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आजादी के लिये ऐतिहासिक शहादत देने वाले पिता-पुत्र के प्रेरणा केद्र के दर्शन करने नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री कमल नाथ

आजादी के लिये ऐतिहासिक शहादत देने वाले पिता-पुत्र के प्रेरणा केद्र के दर्शन करने नहीं पहुंचे मुख्यमंत्री कमल नाथ 

जबलपुर में स्थित है राजा शंकर शाह व कुंंवर रघुनाथ शाह का है ऐतिहासिक शहादत स्थल

विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया संपादक
हम आपको बता दे कि शहीदों की कोई जाति, धर्म नहीं होता है लेकिन देश की आजादी के लिये अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ खुली चुनौती देने वाले महाराजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह का स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में ऐतिहासिक योगदान रहा है और उनका बलिदान दिवस प्रतिवर्ष 18 सितंबर को मनाया जाता है लेकिन देखा गया है कि आजादी के लिये हंसते-हंसते तोफ के मुंह पर बंधकर हजारों जनसमुदाय के बीच में अंग्रेजों की बात न मानकर अपने प्राण न्यौछाबार कर दिया था। उन वीर योद्धाओं का बलिदान दिवस अधिकांशतय: आदिवासी समाज के द्वारा ही मनाय जाता है आखिर क्यों ?
आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमल नाथ मुख्यमंत्री है और वे मुख्यमंत्री बनने के बाद जबलपुर भी गये है यहां तक कि उन्होंने सरकार की कैबिनेट बैठक भी जबलपुर में किया था। वहीं अभी हाल में ही तीन दिन पहले 18 सितंबर को ही राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस कार्यक्रम
जबलपुर में मध्य प्रदेश सरकार के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम की उपस्थिति में भव्यता के साथ मनाया गया था। वहीं शहादत स्थल को प्रेरणा केंद्र के रूप में बनाये जाने के लिये मध्य प्रदेश के मुख्यमंंत्री कमल नाथ से संपर्क कर मंत्री ओमकार मरकाम ने प्रेरणा केंद्र के लिये 5 करोड़ रूपये का बजट निर्धारित कराय है ।
वहीं हम आपको बता दे कि भाजपा से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी जबलपुर शहादत स्थल में श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे उन्होंने वहां पर आयोजकों को आश्वासन दिया है कि वह आदिवासियों की धरोहरों व पर्यटन स्थलों के लिये विशेष रूप से प्रयास करेंगे ।
वहीं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने तो दमोह जिले के सिंग्रामपुर में बलिदान
दिवस कार्यक्रम में यहां तक कहा था कि सभी लोग विशेषकर युवा वर्ग जब भी जबलपुर जाये तो राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह के शहादत स्थल पर जरूर दर्शन करने जरूर जाये।
वहीं यदि हम मुख्यमंत्री कमल नाथ की बात करें तो 21 सितंबर को वे जबलपुर में अनेकों कार्यक्रम में शामिल हुये जहां उन्होंने जबलपुर के विकास के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधा, रोजगार के साथ साथ अन्य सौगाते भी दिया है लेकिन जहां पर उन्होंने 5 करोड़ रूपये प्रेरणा केंद्र के लिये प्रदान किया है उस शहादत स्थल के दर्शन करने नहीं पहुंचे आखिर क्यों इसके लिये कांग्रेस संगठन, कांगे्रस के स्थानीय जनप्रतिनिधि या कांग्रेस के वे आदिवासी नेता व जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है जो उन्हें शहादत स्थल की महत्वता जानने के लिये या दर्शन करने के लिये जाने के लिये नहीं बता पाये।

राहूल गांधी भी नहीं गये थे शहादत स्थल पर माथा टेकने 

जब कांग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी थे तो उनका रोड शो और कार्यक्रम आदिवासी बाहुल्य ऐतिहासिक स्थल जहां पर गोंडवाना शासनकाल का स्वर्णिम इतिहास रहा है अर्थात जबलपुर में 6 अक्टूबर 2018 को हुआ था। उस दौरान मध्य प्रदेश में राहूल गांधी का मध्य प्रदेश में कमलनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद उनका संभवतय: पांचवा दौरा था और मध्य प्रदेश आदिवासी बाहुल्य राज्य है परंतु राहूल गांधी ने आदिवासियों की शहादत स्थल या ऐतिहासिक स्थलों पर जाकर माथा नहीं टेका था आखिर क्यों इसके पीछे क्या कारण है इसे कांग्रेसी और राहूल गांधी स्वयं समझ व बता सकते है ।
हम यह भी बताना चाहेंगे कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों के बीर यौद्धाओं और ऐतिहासिक शहादतों के अनेक प्रमाण है जो किसी भी वर्ग नहीं दिया होगा सीने पर अंग्रेजो की गोली खाने से लेकर अंग्रेजी हुकुमत की तोफो के सामने बंधकर भी शहादत दिया है लेकिन राहूल गांधी ने सोशल मीडिया में भी मध्य प्रदेश के आदिवासियों को श्रद्धांजलि नहीं देते है आखिर क्यों, इसके पीछे राहूल गांधी और कांग्रेस की क्या सोच व मंशा है ।

मुख्यमंत्री बनाने के लिये आदिवासियों ने किया था हवन पूजन

विधानसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिये कमलनाथ के आदिवासी समर्थकों ने हवन पूजन तक करवाया था। हम आपको बता दे कि कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने हेतु छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव में भगवान भोले शंकर के मंदिर पहली पायरी में 11 गोंडी धमार्चार्यों द्वारा आदिवासी रीति रिवाज (रूढ़ि प्रथा) से अनुष्ठान, बड़ा देव पूजा का आयोजन किया गया था। जिसमें 101 गांव से मिट्टी संग्रहित कर आदिवासियों (सगाजनो) द्वारा हवन कुंड बनाया गया था, 11 धमार्चायों द्वारा बड़ा देव पूजा अनुष्ठान कर सांसद कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की प्रार्थना की गई थी। इस अवसर पर विधानसभा जुन्नारदेव क्षेत्र के बड़ी संख्या में आदिवासी एकत्रित हुए थे, 121 गांव के सामाजिक झण्डे संग्रहित कर यज्ञ स्थल पर हुआ था ध्वजारोहण, गोंडी धर्मचार्यों के समक्ष कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाने का सामाजिक संकल्प लिया गया था परंतु आदिवासी वीर यौद्धाओं और ऐतिहासिक शहादत देने वाले आदिवासी महानायकों की शहादत स्थल से अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहूल गांधी को दूर रखा था। जब राहूल गांधी का रोड शो कार्यक्रम जबलपुर में तय किया गया था । उस समय भले ही सुरक्षा की दृष्टि से एसपीजी के अनुसार राहूल गांधी का कार्यक्रम तय हुआ हो परंतु यदि वे जब जबलपुर गये थे तो वे शहीद राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह के शहादत स्थल पर माथा टेकने जरूर जा सकते थे । कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले वोट के लिये राहूल गांधी को कहीं शिवभक्त तो कहीं राम भक्त बनाया था तो जबलपुर में उन्हे नर्मदा भक्त बनाने का काम किया था लेकिन राहूल गांधी को आदिवासियों के ऐतिहासिक शहादत स्थल पर न ले जाकर उपेक्षा कांग्रेस पार्टी ने किया था।

40 साल के राजनैतिक पड़ाव में कभी नहीं पहुंचे शहादत स्थल कमल नाथ 

हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आदिवासी बाहुल्य जिला छिंदवाड़ा से 7 वीं लोकसभा 1980 से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत किया था और लगातार 9 बार सांसद बने वहीं 13 दिसंबर 2018 को वे आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लगभग अपने 40 वर्ष के राजनैतिक सफर मेें मुख्यमंत्री कमल नाथ कई बार जबलपुर कांग्रेस के कार्यक्रमों में गये है लेकिन आदिवासी समाज के कुछ बुद्धिजीवी बताते है कि हमारी जानकारी में कभी भी कमल नाथ जबलपुर में स्थित ऐतिहासिक शहादत स्थल जहां पर राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह को खुलेआम तोफ के मुंह में बांधकर अंग्रेजों ने उड़ाकर उनके शरीर के चिथड़े चिथड़े कर दिये थे। उस ऐतिहासिक बलिदान स्थल के दर्शन करने के लिये मुख्यमंत्री कमल नाथ नहीं पहुंचे है।

वहीं आदिवासी बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि अभी 3 दिन पहले ही 18 सितंबर को बलिदान दिवस था तो मुख्यमंत्री कमल नाथ के 21 सितंबर के कार्यक्रम की जानकारी आदिवासी समाज को मिली थी तब लग रहा था कि मुख्यमंत्री कमल नाथ 21 सितंबर को शहादत स्थल पर जरूर आयेंगे । वहीं आदिवासी बुद्धिजीवियों का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ऐतिहासिक शहादत स्थल को प्रेरणा केंद्र बनाये जाने के लिये 5 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है यह अच्छी बात है परंतु मुख्यमंत्री कमल नाथ शहादत स्थल के दर्शन करने के लिये नहीं तो कम से कम प्रेरणा के सौंदर्यीकरण व विकास कार्य के निरीक्षण करने के हिसाब से आ सकते थे लेकिन वे इस बार भी नहीं पहुंचे। 

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