीक्षण यंत्री (एस.ई.) छिंदवाड़ा, कार्यपालन यंत्री (ई.ई.) नहर संभाग, सिवनी छिंदवाड़ा के साथ सहयोगी यंत्रियों,कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया है।
अधीक्षण यंत्री छिंदवाड़ा ने ठेकेदार को दिलाया 14.55 करोड़ का लाभ
पेंच व्यपर्वतन परियोजना में अधिकारियों और ठेकेदारों की सांठगांठ इतनी तगड़ी थी कि ठेकेदार ने माह जनवरी 2017 से सितंबर 2017 तक कोई कार्य नहीं किया। इसके बावजूद अधीक्षण यंत्री छिंदवाड़ा ने ठेके को निरस्त किया और न ही ठेकेदार पर कोई शास्ति अधिरोपित किया। इससे ठेकेदार को 14.55 करोड़ रुपए का अदेय लाभ हुआ। जबकि नियम और अनुबंधर के खंड 115.3 के आधार पर 100 दिवस तक कोई काम नहीं किया जाता है तो ठेका निरस्त एवं समस्त सुरक्षा निधियां और निष्पादन प्रतिभूतियां राजस्ता के नियम है।