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बाघ की उपस्थिति वन इको सिस्टम संरक्षित होने का प्रतीक

बाघ की उपस्थिति वन इको सिस्टम संरक्षित होने का प्रतीक

जैव-विविधता का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन जरूरी है 

व्याख्यान-माला असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम, सम्पन्न

भोपाल। गोंडवाना समय।
अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के महानिदेशक श्री आर. परशुराम ने कहा कि पर्यावरणीय संतुलन के लिये सभी प्रजातियों का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बाघ के संरक्षण का महत्व और भी अधिक है, क्योंकि यह प्राणी वनों में शीर्ष प्रिडेटर के रूप में स्थापित है। इसकी उपस्थिति इस बात का संकेत है कि वन इकोसिस्टम संरक्षित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान में विकास एवं जैव-विविधता में भी संतुलन बनाये रखना महत्वपूर्ण है। श्री परशुराम व्याख्यान-माला 'असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम'' में 'रिवाइवल आॅफ पन्ना टाइगर रिजर्व इन द लार्जर कान्टेक्स्ट आॅफ प्रोटेक्टिंग बॉयो डायवर्सिटी एण्ड नेचुरल इकोसिस्टम्स'' विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे।

टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने में पन्ना के बाघों का महत्वपूर्ण योगदान

मध्यप्रदेश जैव-विविधता बोर्ड के सदस्य श्री आर. श्रीनिवास मूर्ति ने कहा कि जैव-विविधता के तीन स्तर- जीन, प्रजाति तथा पारिस्थितिक तंत्र हमारे लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन्हीं के संरक्षण से मनुष्य को खाद्य, पानी एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा प्राप्त होती है, लेकिन इसमें लगातार क्षति हो रही है, जिसका पुनर्स्थापन किया जाना जरूरी है। श्री मूर्ति ने पन्ना टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर के रूप में पदस्थ रहने के दौरान किये गये कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाघ विहीन हो गये पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों को पुनर्स्थापित करने में स्थानीय लोगों की सहभागिता सराहनीय थी। उन्होंने इस प्रक्रिया में आयी चुनौतियों को भी साझा किया। श्री मूर्ति ने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने में पन्ना के बाघों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी का महत्वपूर्ण योगदान है। संस्थान के प्रमुख सलाहकार श्री मंगेश त्यागी ने श्री श्रीनिवास मूर्ति की उपलब्धियों की जानकारी दी।

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