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लॉक डाउन में इंजीनियरों का फेरबदल, कई खामियां, कुशल इंजीनियरों को कम, निकृष्ट को ज्यादा पंचायतों का ईनाम

लॉक डाउन में इंजीनियरों का फेरबदल, कई खामियां, कुशल इंजीनियरों को कम, निकृष्ट को ज्यादा पंचायतों का ईनाम

आरईएस कार्यपालन यंत्री और जिला पंचायत सीईओ की जुगलबंदी से हुआ फेरबदल 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री और जिला पंचायत सीईओ व कुछ अफसरों की जुगलबंदी ने लॉक डाउन के बीच जिले की आठो पंचायत में पदस्थ्य इंजीनियरो के सेक्टरों का फेरबदल कर कुछेक इंजीनियरो का एक जनपद से दूसरे विकासखण्ड में तबादला कर दिया है। लॉक डाउन के बीच आनन फानन में सेक्टर में किये गए बदलाव में कई खामियां भी है। सूची खुद बखुद बयां कर रही है।
               
वहीं जारी की गई सूची में सरकार की योजनाओं को बेहतर तरीके से काम कर योजना की रफ्तार बढ़ाने वाले इंजीनियरो की उपेक्षा कर उनके सेक्टरों में निकृष्ट और काम में रुचि न लेकर खुद ठेकेदार या देकेदारी प्रथा से काम कराने वाले इंजीनियरों को पदस्थ कर दिया गया है। सबसे अहम बात तो यह है एक ऐसे इंजीनियर को शहर के किनारे की पंचायत सौप दी गई है जिसकी जांच चल रही थी। हालांकि उक्त जांच में इंजीनियर ने तगड़ी सेटिंग लगाकर क्लीन चिट ले ली है।

एक सेक्टर में उत्तर दक्षिण की पंचायत

इंजीनियरों के बदले गए सेक्टरों में आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री ने विभागीय इंजीनियर श्रीमती शिखा राय को सेक्टर के उत्तर दक्षिण की पंचायत आवंटित कर दी गई। नागपुर जबलपुर में रोड की पंचायत दी गई है। जिसमें एक पंचायत लूघरवाड़ा और बाकी पंचायत सीलादेही, नंदौरा, गोपालगंज क्षेत्र की है।

बार बार ट्रांसफर

बिना किसी शिकायत शिकवा के इंजीनियर रमेश विश्वकर्मा का ट्रांसफर बार बार किया जा रहा है। एक से डेढ़ साल पहले घंसौर से सिवनी ट्रांसफर किया गया था। उसके बाद जनपद पंचायत सिवनी की ग्राम पंचायत में कुछ समय काम करने के बाद कांग्रेस कार्यकाल में केवलारी ट्रांसफर कर दिया गया और एक महीने के बाद सिवनी जनपद ट्रांसफर कर दिया गया था।
           जहां तीन चार माह आरईइस विभाग की ईई श्रीमती ऊषा चौधरी द्वारा कोई प्रभार नही दिया गया था। फरवरी-मार्च में जैसे तैसे सेक्टर मिला लेकिन इससे पहले की वे पंचायतों में काम करते कोरोना महामारी आ गई और अब आरईएस विभाग और जिला पंचायत की जुगलबंदी से उनका ट्रांसफर घंसौर विकासखण्ड में कर दिया गया है। जिससे अफसरों की पताड़ना की कार्यवाही को प्रदर्शित कर रही है। 

सिद्धार्थ से सध गये जांच अधिकारी 

वही दूसरी तरफ इंजीनियर सिद्धार्थ पांडेय की शिकायत शिकवा के बावजूद उसे पीपरडाही सेक्टर ओर 12 पंचायत आवंटित कर दी गई है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी अनुसार घंसौर में रहते हुए इंजीनिय सिद्धार्थ पांडेय की शिकायत हुई थी। जिसमे मनरेगा के पीओ रहे एसके धुर्वे ने जांच की थी और कई अनियमितताएं पाई थी। इसके बाद सिवनी जनपद में भी शिकायत हुई थी। जिसकी जांच प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के अधिकारियों के द्वारा की गई थी लेकिन तगड़ी सेटिंग के साथ वे क्लीन चिट हो गए।
           हालांकि इंजीनियर खुद भी इतने कांफिडेंस में थे कि उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होगी। इसका मतलब साफतौर पर लेनदेन को लेकर इशारा कर रहा है। दूसरी तरफ जनाब ये इंजीनियर जांच के दौरान केवलारी अटेच किये जाने पर सिवनी के कलार बांकी सेक्टर की पंचायतों में फाइल ओर मूल्यांकन का कार्य भी निपटाते रहे।
         जिला पंचायत के अधिकारी ये तो कहते रहे कि नियम विरुद्ध है लेकिन नियम विरुद्ध के बावजूद आखिर क्यों कार्यवाही नही की गई यह सवाल खड़ा हो रहा है। सूत्र बताते है कि सिद्दार्थ पांडेय के सेक्टर की पंचायतों के मटेरियल बिलो की जांच हो जाये तो एक ही फर्म के बिल और उनके हस्ताक्षर युक्त बिल ही पाए जाएंगे जिससे उनकी कार्य शैली प्रदर्शित हो सकती है।

सेक्टर को दो उपयंत्रियों में बांटा

जनपद सिवनी में पदस्थ्य उपयंत्री श्रीमती शशि चौधरी, श्रीमती सोनिया सोनी ओर अपूर्वा जोशी की कोई शिकायत शिकवा नही है। इसके बावजूद उनके सेक्टरों को दो-दो उपयंत्रियों में बांट दिया गया है।  

कम प्रोगेस वाले इंजीनियर को उत्कृष्ट पंचायत 

लोनिया मुंगवानी क्षेत्र के सेक्टर में पदस्थ्य इंजीनियर हेमन्त जंघेला पर मेहरबान होकर ईई श्रीमती ऊषा चौधरी द्वारा एकाएक लॉक डाउन में  मुण्डरई सेक्टर की पंचायत सौप दी गई है। जो सेक्टर इंजीनियर अरविन्द अहिरवार के पास था और हमेशा उस क्षेत्र में योजनाओ की प्रोग्रेश अच्छी रहती थी।
             वहीं सरपंच के माध्य्म से काम कराया जाता था। जिस क्षेत्र में पहले इंजीनियर हेमंत जंघेला पदस्थ्य थे उस क्षेत्र में ठेकेदार हावी रहे है और काम की प्रोग्रेश भी कम रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि विभागीय अधिकारी लेनदेन कर सेक्टर का वितरण किया गया है। इसके अलावा सेक्टर वितरण में कई खामियां है जिसको लेकर कई तकनीकी अधिकारी परेशान है और तनाव ग्रस्त है।

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