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फीस के अभाव में वार्षिक परीक्षा से कोई भी विद्यार्थी वंचित न हो पाये-हेमंत सोरेन

फीस के अभाव में वार्षिक परीक्षा से कोई भी विद्यार्थी वंचित न हो पाये-हेमंत सोरेन 

रांची। गोंडवाना समय। 
अक्सर देखा जाता है कि वार्षिक परीक्षा के समय प्रवेश पत्र देने या परीक्षा में नहीं बैठने के देने के लिये निजी स्कूल संस्थान के द्वारा विद्यार्थियों को परेशान-प्रताड़ित मजबूर किया जाता है। कई बार परिवार की आर्थिक स्थिति किसी कारणवश ठीक नहीं होने के कारण अपने बच्चों की फीस परिवार के मुखिया द्वारा नहीं पटाया जाता है तो विशेषकर निजी स्कूल प्रबंधन इस मामले में अधिकांशतय: कोई समझौता नहीं करते है बिना फीस लिये न तो प्रवेश पत्र देते है और न ही वार्षिक परीक्षा में बैठते है। ऐसी स्थिति में कई बार गरीब या आर्थिक परिस्थिति से जूझ रहे विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा के समय तनाव में रहते थे वहीं कई बार परीक्षा देने से भी वंचित रह जाते है। 

सभी स्कूलों के लिये दिये निर्देश 

इस मामले को गंभीरता से लेते हुये झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन कहा है कि किसी भी निजी या पब्लिक सेक्टर आदि स्कूल में अभी होने वाली वार्षिक परीक्षा में फीस के अभाव में किसी भी विद्यार्थी को परीक्षा में सम्मिलित होने से नहीं रोकने का स्पष्ट निर्देश दिया है उन्होंने कहा कड़क लहजे में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि फीस के अभाव में वार्षिक परीक्षा से वंचित कोई भी विद्यार्थी ने हो पाये यह सुनिश्चित करें। 

10 वी एवं 12 वी की परीक्षा को लेकर दिये निर्देश 

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने सोमवार को झारखंड मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान एक स्पष्ट निर्देश दिया है कि आगामी आयोजित होने वाली 10 वीं एवं 12वीं तथा किसी भी वर्ग की वार्षिक परीक्षा में स्कूल प्रबंधन चाहे वो कोल इंडिया के द्वारा संचालित स्कूल हो, सरकारी स्कूल अथवा निजी स्कूल हो, फीस के अभाव में किसी भी विद्यार्थी को परीक्षा देने से वंचित नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने शिक्षा विभाग को इसे प्रमुखता से लागू कराने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री कमल नाथ भी भोपाल के एक मामले में हुये थे नाराज   

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के शाहजहाँनाबाद स्थित सरस्‍वती को-एड हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल की एक छात्रा को फीस नहीं दे पाने के कारण खड़े होकर परीक्षा देने के लिए मजबूर का मामला सामने आया था। हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी फीस नहीं दे पाने के कारण बीते वर्ष मार्च 2019 में प्राचार्य ने 
टीचर को आदेशित किया था जिस पर टीचर ने छात्रा को खड़े होकर परीक्षा देने के लिये मजबूर किया था और परीक्षा में बैठने तो दिया था लेकिन बैठकर पेपर नहीं देने दिया गया था। छात्रा ने कई बार गुजारिश की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दो दिन तक प्रताड़ना सहने के बाद छात्रा ने पिता से शिकायत की। जिसके बाद उसे शुक्रवार को बैठकर पेपर देने दिया गया।

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