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यूपी कोरोना राहत का सरकारी गेंहूं मप्र के सागर जिले में जब्त

यूपी कोरोना राहत का सरकारी गेंहूं मप्र के सागर जिले में जब्त

समर्थन मूल्य पर एमपी सरकार को बेचा जा रहा था

नागरिक आपूर्ति मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में हो रही धांधली 

सागर। गोंडवाना समय।
उत्तर प्रदेश के कोविड 19 में गरीबों को मुफ्त वितरित हो रहे गेंहूँ के घोटाले का बड़ा मामला सागर में उजागर हुआ है। मामले में नौ लोगों के खिलाफ विधिवत एफआईआर हो चुकी है लेकिन इसकी जांच में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
पांच ट्रकों और तीन ट्रालियों में लदा कुल 959 बोरा गेंहूं अब तक पकड़ा जा चुका है। ट्रकों पर कोविड-19 राहत के पर्चे चिपके हैं और बोरों पर कोविड-19 की मोहर लगी है।

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कड़ी कार्यवाही की बात कहीं

यह सारा गेंहू उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती ललितपुर जिले से मध्य प्रदेश के सागर जिले में लाकर यहां के सीहोरा सहकारी समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र, उपकेंद्र भैंसा और उपकेंद्र भापेल में तुलवाया जाकर मप्र सरकार को समर्थन मूल्य यानि 1925 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा जा रहा था। बाद में मध्य प्रदेश शासन प्रति क्विंटल पर कुछ बोनस भी राशि भी घोषित करता है। यह सभी केंद्र मध्य प्रदेश शासन के नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के हैं। जहां से वे फिर से चुनाव लड़ने वाले हैं। मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने मामले में कड़ी से कड़ी कार्यवाही किए जाने की बात कही है।

रसूखदारों को छोड़ तीन समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों के प्रबंधकों पर कार्यवाही 

एफआईआर में तीन समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों के प्रबंधकों, राय वेयर हाउस सीहोरा के संचालक जो कि सागर जिला पंचायत सदस्य के रिश्तेदार हैं, एक स्व सहायता समूह के सदस्यों के नाम हैं। रघु जैसे कुछ रसूखदारों के नाम छोड़े जाने की खबर है। यूपी की कोरोना राहत का गेंहूं मालथौन स्थित दोनों प्रदेशों के चैकपोस्ट बैरियरस को क्रास करने के बजाए मड़ावरा मदनपुर नोंनिया तिराहा से होता हुआ लगभग डेढ़ सौ किमी दूर सागर में सीहोरा के राय बेयर हाऊस में आकर ट्रालियों में पल्टी होता था। फिर किसानों के गेहूँ के रूप में समर्थन मूल्य केंद्र पर तुलवाया जाता था। 

जिला प्रशासन की मिली खबर तो एसडीएम व टीआई ने की छापामार कार्यवाही 

तीन ट्रक बेयर हाऊस से पकड़े गये और दो ट्रक और ट्रालियां बेयर हाऊस के पीछे स्थित खरीदी केंद्र से पकड़े गये है। सागर जिला प्रशासन को किसी ने खुफिया जानकारी दी थी कि यूपी का गेंहूं इन केंद्रो पर तुल रहा है। तब एसडीएम और टीआई राहतगढ़ ने यह छापामार कार्यवाही की थी। इस पूरी चेन में यूपी ललितपुर के वेयर हाऊस प्रबंधक, खरीदी केंद्र सर्वेयर भी शामिल होंगे जिन्हें जांच का सामना करना होगा।

जांच के दायरे में आ सकते है ललितपुर कलेक्टर

आश्चर्यजनक रूप से ललितपुर कलेक्टर ने दिन में ही सफाई देकर यह कहकर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की थी कि कुछ किसान और व्यापारी टैक्स बचाने के लिए ऐसा कर रहे थे। पर उन्हें शायद नहीं मालूम था कि ट्रकों पर कोविड-19 राहत और फुड कापोर्रेशन आफ इंडिया-यूपी सील पूरे मामले की पोल खोल चुकी हैं। इस मामले की जांच को सागर जिला प्रशासन इतना सख्त है कि जांच के दायरे में ललितपुर कलेक्टर भी आ सकते हैं। 

यूपी से अब तक गेंहूं के कितने ट्रक पिछले महीने भर में समर्थन मूल्य पर बिकवाए जा चुके हैं

           बड़ा सवाल यह है कि यह खेल कब से चल रहा था और यूपी से अब तक गेंहूं के कितने ट्रक पिछले महीने भर में समर्थन मूल्य पर बिकवाए जा चुके हैं। घोटालेबाजों ने स्थानीय किसानों के दस्तावेजों का इस्तेमाल आन लाइन रजिस्ट्रेशन कराने में किया होगा क्योंकि इसके बिना खरीदी केंद्रों पर गेंहूं की खरीद संभव नहीं है।
           मामला स्वयं सिद्ध इसलिए है क्योंकि समर्थन मूल्य के रेट यूपी में भी वही हैं जो एमपी में हैं तो फिर इतनी लागत लगा कर माल दूसरे प्रदेश में बेचे जाने का औचित्य ही नहीं है। गेंहूं के कोरोना राहत के चावल, दाल को भी सागर जिले में लाकर बेचे जाने की संभावना जताई जा रही है जिसे ललितपुर के कुछ व्यापारियों और अधिकारियों ने मिलकर ठिकाने लगाया है।

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