Type Here to Get Search Results !

मुख्य सड़क के किनारे मुरम उत्खनन के साथ हरे-भरे वृक्षों का हो रहा कत्लेआम

मुख्य सड़क के किनारे मुरम उत्खनन के साथ हरे-भरे वृक्षों का हो रहा कत्लेआम 

सिवनी। गोंडवाना समय।
जिला मुख्यालय सिवनी से लगभग 7 किलोमीटरी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत मैली के ग्राम बामनदेही व बोरदई ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित आदिवासी किसान की भूमि पर रात-दिन जेसीबी मशीन के सहारे मुरम उत्खनन का किया जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शी की माने तो आदिवासी किसान की जमीन से हजारों डम्फर मुरम का उत्खनन किया जा चुका है। आदिवासी की जमीन पर उत्खनन का कार्य की गति व जमीन पर उत्खनन की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुरम उत्खनन के कार्य में खनिज विभाग व राजस्व विभाग की भूमिका पूर्णतय: सहमति नियमों को तोड़ने के लिये संरक्षण के रूप में नजर आ रही है। उत्खनन के दौरान आर्थिक लाभ कमाने के चक्कर में वन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर हरे-भरे पेड़ों को जड़ सहित उखाड़कर फैंकने वालों पर कार्यवाही किये जाने के लिये संज्ञान लेना संबंधित विभाग के जिम्मेदारों पर निर्भर करता है। 

हरे-भरे पेड़ों को जड़ सहित उखाड़कर फैंका 

सिवनी मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर ही बेखौफ होकर मुख्य सड़क के किनारे ही हरे-भरे पेड़ों को मुरम उत्खनन का कार्य करने वाले संबंधितों के द्वारा आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से वन एवं पर्यावरण को भी क्षति पहुंचाई जा रही है। मुरम उत्खनन के दौरान बड़े-बड़े हरे-भरे पेड़ों को जड़ सहित उखाड़कर फैंका जा 
रहा है। ग्रामीणजनों की माने तो मुरम उत्खनन का कार्य करने वालों के द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाकर और संबंधित विभागों के संरक्षण में मुरम उत्खनन के दौरान हरे-भरे पेड़ों को भी उखाड़कर फैंका जा रहा है। जिसके कारण कई वर्षों के हरे-भरे पेड़ों का नुकसान हो रहा है। 

वन पर्यावरण की सुरक्षा की सीख सिर्फ जनता के लिये 

सरकार, शासन-प्रशासन और संबंधित विभागों के द्वारा वन पर्यावरण की सुरक्षा की सीख, संदेश व पाठ प्रचार प्रसार के माध्यम से और दीवारों में नारे लिखकर जनता को ही समझाने और मानने के लिये संदेश दिया जाने का काम किया जाता है। जिस तरह से जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य सड़क के किनारे ही हरे-भरे पेड़ों का कत्ल खुलेआम किया जा रहा है लेकिन उसे न तो कोई देखने वाला है और टोकने वाला है। जबकि मुख्य सड़क होने के कारण समस्त विभागों के वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिकारियों का आवागमन होता है लेकिन किसी की निगाहे में यह दिखाई नहीं दे रहा है। 

एक दूसरे पर टालने और शिकायत करने की ताकता है राह विभाग

वन पर्यावरण को नुकसान किये जाने के मामले में अक्सर यह देखा जाता है कि जब भी मीडियाकर्मियों द्वारा ऐसे मामलों को अवगत कराय जाता है कि तो वे राजस्व और वन विभाग की सीमा होने की बात कहकर एक दूसरे पर टालने का प्रयास करते है। इसके साथ ही एक बहाना मुंह पर रटा रटाया होता है कि हमें किसी ने इसकी शिकायत नहीं किया है। जबकि यदि देखा जाये तो संबंधितों को सरकारी सेवा में इन्हीं कर्तव्यों को पूर्ण करने के लिये रखा जाता है लेकिन उसके बाद भी उन्हें शिकायत का ही इंतजार रहता है और यदि किसी ने शिकायत कर भी दिया तो निराधार का आधार विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के पास होता है। 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.