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सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों के मददगार होंगे पुरस्कृत-एडीजी श्री सागर

सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों के मददगार होंगे पुरस्कृत-एडीजी श्री सागर

पुरस्कार की प्रविष्ठियाँ एक सप्ताह में आमंत्रित


भोपाल। गोंडवाना समय।

पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (पीटीआरआई) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री डी.सी. सागर ने बताया है कि सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की मदद करने वालों को सरकार पुरस्कृत करेगी। सड़क सुरक्षा की दिशा में आमजनों को दो श्रेणियों में पुरस्कृत किया जायेगा। उन्होंने कहा है कि पीड़ितों की मदद करने वाले व्यक्ति या संस्थान एक सप्ताह में पुरस्कार हेतु अपनी प्रविष्ठियाँ कार्यालय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, पुलिस मुख्यालय जहाँगीराबाद भोपाल भेजी जा सकती हैं। नामांकन, पुरस्कार एवं पुरस्कार राशि के संबंध में विस्तृत जानकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट www.morth.nic.in पर भी उपलब्ध है।

सड़क दुर्घटना में आहत और पीड़ित व्यक्ति की नि:स्वार्थ भाव से मदद करेंगे

एडीजी श्री सागर ने बताया है कि शासन के इस लोकोन्‍मुखी नेक प्रयासों से नेक व्यक्ति बेहिचक सड़क दुर्घटना में आहत और पीड़ित व्यक्ति की नि:स्वार्थ भाव से मदद करेंगे। दुर्घटना के बाद गोल्डन आँवर और इसके पश्चात की गई सहायता से घायलों के समय पर उपचार में निश्चित ही मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन)-2019 की धारा-134-(ए) में नेक व्यक्ति को विधिक संरक्षण प्रदान किया गया है। श्री सागर ने बताया कि मददगारों को पुरस्कृत करने के लिये दो श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं। प्रथम श्रेणी में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/ गैर-सरकारी सामाजिक संगठनों/ ट्रस्ट और विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। द्वितीय श्रेणी में सड़क दुर्घटना के दौरान आपातकाल में महत्वपूर्ण योगदान के लिये ॠङ्मङ्म िरेंं१्रंल्ल२-नेक व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जायेगा। प्रत्येक श्रेणी में प्रदेश स्तर पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान कर मददगारों को सम्मानित किया जायेगा।

किसी भी आपराधिक कार्यवाही से मुक्त रखा गया है

एडीजी श्री सागर ने बताया कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम वर्ष 2019 की धारा-134 (ए) के प्रावधानों के अनुसार ( ॠङ्मङ्म िरेंं१्रंल्ल२- ऐसे नेक व्यक्ति जो सड़क दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति की मदद के लिए आगे आते हैं, उन्हें अधिनियम के अंतर्गत कानूनी प्रावधानों जैसे- न्यायालय के समक्ष साक्ष्य में उपस्थित होना, अस्पताल अथवा अन्य स्थानों पर अपना नाम बताने की बाध्यता) विधिक सुरक्षा के साथ-साथ किसी भी आपराधिक कार्यवाही से मुक्त रखा गया है।


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