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नैक ग्रेडिंग के लिए प्रयास करेगा प्रत्येक विश्वविद्यालय, राजभवन के मार्गदर्शन में बनेगा एक्शन प्लान

नैक ग्रेडिंग के लिए प्रयास करेगा प्रत्येक विश्वविद्यालय, राजभवन के मार्गदर्शन में बनेगा एक्शन प्लान

कुलपतियों की संयुक्त कार्यशाला 15 सितम्बर को

भोपाल। गोंडवाना समय।
राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिये सभी निजी और शासकीय विश्वविद्यालय द्वारा नैक ग्रेडिंग  प्राप्त करने के लिए सुनियोजित प्रयास किये जाने पर बल दिया है। राजभवन में 15 सितम्बर को समस्त निजी एवं शासकीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा, जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी शामिल होंगे। संयुक्त कार्यशाला में नैक ग्रेडिंग प्रक्रिया की संकल्पना पर विचार-विमर्श किया जायेगा। विश्वविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की जायेगी। देश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ तुलनात्मक स्थिति पर विचार किया जायेगा। विश्वविद्यालयों को वर्तमान स्थिति से अगले चरण में ले जाने के लिये कार्य-योजना बनाई जायेगी। नैक ग्रेडिंग में गुणवत्ता गहरा प्रभाव रखती है, इसलिये विश्वविद्यालय परिसर की स्वच्छता, प्रयोगशाला और पुस्तकालयों की समृद्धता, जल एवं ऊर्जा संरक्षण और स्वावलंबन कार्यों पर विशेष ध्यान देने के बारे में चिंतन किया जायेगा। विश्वविद्यालय द्वारा लक्ष्य निर्धारित करके किस स्तर तक, किस चरण में पहुँचा जा सकेगा, इसका रोड मैप भी तैयार किया जायेगा। सभी विश्वविद्यालयों को ग्रेडिंग निर्धारण के लिये मार्गदर्शन दिया जायेगा। ग्रेडिंग प्रक्रिया के अनुसार समयबद्ध एक्शन प्लान भी बनाया जायेगा। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय संयुक्त कार्यशाला का समन्वय करेगा।
राज्यपाल श्री टंडन ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से पहली चर्चा में ही कहा था कि कार्य संस्कृति परिणाम मूलक बनायें। संसाधनों का अभाव बताकर परिणाम नहीं देने की प्रवृत्ति को बदलना होगा। उन्होंने कहा था कि समय के बदलावों के साथ कदमताल करते हुए आगे बढ़ने वालों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होती। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नैक और रूसा की ग्रेडिंग, नई परियोजनाओं और केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विश्वविद्यालय को भरपूर संसाधन उपलब्ध हो सकते हैं। जरूरत प्रगतिशील सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने की है। विश्वविद्यालयों को अपने वित्तीय स्त्रोतों का नियोजन इस तरह से करना चाहिए कि स्वयं के साधनों से 50 प्रतिशत और शेष 25-25 प्रतिशत सरकार तथा अन्य मदों से अर्जित किये जायें। जिस विश्वविद्यालय में उच्च गुणवत्ता के शोध और रोजगार परक शिक्षा होगी, उसके सामने कभी भी संसाधनों की कमी नहीं होगी। 

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