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गोंडवाना गौरव सम्मान से सम्मानित हुये रावेन शाह उईके

गोंडवाना गौरव सम्मान से सम्मानित हुये रावेन शाह उईके

गोंड समाज महासभा दमोह के प्रांतीय अधिवेशन में हुये हजारों सगाजनों की मौजूदगी में मिला सम्मान  

दमोह/सिवनी। गोंडवाना समय। 
स्वर्णिम गोंडवाना का इतिहास के बढ़ते कदम में कम उम्र में ही गोंडवाना गौरव सम्मान प्राप्त करने का इतिहास बनाने वाले संभवतय: हमारी जानकारी पहला गोंडवाना का रक्त के रूप में रावेन शाह उईके का नाम गोंडवाना शासनकाल के इतिहास को समेटे हुये जिला दमोह की धरती में 23 फरवरी 2020 को गोंड समाज महासभा के प्रांतीय अधिवेशन में सिवनी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छपारा विकासखंड के छोटे गांव बकोड़ा सिवनी की मिट्टी में पले और लिंगोवासी समाजसेवक तिरूमाल धन सिंह उईके जी और मां तिरुमाय मानवती उईके के लाल रावेन शाह उईके का नाम गोंडवाना गौरव सम्मान प्राप्त करने के लिये सबसे कम उम्र के नाम पर दर्ज हो गया है। 

पढ़ाई उतनी जरूरी नहीं थी, जितनी की पेट के लिये रोटी

रावेन शाह उईके को गोंडवाना गौरव सम्मान से सम्मानित करने के बाद जब गोंडवाना समय संपादक से चर्चा हुई थी रावेन शाह उईके ने बताया कि मेरा शौक बचपन से ड्राईविंग एवं गाने का रहा है, पिता जी कि मृत्यु के बाद परिवार की हालात दयनीय हो चुकी थी। परिवार में हम दादा-दादी, 2 बहन, 3 भाई, मां सहित 8 सदस्यों का परिवार का पिता जी के साथ नहीं होने ऐसी स्थिति में परिवारिक जीविका चलाना अत्याधिक कठिन व मुश्किल था। पिता जी के बाद परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी तीनों भाईयों के ऊपर आ चुकी थी, जिसमें की मेरे मार्गदर्शक और मेरा समाजसेवा के लिये मेरा हौंसला बढ़ाने वाले बड़े भाई राधेश्याम जी सहित मेरा व मेरे भाई-बहन का उस समय पढ़ाई उतनी जरूरी नहीं थी बल्कि पेट के लिए दो वक्त की रोटी की तलास रहती थी। आगे रावेन शाह उईके ने बताया कि यहां तक कक्षा 10 की परीक्षा के समय भी मंै काम पर जाया करता था उस समय खंती खोदने का काम किए हैं। उसके बाद फिर मेरे बड़े भाई और मेरी उम्र बढ़ने के बाद परिवार का खर्च भी बढ़ गया और काम का बोझ कहें या मेहनत ज्यादा करना पड़ता था तब केवलारी(बखारी) के श्री रतन लाल साहू जी के यहाँ ट्रैक्टर चलाकर और उसमें काम करके परिवार का गुजारा किए करते थे है।

पिता जी गोंडवाना महासभा के उपाध्यक्ष थे उन्हीं की प्रेरणा ने दिखाया समाजेसवा का मार्ग

रावेन शाह उईके का जन्म 2 जुलाई 1992 को हुआ था और प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल कक्षा 8 वी तक पढ़ाई किया। उस समय गांव में सड़क का अभाव था इसके बाद 9 वी एवं 10 वी कक्षा की पढ़ाई छात्रावास छपारा में किया। वहीं हम आपको बता दे कि 10 बोर्ड परीक्षा के पूर्व 8 दिन पहले पिता जी की 22 फरवरी की शाम लगभग 7 बजे मृत्यु हो गई थी 23 फरवरी को पिता जी का मिट्टी की मिटटी कार्यक्रम हुआ। पिता लिंगोवासी तिरूमाल धन सिंह उईके जी बड़े समाजसेवी थे, उस समय पिता जी गोंडवाना महासभा के उपाध्यक्ष थे। 
रावेन शाह के संघर्ष को लेकर आगे गोंडवाना समय के संपादक द्वारा पूछने पर रावेन शाह उईके ने बताया कि वर्ष 2010 से वर्ष 2012  के बीच मेरे बड़े भाई की मेहनत के साथ हम भाईयों बचपन का सफर कर्ज के बोझ में चलता रहा। पिताजी के इलाज से कर्ज बढ़ा था उनके मर्ज की दवा तो आर्थिक परिस्थिति के चलते कम नहीं कर पाये लेकिन उनके द्वारा दिये गये समाजिक संस्कार के बल पर समाजसेवा का संकल्प तन-मन में बसने के पीछे सिर्फ पिता जी की प्रेरणा और बड़े भाई का मार्गदर्शन हैं। गोंडवाना के कार्यक्रम मे हम किशोरावस्था से ही जाते रहे हैं। इसलिए गोंडवाना का प्रेम लगाव दिल से जुड़ा हुआ है। गोंडवाना के कई कैडर, सम्मेलन में शामिल हुआ और जैसे जैसे समझ विकसित होने लगी तो स्वाभिमानी जीवन की कला ने समाजसेवा के क्षेत्र में प्रवेश कराया है।

इसलिए की गोंडवाना का जुनून दिल में लेकर चलता हूँ

आगे रावेन शाह उईके बताते है कि अब परिवर की जिम्मेदारी बड़े भाई ने संभाल लिये है और मुझे समाजसेवा के लिये परिवारजनों ने गोंडवाना के नाम अर्पित कर दिया है। रावेन शाह उईके बताते है कि हम 5 एकड़ करते हैं जो कि जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर है ग्राम बकोड़ा सिवनी में स्थित है। मेरी इस पहचान के पीछे बड़ा संघर्ष छुपा हुआ है, हालांकि हालत आज भी कठिन दौर से गुजर रहे हे लेकिन किसी को बताते नहीं। मैं डर के बावजूद काम करता हूं। मैं शंका के बावजूद काम करता हूं। मैं चिंता के बावजूद काम करता हूं। मैं असुविधा के बावजूद काम करता हूं। मैं कष्ट के बावजूद काम करता हूं। मैं मूड न होने के बावजूद काम करता हूं।

शैक्षणिक, संस्कृति, भाषा, संवैधानिक दिशा में समाज को बढ़ाने का चुना रास्ता 

गोंडवाना समय संपादक से चर्चा में रावेन शाह उईके ने बताया कि मैं अपना, बड़े भाई और परिवारजनों का संघर्ष को देखते हुये आर्थिक समस्या में शैक्षणिक अध्ययन में आने वाली आर्थिक संकट को बहुत करीब देखा और झेला है। यही कारण रहा कि मैंने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को हीं नहीं शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से आगे बढ़ने के लिये प्रयास करने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग के माध्यम से प्रशिक्षण देने का काम कोयान द विजन इंस्ट्यिूट के माध्यम से प्रारंभ किया। आज के समय में शैक्षणिक क्षेत्र में महंगी कोंचिंग क्लासेस और बढ़ती प्रतिस्पर्धा में विशेष अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र पिछड़ जाते थे क्योंकि अधिकांश जनजाति समुदाय की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनका शैक्षणिक विकास अवरूद्ध हो जाता था। ऐसे योग्य विद्यार्थियों को कोयान द विजन इंस्ट्यिूट के माध्यम से नि:शुल्क कोंचिंग प्रारंभ करते हुये और इसमें नि:स्वार्थ भावना से समाज सेवा करने वालों ने खुलकर साथ पहले भी दिया और आज भी दे रहे है।
इसके साथ जनजाति समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज, परंपरा, गोंडी भाषा और विशेष जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों की जानकारी भी कोयान द विजन इंस्ट्यिूट में दिया जाता है। पीएससी से लेकर अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयार कराई जाती है। इसके साथ आॅनलाइॅन परीक्षा भी आयोजित करवाई जा चुकी है। 

गोंड समाज महासभा का माना आभार

आगे चर्चा में रावेन शाह उईके ने बताया कि गोंडवाना गौरव सम्मान के लिये मेरा नाम का चयन करने के लिये गोंड समाज महासभा के प्रांतीय, जिला-ब्लॉक सहित समस्त निर्णायकों को आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि मेरे संघर्ष, मेरी योग्यता, क्षमता व मेहनत को उन्होंने जांचा-परखा और मुझे गोंडवाना गौरव सम्मान के लायक समझा। गोंड समाज महासभा द्वारा गोंडवाना गौरव सम्मान मुझे प्रदान किया गया है यह गोंडवाना के गौरव को बढ़ाने के लिये निरंतर कार्य करने के लिये हमेशा हौंसला बढ़ाता रहेगा।
  

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