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मंहगी शिक्षा व इलाज के खिलाफ होगा दर्दनाक आंदोलन-रघुवीर

मंहगी शिक्षा व इलाज के खिलाफ होगा दर्दनाक आंदोलन-रघुवीर

सिवनी। गोंडवाना समय। 
अघोषित साजिश के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नकारा बनाया जा रहा है। प्रायवेट स्कूलों की मंहगी शिक्षा से गरीब ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग भी परेशान है। इसी तरह सरकारी अस्पतालो के इलाज से निराश और पीड़ित जनता को प्रायवेट अस्पतालों में लूटा जा रहा है। प्रायवेट अस्पतालों का इलाज गरीबों के लिये असंभव हो गया है।
ऐसी मंहगी शिक्षा और मंहगे इलाज के खिलाफ दीवाली के बाद ऐसा दर्दनाक आंदोलन चलाया जायेगा। जिसमें पीड़ित लोगों की दिल दहलाने वाली मर्मस्पर्शी सत्य घटनाएं बयान की जायेंगी उक्ताशय की जानकारी देते हुये रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बताया कि कक्षा पहली से आठवीं तक सबको पास करने की घातक नीति के चलते कक्षा नवमीं में करीब पचास प्रतिशत बच्चे फेल हो जाते हैं। इसके बाद जो बच्चे दसवीं कक्षा में जाते हैं उनमें से करीब 55 या 60 प्रतिशत बच्चे ही सफल होते हैं। कक्षा नवमीं में फेल हुये बच्चे ठीक से अपनी पुस्तकें नहीं पढ़ सकते। प्रायवेट स्कूलों की मंहगी शिक्षा और ट्यूशन के बाद भी इन स्कूलों का शिक्षा स्तर भी बहुत घटिया है। इस तरह भविष्य के 75 प्रतिशत युवाओं को लूटकर भी उनको नकारा बनाया जा रहा है।
आगे रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बताया कि उधर सरकारी अस्पतालों की शर्मनाक दशा देखकर अधिकांश मरीज प्रायवेट अस्पतालों की ओर दौड़ते हैं। जहां की चमक दमक वाले सिस्टम से वहां के डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट के नाम पर मरीजों और उनके परिजनों का खून चूसते देखे जा सकते हैं। ऐसे कई अस्पताल हैं, जहां मृत व्यक्ति को वेंटीलेटर या आॅक्सीजन में रखकर उनके परिजनों को धोखा देकर लूटा जाता है। रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने आगे बताया कि मंहगी शिक्षा और मंहगे इलाज के लिये अनेक माताएं अपने जेवर और मंगलसूत्र बेचकर अपने बच्चों के सुखद भविष्य की कामना करती हैं। बच्चों के लिये पिता अपनी जमीन जायदाद बेचकर यहां तक कि खुद को साहूकारों के बंधुआ मजदूर बन जाते हैं, इसके बाद भी उनके बच्चों का भविष्य नहीं बन पाता। इस प्रकार की दिल दहलाने वाली सत्य घटनाओं को आमजनता के बीच इस प्रकार रखा जायेगा कि जनता मंहगी शिक्षा और मंहगे इलाज के जिम्मेदार लोगों को हिकारत की नजर से देखने लगें।

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