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बीते 5 वर्षोँ में कितने आदिवासियों ने जमीन बेची, खरीदार कौन, होगी जांच

बीते 5 वर्षोँ में कितने आदिवासियों ने जमीन बेची, खरीदार कौन, होगी जांच

छत्तीसगढ़। गोंडवाना समय।
कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने जशपुर जिले में बीते 5 सालों में आदिवासी वर्ग के लोगों द्वारा अपने ही समुदाय के लोगों को बेची गई भूमि की मौके पर जाकर पड़ताल करने के निर्देश राजस्व अधिकारियों को दिए है। कलेक्टोरेट सभा कक्ष में आयोजित समय-सीमा की बैठक में कलेक्टर ने कहा कि जिले में आदिवासियों की भूमि की खरीदी बिक्री के मामले में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही है। आदिवासी किसान की भूमि को आदिवासी के नाम पर ही खरीदे और बेचे जाने के पीछे की वास्तविक स्थिति क्या है, इसकी जांच जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को ऐसे मामलों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।
कलेक्टर ने बैठक में कहा कि आदिवासियों की जमीन की अफरा-तफरी के मामले में किसी को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी, चाहे वह कितना ही रसूखदार क्यों न हो। उन्होंने कहा कि यदि किसी आदिवासी की जमीन को किसी आदिवासी ने खरीदा हो और उसका उपभोग अन्य वर्ग का व्यक्ति कर रहा हो तो यह निश्चित ही गलत और चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में तत्काल धारा 170 (ख) का मामला कायम किया जाना चाहिए। जिले में आदिवासियों की जमीन की खरीदी-बिक्री आदिवासी के नाम पर ही होती है, लेकिन ऐसे मामलों में भूमि की खरीदी करने वाला कोई अन्य सक्षम व्यक्ति होता है, जो रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उस भूमि का उपभोग करता है। ऐसे सक्षम व्यक्ति, आदिवासियों की जमीन को हथियाने के लिए अपने किसी परिचित गरीब आदिवासी व्यक्ति को सामने करके उसके नाम पर जमीन खरीदकर उसका उपयोग स्वयं करते है। अपने इस अवैधानिक कारनामे पर पर्दा डालने के उद्देश्य से वह बाकायदा किराया नामा का दिखावटी अनुबंध बनाकर अपने पास रख लेता हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को ऐसे मामलों में स्व विवेक से 170(ख) का प्रकरण कायम कर मूल स्वामी को भूमि लौटाने की कार्रवाई के निर्देश दिए है। 

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