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डिंडौरी और मंडला में बनेंगी 3 जल विद्युत परियोजनायें, विस्थापित होंगे सैकड़ो गांव

डिंडौरी और मंडला में बनेंगी 3 जल विद्युत परियोजनायें, विस्थापित होंगे सैकड़ो गांव 

मध्य प्रदेश में 10,627 करोड़ यूनिट बिजली उपलब्ध और प्रदेश की कुल खपत मात्र 7,551 करोड़ यूनिट

विस्थापन, जल, जंगल, जमीन, जैव विविधता पर पड़ेगा प्रभाव  

सिवनी/मंडला/डिंडौरी। गोंडवाना समय। 
26 मई 2020 को भारत सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दिया गया है कि पावर फाइनेंस कॉपोर्रेशन, दिल्ली और नर्मदा बेसिन प्रोजेक्टस कम्पनी लिमिटेड, मध्यप्रदेश के बीच 22 हजार करोड़ का अनुबंध हुआ है। इसमें नर्मदा घाटी के 225 मेगावाट जल विद्युत और बहुदेशीय 12 परियोजनाएं शामिल है। ज्ञात हो कि नर्मदा घाटी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 29 बड़े बांध प्रस्तावित है। जिसमें बरगी, तवा, बारना, इंदिरा सागर(पुनासा), ओंकारेश्वर, महेश्वर, मटियारी, हालोन आदि बांध का निर्माण हो चुका है। हालोन बांध से  मंडला एवं बालाघाट के अधिकतर विस्थापित परिवार आज भी पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। 

बढ़ सकती है अनुमानित लागत 

बरगी बांध के उपर अपर नर्मदा, अपर बुढनेर, राघवपुर, रोसरा और बसानिया(सिंगापुर) बांध बनना बांकी है। भारत सरकार और मध्यप्रदेश के बीच हुए अनुबंध के अन्तर्गत डिंडोरी और मंडला जिले के राघवपुर, रोसरा एवं बसनिया बांध से 65 मेगावाट जल विद्युत परियोजना बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसमें बसनिया बांध का उल्लेख किया गया है। इन तीनों विद्युत परियोजनाओ हेतु 8367 हैक्टर क्षेत्र में बसे किसानों को विस्थापित किया जाएगा। वर्ष 2011 की जानकारी अनुसार इन तीन परियोजनाओं पर कुल 1283.12 करोड़ रुपए की लागत अनुमानित थी। अब इसकी लागत दोगुनी से ज्यादा आंकी जा रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में यह दिया जवाब 


03 मार्च 2016 के विधानसभा सत्र में विधायक जितेंद्र गहलोत द्वारा नर्मदा नदी पर 29 बड़े बांध की योजना को लेकर पूछे गये प्रश्न के जवाब में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित जबाब दिया था कि राघवपुर, रोसरा, बसनिया, अपर बुढ़नेर आदि परियोजना नए भू अर्जन अधिनियम से लागत में वृद्धि होने, अधिक डूब क्षेत्र होने, डूब क्षेत्र में वनभूमि आने से असाध्य होने के कारण निरस्त की गई है। विदित हो कि महिना भर पहले राज्य सरकार ने नर्मदा घाटी में 26 साल पुरानी महेश्वर बिजली परियोजना के समझौते को रद्द कर दिया था। इसमें 18 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलनी थी।

विद्युत का मध्य प्रदेश में खपत ज्यादा है उत्पादन 

आज देश में सरप्लस बिजली उपलब्ध है। मध्य प्रदेश के पास 10,627 करोड़ यूनिट बिजली उपलब्ध है और प्रदेश की कुल खपत मात्र 7,551 करोड़ यूनिट है अर्थात मध्य प्रदेश के संपूर्ण खपत के बाद भी 3076 करोड़ यूनिट बिजली सरप्लस के रूप में उपलब्ध है तो सवाल यह उठता है कि इस तरह की जल विद्युत परियोजना हेतु लोगों को विस्थापित करना और सघन जंगल, जैव विविधता नष्ट करना आवश्यक है?

बरगी बांध से विस्थापितों का दर्द आज भी कायम 

बरगी बांध से 162 गावों के विस्थापितो को 30 साल बाद भी व्यवस्थित न कर पाने वाली सरकार एक बार फिर विकास के नाम पर सैकड़ों आदिवासी, दलित, किसान, वंचितों को उजाड़ने की योजना बना रही है। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ राज्य सरकार से मांग करता है कि इस तरह की परियोजना को रद्द कर नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों को संरक्षित करने की दिशा में कार्य करे।

एनबीपीसीएल के साथ समझौता ज्ञापन पर किये हस्ताक्षर 

पीएफसी ने मध्यप्रदेश में 22,000 करोड़ रुपए की 225 मेगावाट क्षमता की पनबिजली परियोजनाओं एवं बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एनबीपीसीएल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। ऊर्जा मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम और भारत की अग्रणी एनबीएफसी ऊर्जा वित्त निगम (पीएफसी) ने मध्य प्रदेश राज्य में 22,000 करोड़ रुपए की 225 मेगावाट क्षमता वाली पनबिजली परियोजनाओं और बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए मध्य प्रदेश सरकार की संपूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट कंपनी लिमिटेड (एनबीपीसीएल) के साथ एक समझौता किया ।

एनबीपीसीएल धन मुहैया कराएगी

मध्य प्रदेश में 225 मेगावाट क्षमता की पनबिजली परियोजनाओं और 12 प्रमुख बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के ऊर्जा घटकों की स्थापना के लिए एनबीपीसीएल धन मुहैया कराएगी। समझौता ज्ञापन पर पीएफसी के सीएमडी श्री राजीव शर्मा और एनबीपीसीएल के प्रबंध निदेशक श्री आई सी पी केशारी ने वर्चुअल मंच पर हस्ताक्षर किए। मध्य प्रदेश की सरकार ने इन परियोजनाओं का व्यवहार्यता-पूर्व अध्ययन कराया और उनके क्रियान्वयन को मंजूरी दी। धन की आपूर्ति परियोजना के क्रियान्वयन के साथ की जाती रहेगी।

पनबिजली संयंत्रों को धन मुहैया कराने में मदद मिलेगी

इस समझौता ज्ञापन से पीएफसी को एनबीपीसीएल के साथ सक्रिय रूप से भागीदारी करने और 12 बड़ी बहु-उद्देशीय परियोजनाओं को लागू करने के राज्य सरकार के उद्यम के एक हिस्से के रूप में बहुद्देशीय परियोजनाओं के ऊर्जा घटकों के साथ ही 225 मेगावाट की क्षमता वाले पनबिजली संयंत्रों को धन मुहैया कराने में मदद मिलेगी। इस समझौते के तहत बसानिया बहुद्देशीय परियोजना डिंडोरी, चिंकी बोरस बहुउद्देशीय परियोजना नरसिंहपुर रायसेन होशंगाबाद, सक्कर पेंच लिंक नरसिंहपुर छिंदवाड़ा, दुधी परियोजना छिंदवाड़ा होशंगाबाद इत्यादि जैसी कुछ बड़ी बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। पीएफसी उचित लगन और आपस में स्वीकार्य शर्तों के आधार पर एनबीपीसीएल को वित्तीय मदद देने पर विचार करेगी।

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