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बनाके रहेंगे गोंडवाना राज्य के नारे से गूंज उठा कलेक्ट्रेट, गोंगपा ने सौंपा ज्ञापन

बनाके रहेंगे गोंडवाना राज्य के नारे से गूंज उठा कलेक्ट्रेट, गोंगपा ने सौंपा ज्ञापन 

गोंडवाना राज्य नहीं बनाये जाने पर गोंगपा ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर जताया आक्रोश 

गोंडी भाषा, संस्कृति के करोड़ो लोगों की भावनाओं के साथ हुआ कुठाराघात 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
आजादी के बाद वर्ष 1956 में भाषा, संस्कृति के आधार पर हुये राज्यों के पुर्नगठन में गोंडवाना राज्य नहीं बनाये जाने को लेकर केंद्र सरकार के प्रति गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जिला ईकाई सिवनी के द्वारा आक्रोश जताते हुये सिवनी कलेक्टर कार्यालय में बनाके रहेंगे गोंडवाना राज्य का नारा लगाते हुये गोंडवाना राज्य निर्माण किये जाने की मांग को लेकर महामहिम राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार श्री प्रभात मिश्रा के माध्यम से ज्ञापन सौंपा ।

कुमराम भीम ने किया था गोंडवाना राज्य की मांग 

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा 1 नवंबर 2019 दिन शुक्रवार को सौंपे गये ज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि पूर्व के समय में सेंट्रल प्रोविंस और बेरार के साथ (अभी का) उत्तर तेलंगाना गोंडवाना का क्षेत्र कहलाता था, इन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से 4 गोंड राज्य थे, गढ़ मंडला (1300 ई से 1749 ई), देवगढ़ (1590 ई से 1796 ई),
चांदा (1200 ई से 1751 ई) और खेरला (1500 ई से 1600ई) था। वहीं ज्ञापन में गोंगपा ने यह उल्लेख किया कि गोंडवाना राज्य की मांग तेलंगाना आन्दोलन के समय से ही शुरू हो गई थी, वर्ष 1941 में अदिलाबाद के कुरमा भीमू पहले शक्स थे जिन्होंने गोंडवाना राज्य की मांग की थी। इसके बाद से गोंडवाना राज्य निर्माण की मांग
आज भी निरंतर की जा रही है।

श्यामलाल शाह ने नेहरू को सौंप दिया था त्यागपत्र 

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सिवनी द्वारा सौंपे गये ज्ञापन यह उल्लेख किया गया है कि गोंडवाना राज्य निर्माण की मांग को लेकर अगस्त 1959 में कंगला मांझी ने भारतीय गोंडवाना संघ का गठन किया और गोंडवाना राज्य की मांग की, इसी समय छत्तीसगढ़ के महाराजा कोवा ने भी गोंडवाना राज्य की मांग किया था। वहीं वर्ष 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो सरकार ने गोंडवाना राज्य की मांग को ठुकरा दिया। पानाबरस के राजा श्यामलाल शाह और राजनांदगांव (मध्यप्रदेश) के सासंद ने जब प्रधानमंत्री नेहरू से गोंडवाना राज्य की मांग उठाई तो प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे सिरे से नकार दिया था। इस पर राजा श्यामलाल शाह ने अपना इस्तीफा पं जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया था। वहीं 19 मई 1963 को गोंडवाना आदिवासी सेवा मंडल के अध्यक्ष नारायण सिंह उइके ने महाराष्ट्र के विदर्भ से सटे जिलों और छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर फिर गोंडवाना राज्य की मांग दोहराया था ।

निरंतर होते रहे गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर आंदोलन

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में उन्होंने यह उल्लेख किया है कि गोंडवाना राज्य निर्माण को लेकर छोटे छोटे आन्दोलन निरंतर होते रहे है । इसके बाद फिर वर्ष 1991 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का संस्थापन हुआ, जिसका प्रमुख लक्ष्य गोंडवाना राज्य के लिए संघर्ष करना और उन क्षेत्रों को मिलाकर गोंडवाना राज्य बनाना रहा जो कभी गोंडो के अधीन थे और गोंड राजा वहा के शासक थे। केन्द्र सरकार ने आजादी के बाद से आज तक गोंडवाना राज्य का निर्माण का नहीं किया है।

भाषा संस्कृति के आधार पर नहीं किया गया गोंडवाना राज्य का गठन 

जबकि जिस समय राज्यों का पुर्नगठन किया जा रहा था तो उसमें भाषा, संस्कृति को आधार मानकर अन्य राज्यों का गठन किया गया लेकिन गोंडवाना राज्य नहीं बनाया गया जबकि मध्यप्रदेश राज्य का गठन किसी भाषायी आधार पर नही हुआ है। इसलिए गोंडवाना राज्य की मांग ना सिर्फ भाषायी आधार पर बल्कि गोंडो के हजारों सालों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक इतिहास के कारण भी होना अनिवार्य आवश्यक था । जबकि आजादी के बाद से ही गोंडवाना राज्य की मांग की जाती रही है। वर्ष 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के बाद भी अन्य राज्यों का गठन किया गया है लेकिन गोंडवाना राज्य नहीं बनाया जा रहा है। यह गोंडी भाषा, संस्कृति के करोड़ो लोगों के साथ अन्याय, अत्याचार, शोषण के साथ साथ उनकी भावनाओं के स्पष्ट कुठाराघात है । गोंगपा द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि गोंडवाना राज्य निर्माण को लेकर गोंडवाना राज्य मांग के संबंध में विभिन्न समाजिक संगठनों व गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा विस्तृत रूप से दस्तावेजों सहित प्रस्तुत किया जा चुका उसी आधार पर जल्द से जल्द से गोंडवाना राज्य का निर्माण किया जाये।

राजा दलपत शाह के नाम पर रखा जाये वार्ड का नाम 

गोंगपा के द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में गोंडवाना राज्य निर्माण की मांग के अतिरिक्त नगरीय क्षेत्र सिवनी में नगर पालिका परिषद द्वारा वार्डों का गठन किया जाकर नामकरण किया गया है इनमें वार्डों के ऐसा नामकरण किया गया है जिनका सिवनी से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है या उनका इतिहास भी नहीं जुड़ा है अत:  सिवनी नगर पालिका के अंतर्गत वार्ड के नामकरण में गोंडवाना शासनकाल के राजा दलपत शाह के नाम पर एक वार्ड नामकरण किया जाने की मांग की गई है। ज्ञापन सौंपने के दौरान गोंगपा जिला अध्यक्ष रामेश्वर तुमराम, गोंगपा के पदाधिकारी सहित जय जंगोदाई संघर्ष समिति की पदाधिकारी व सदस्य भी मौजूद रही।



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2 Comments
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  1. Bilkul ghor anyay he Gondwana ke logoke sath Desh ki swatantrata se lekar anyay or upeksha hi hua he akhir Gondwana Rajya banjane se kendra ki sarkar ko kuch ghrana ya sankoch kis bat ki he pata nahi ya desh ki manuvadi takate ham mulnivasiyon ki satta me ane ka dar kuch to gadbad jarur he Varna Gondwana state hona chahiye Jai Gondwana!

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