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जीईएम और सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

जीईएम और सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

जीईएम - राष्ट्रीय खरीद मंच, की शुरूआत अगस्त, 2016 में योजनाएं ठीक से नहीं बनने, अपर्याप्त प्रतिस्पर्धा, खरीद प्रक्रिया में देरी, उच्च निविदा प्रीमियम/बुनियादी ढांचे की उच्च लागत, भ्रष्टाचार के आरोपों और शिकायतों को दर्ज करने की खराब व्यवस्था जैसी कमियों को दूर करने के लिए की गई थी।

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 
भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत वाणिज्य विभाग के ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के बीच गुरूवार को नई दिल्ली में जीईएम संगठनात्मक रूपान्तरण दल (जीओटीटी) परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये। इस अवसर पर इस्पात मंत्रालय में सचिव बिनॉय कुमार और वाणिज्य मंत्रालय में सचिव अनूप वधावन और सेल के सीएमडी अनिल चौधरी भी उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन पर जीईएम के  अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एस.सुरेश कुमार और सेल के निदेशक (तकनीकी) श्री हरिनंद राय ने हस्ताक्षर किये। सार्वजनिक खरीद प्रणाली सरकार के प्रभावी और कुशल कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकार के विभिन्न स्तरों पर सभी क्षेत्रों के प्रदर्शन को मजबूती देता है। जीईएम - राष्ट्रीय खरीद मंच, की शुरूआत अगस्त, 2016 में योजनाएं ठीक से नहीं बनने, अपर्याप्त प्रतिस्पर्धा, खरीद प्रक्रिया में देरी, उच्च निविदा प्रीमियम/बुनियादी ढांचे की उच्च लागत, भ्रष्टाचार के आरोपों और शिकायतों को दर्ज करने की खराब व्यवस्था जैसी कमियों को दूर करने के लिए की गई थी। जीईएम सार्वजनिक खरीद की सभी जरूरतों के लिए प्रौद्योगिकी और डोमेन डेटाबेस का लाभ उठाते हुए एक खुला, समावेशी और प्रभावी समाधान प्रदान करता है। सरकारी कार्यालयों को बाजार आधारित सरकारी खरीद से जोड़ने के लिए वित्त मंत्रालय के परिव्यय विभाग ने केंद्र पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों तथा विभागों को जीओटीटी की सेवाएं लेने पर विचार करने का आग्रह किया था। जीओटीटी क्रेता एजेंसी की व्यापार गतिविधियों, प्रक्रियाओं, क्षमताओं आदि में मदद करेगी ताकि एजेंसी, खुले बाजार आधारित खरीद के लिए जरूरी बदलाव ला सके। इस समझौते पत्र से सेल जीओटीटी स्थापित करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की पहली कंपनी बन गई है। अनुमान है कि जीओटीटी पीएमयू की पहल से सेल पहले वर्ष में 1700 करोड़ रुपये तक का लेन-देन (वार्षिक सकल खरीद मूल्य-जीएमवी) करने में सफल होगी। आने वाले वर्षों में कुल लेन-देन 9,000 करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है। इस प्रकार कंपनी अपनी सार्वजनिक खरीद का कुशलतापूर्वक मुद्रीकरण कर पाएगी।

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