लॉकडाउन के कारण खंडपीठों का काम करना हो गया मुश्किल
15 अप्रैल के बाद की अवधि के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर करेगा निर्भर
केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का प्रेस वक्तव्य
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के प्रधान खंडपीठ तथा पूरे देश में स्थित खंडपीठों का यह हमेशा से प्रयास रहा है कि यथासंभव ज्यादा से ज्यादा मामलों को निपटाया जाए और कार्य इस प्रकार किये जाएं कि शिकायतों के समाधान के लिए न्यायाधिकरण पहुंचे व्यक्ति संतुष्ट हो सकें। तथ्य यह है कि फरवरी, 2020 तक मामलों को निपटाने की दर असाधारण रही है।
अधिवक्ता और न्यायाधिकरण के कर्मचारी कार्य करने की स्थिति में नहीं रह गए
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण बैठकों की वैकल्पिक व्यवस्था की गई ताकि एक-दूसरे से आवश्यक दूरी बनाये रखने का पालन किया जा सकें। हालांकि सरकार द्वारा उठाए गये कदमों के कारण 22 मार्च से यह भी असंभव हो गया। लॉकडाउन के कारण खंडपीठों का काम करना मुश्किल हो गया क्योंकि अधिवक्ता और न्यायाधिकरण के कर्मचारी कार्य करने की स्थिति में नहीं रह गए।
क्योंकि आवश्यक उपकरण अवसंरचना उपलब्ध नहीं
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई जारी रखने का विकल्प मौजूद नहीं था क्योंकि आवश्यक उपकरण अवसंरचना उपलब्ध नहीं है तथा लॉकडाउन को देखते हुए उपकरणों की खरीद भी नहीं की जा सकती है। प्रधान खंडपीठ वास्तव में 2 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2020 तक के अल्प अवकाश पर जाने वाली थी। आगे की क्रिया विधि का निर्णय 15 अप्रैल, 2020 के बाद की अवधि के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर करेगा। यदि न्यायालयों के संचालन की थोड़ी भी संभावना बनती है तो इसका उपयोग किया जाएगा।