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जनजातीय भारत में एमएफपी के लिए एमएसपी की गहरी हुईं जड़े

जनजातीय भारत में एमएफपी के लिए एमएसपी की गहरी हुईं जड़े

गौण वन ऊपज एमएसपी से जनजातीय अर्थव्यवस्था में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का समावेश

मेरा वन, मेरा धन, मेरा उद्यम वर्तमान के लिए और भविष्य के लिए आदर्श वाक्य है

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 
अप्रैल 2020 से केंद्र सरकार तथा राज्य के फंडों के जरिये 835 करोड़ रुपये के बराबर एवं निजी व्यापार (मंडियों/हाट बाजारों में बिक्री के जरिये) के माध्यम से लगभग 1200 करोड़ रुपये की कुल खरीद के साथ 17 राज्यों में गौण वन ऊपज मदों की खरीद आरंभ हो गई है। इससे वर्ष के लिए कुल खरीद 2000 करोड़ रुपये के बराबर हो गई है तथा इसने जनजातीय लोगों को उनकी गौण वन ऊपजों के बदले में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण उपलब्ध कराई है।

कार्यान्वयन के एक वर्ष के भीतर ही सफल साबित हुई

इसका खुलासा बीते दिनों नई दिल्ली में ट्रिफेड द्वारा आयोजित एक वेबीनार में मीडिया को संबोधित करने के दौरान किया गया। इस वेबीनार का शीर्षक था जनजातीय भारत में एमएफपी के लिए एमएसपी की गहरी हुईं जड़ें और इसकी अध्यक्षता ट्रिफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा ने की।
          जनजातीय मामले मंत्रालय की एक पहल, वन धन योजना (स्टार्ट-अप्स स्कीम) 1205 जनजातीय उद्यमों की स्थापना एवं 22 राज्यों में 3.6 लाख जनजातीय संग्रहकतार्ओं तथा 18000 स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ अपने कार्यान्वयन के एक वर्ष के भीतर ही सफल साबित हुई है। इसके सफल कार्यान्वयन ने देश भर में गौण वन ऊपज स्कीम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की जड़ों को गहरा करने में एक उत्प्रेरक का काम भी किया है।

व्यापार में जनजातीयों के लिए एक कानूनी उचित सौदा उपलब्ध कराती है

श्री प्रवीर कृष्णा ने एक प्रस्तुति के माध्यम से समझाया कि आरंभ में यह स्कीम दो राज्यों तक ही सीमित थी लेकिन अब यह 17 राज्यों ( इसमें आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं) तक विस्तारित हो गई है। श्री प्रवीर कृष्णा ने इस स्कीम के महत्व की व्याख्या की और बताया कि किस प्रकार यह गौण वन ऊपज (एमएफपी) के व्यापार में जनजातीयों के लिए एक कानूनी उचित सौदा उपलब्ध कराती है।

एमएसपी ने सभी राज्यों के लिए अवसर प्रस्तुत किया

वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न अभूतपूर्व परिस्थितियों ने कई चुनौतियां पेश कीं और इसका परिणाम जनजातीय आबादी के बीच एक बड़े संकट के रूप में सामने आया। युवाओं के बीच बेरोजगारी, जनजातीयों के विपरीत प्रवास से पूरी जनजातीय अर्थव्यवस्था के पटरी से उतर जाने का खतरा पैदा हो गया। इसी परिदृश्य में एमएफपी के लिए एमएसपी ने सभी राज्यों के लिए अवसर प्रस्तुत किया।

एमएसपी की कीमतों में 90 प्रतिशत तक की बढोतरी कर दी

अप्रैल-जून के गौण वन ऊपज के संग्रह के लिहाज से शीर्ष महीने होने के कारण यह स्पष्ट था कि बिना सरकारी अंत:क्षेप एवं खरीद के जनजातीयों के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 द्वारा सृजित परिस्थितियों में, यह विनाशकारी साबित होता।
         इस संबंध में, विपदा की इस घड़ी में जनजातीय आजीविकाओं को बढ़ावा देना और उनकी सुरक्षा करने के लिए राज्यों तथा जनजातीय मामले मंत्रालय के बीच एक संयुक्त कार्यनीति का प्रारूप तैयार करने के लिए कई बैठकों (वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये) का संचालन किया गया।
            शिथिल पड़ रही जनजातीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, 1 मई, 2020 को एमएफपी के लिए एक संशोधित एमएसपी जारी की गई है जिसने एमएफपी के लिए एमएसपी की कीमतों में 90 प्रतिशत तक की बढोतरी कर दी और इस प्रकार जनजातीय संग्रहकतार्ओं के लिए उच्चतर आय उपलब्ध कराने में सहायता की।

एमएसपी के तहत 23 नई मदों को जोड़े जाने की भी अनुशंसा की

मंत्रालय ने एमएफपी सूची के लिए एमएसपी के तहत 23 नई मदों को जोड़े जाने की भी अनुशंसा की है। इन मदों में जनजातीय संग्रहकतार्ओं द्वारा संग्रहित कृषि संबंधी एवं बागवानी संबंधी ऊपज शामिल है। श्री कृष्णा ने बताया कि कि किस प्रकार सोशल डिस्टैंसिंग उपायों का पालन करने एवं उनके प्रचालनों को जारी रखने के लिए आवश्यक स्वच्छता बरकरार रखने के लिए जनजातीय संग्रहकतार्ओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए अप्रैल में यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं जनजातीय मामले मंत्रालय के साथ राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के वेबीनारों का आयोजन किया गया। आदर्श वाक्य तथा कोविड को रोको, कार्य को नहीं। इस संदेश को राज्यों में विज्ञापनों, अभियानों तथा सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किया गया।

एमएसपी स्कीम को 1300 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी

संकट के समय इन असाधारण प्रयासों के बारे में जानकारी देने के बाद, श्री कृष्णा ने दर्शकों को जानकारी दी कि किस प्रकार यह योजना एक बार का प्रयास नहीं है। धारा 275 (1) के तहत कोविड-19 राहत योजना के साथ, जिसके तहत राज्यों को एमएफपी के संग्रह, खरीद, खेती एवं प्रसंस्करण को विस्तारित करने, वन धन केंद्रों की स्थापना करने एवं जनजातीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, जनजातीय उत्पादक कंपनियों एवं समान सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की स्थापना करने, जनजातीय संग्रहकतार्ओं को जनजातीय भोजन एवं पोषण सुरक्षा तथा गैर-भोजन सहायता उपलब्ध कराना, और रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य देखभाल तथा जनजातीय स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्यों को सहायता देने हेतु इस एमएफपी के लिए एमएसपी स्कीम को 1300 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।

सुव्यवस्थित, संस्थागत तरीके से खरीद की जा रही

इस विस्तृत सारांश के बाद, श्री प्रवीर कृष्णा ने यह प्रदर्शित करने के लिए कि किस प्रकार सुव्यवस्थित, संस्थागत तरीके से खरीद की जा रही है, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और असम जैसे राज्यों के वास्तविक उदाहरण प्रस्तुत किए।
          खरीद तदर्थ नहीं है बल्कि इसके लिए एक प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है। प्रत्येक सेंटर के पास एक बोर्ड है तथा वजन करने की मशीन है। संशोधित कीमतों के बारे में जानकारी देने के लिए संचार तथा मैसेजिंग पद्धतियां लागू की गई है।
          इन सभी मामलों के लिए खरीद का मूल्य, खरीदी जाने वाली मदें तथा खरीद केंद्रों की संख्या जैसे विवरण रेखांकित किए गए। श्री प्रवीर कृष्णा ने खुलासा किया कि छत्तीसगढ़ अपने सराहनीय प्रयासों के लिए एक चैंपियन राज्य के रूप में उभरा है। राज्य में 866 खरीद केंद्र हैं और राज्य ने 139 वन धन केंद्रों से वन धन एसएचजी के अपने विशाल नेटवर्क का भी लाभ उठाया है।

जनजातीय लोगों को अधिकारसंपन्न बना सकती है

राज्य द्वारा अपनाए गए एक नवोन्मेषण को विशेष रूप से सराहना प्राप्त हुई। राज्य के रामानुजगंज जिले प्रत्येक दरवाजे पर जाकर संग्रह किया गया। वन, राजस्व एवं वन धन विकास केंद्रों के अधिकारियों से निर्मित्त मोबाइल यूनिटों को तैयार किया गया और उन्होंने प्रत्येक घर जाकर ऊपजों की खरीद की।
        ऐसे प्रयासों के आयोजन में छत्तीसगढ़ की सफलता ने इसे एक आदर्श राज्य बना दिया है और सभी राज्य अपनी टीमों को वहां भेज रहे हैं जिससे कि वे इसका अवलोकन कर सकें और सर्वश्रेष्ठ प्रचलन के रूप में इस पद्धति को कार्यान्वित कर सकें।
         श्री प्रवीर कृष्णा ने भविष्य के लिए महत्वाकांक्षी, फिर भी संभव हो सकने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी देने के द्वारा अपने संबोधन का समापन किया। उन्होंने भरोसा जताया कि सही संमिलन एवं प्रोत्साहन के साथ एमएफपी के लिए एमएसपी जनजातीय परितंत्र को रूपांतरित कर सकती है और जनजातीय लोगों को अधिकारसंपन्न बना सकती है। मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम वर्तमान के लिए और भविष्य के लिए आदर्श वाक्य है।

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