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कोइतुड़ विडार की ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखना हमारा कर्त्तव्य

कोइतुड़ विडार की ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखना हमारा कर्त्तव्य


सिवनी/घाटकोहका। गोंडवाना समय।

घाटकोहका निवासी समाजेवी तिरूमाल वसंत मरावी जी ने जानकारी देते हुये बताया कि प्रतिवर्ष पूनल वंजी (नया धान, फुफुल दाड़ी जो भी फसल नया होता है) उसे दीवारी के दिन अपने पेन पट्टाओ को गोंगो उपरांत अर्पण कर, दूसरे दिन घर के पेन पट्टाओ को भी नये सूपा में नया चांवल, फुफुल दाड़ी के पकवान बनाकर गायों को खिलाया जाता है,


दूसरे दिन गायों को खिरका में ले जाकर खिलाने के उपरांत दिनांक 16-11-2020 को  ग्राम घाटकोहका, तहसील कुरई,  जिला सिवनी (मध्य प्रदेश) में गांव के समस्त कोयतुड़ सगा जनों (गोंड, परधान, लोहार, महार, कलार, चमार) के द्वारा जंगो दाई के प्रतिक (चंडी दाई) एवं लिंगों  बाबा के प्रतिक (टोप्पार) का कोयतुड़ मिजान द्वारा घर-घर में गोंगो किया गया। 

चंडी पाटा गाते हुए घर-घर में गोंगो किया गया


इसके बाद खंडेराय बाबा पेन ठाना में चारों ओर पांच फेरा लगाकर गोंगों कर खड़ेराय बाबा पेन ठाना में जंगो दाई को बांध दिया गया तथा लिंगों बाबा (टोप्पार) को  बीर कंकन ठाना में बांध दिया जाता है। कोइतुड़ विडार के ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर को संजोए कर रखना हमारा कर्त्तव्य है।

वहीं मंडई भी लगती है जिसमें अहीर नृत्य करते हैं, गांव के प्रत्येक विंरदा से हमारे धर्म गुरु पहांदी पाड़ी कुपाड़ लिंगों के प्रतीक (टोप्पार) एवं रायताड़ जंगो के प्रतीक (चंडी दाई /गांगो दाई) को लेकर चंडी पाटा गाते हुए घर-घर में गोंगो किया गया। कोयतुड़ समाज की दु:ख परेशानियों का पेन ठाना में आने से दूर हो जाती है तथा शाम को घर लेकर चले जाते हैं। 

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