मुख्यमंत्री जी, गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में मनाये जाने आपका निर्णय स्थापना दिवस पर नहीं आ रहा नजर
प्रचार-प्रसार से गायब हुआ गोंड जनजाति कला वर्ष का नाम
विशेष संपादकीय
विवेक डेहरिया संपादक गोेंडवाना समय
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने 15 अक्टूबर को संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक मेें यह निर्णय लिया था कि गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में मनाया जाएगा मध्यप्रदेश स्थापना दिवसमनाया जायेगा। वहीं मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर प्रदेश के इतिहास और विकास यात्रा को रेखांकित करते हुए आम लोगों की भावनाओं के अनुसार व्यापक पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में सर्वाधिक गोंड जनजाति के आदिवासी भाई मध्यप्रदेश में निवास करते हैं। स्थापना दिवस पर गोंड जनजाति की कला और उनके विशिष्ट कार्यों को पूरे देश में प्रचारित किया जाए। श्री कमल नाथ मंत्रालय में संस्कृति विभाग की गतिविधियों की समीक्षा के दौरान चिकित्सा शिक्षा एवं संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ उपस्थित थी। वहीं मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहन्ती, प्रमुख सचिव श्री पंकज राग एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मध्य प्रदेश सरकार का प्रचार प्रसार करने वाला विभाग भी कंजूसी कर रहा है आखिर क्योें ?

हम आपको बता दे कि मुख्यमंत्री कमल नाथ के संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णय के बावजूद जो कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर किये जाने का प्रचार प्रसार किया जा रहा है उसमें कहीं भी गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में मनाये जाने जैसी स्थिति कहीं नजर नहीं आ रही है। आदिवासी बाहुल्य जिलों में 1 नवंबर को होने वाले मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर होने वाले आयोजनों के प्रचार प्रसार में गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में होने वाले आयोजनों को लेकर कहीं झलक या बातें नजर नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा लिये गये निर्णय से जहां मध्य प्रदेश के सर्वाधिक गोंड जनजाति वर्ग के लोग खुश नजर आ रहे थे लेकिन जिला स्तर पर होने वाले आयोजनों को लेकर किये जा रहे प्रचार प्रसार में गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया जायेगा यह तक उल्लेख भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। आखिर मुख्यमंसत्री कमल नाथ के निर्णय वातानुकूलित कक्षों से कागजों तक ही संधारित किया जा रहा है या उनपर अमल भी किया जा रहा है। इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे है। आखिर मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक मेें लिये गये निर्णय के बाद गोंड जनजाति कला वर्ष के रूप में कैसे मनाया जायेगा, क्या कार्यक्रम होगा इस पर अभी तक मध्य प्रदेश सरकार का प्रचार प्रसार करने वाला विभाग भी कंजूसी कर रहा है आखिर क्योें ?