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संवैधानिक संघर्ष का असर राष्ट्रपति भवन तक, जयस के ज्ञापन को भारत के राष्ट्रपति ने लिया संज्ञान

संवैधानिक संघर्ष का असर राष्ट्रपति भवन तक, जयस के ज्ञापन को भारत के राष्ट्रपति ने लिया संज्ञान

स्टेच्यू आॅफ यूनिटी केवड़िया गुजरात में हो रहे असंवैधानिक कार्यो को लेकर दिया था ज्ञापन


संवादाता मोहन मोरी-9977979099
भोपाल। गोंड़वाना समय। 

केंद्र सरकार ने 8 ट्रेनों का तोहफा पर्यटकों को गुजरात के केवड़िया 'स्टेच्यु आॅफ यूनिटी' जाने की आवागमन सुविधा के लिये दिया है लेकिन यहां पर निर्माण किये जाने के कारण केवड़िया के आदिवासियों की भूमि अधिग्रहण की गई है। राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नही उठाया, वहाँ के आदिवासियो को न कोई रोजगार दिया है।


आदिवासियों की संवैधानिक अधिकारों दरकिनार करते हुये निर्माण किया गया है। वहीं अब इस मामले में गंभीरता दिखाते हुये महामहिम राष्ट्रपति जी ने जयस के ज्ञापन के बाद संज्ञान लिया है। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिये और आदिवासियों को उनके अधिकारों का हक मिलना चाहिए इसके लिये आगे जयस इसके लिये संघर्ष करता रहेगा। 

केवड़िया की याचिका पर राष्ट्रपति ने गृह सचिव को लिखा पत्र 


जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने अनुसूचित क्षेत्र केवड़िया गुजरात में स्टैच्यू आॅफ यूनिटी एरिया डेवलपमेंट एंड टूरिज्म गवर्नेंस 2019 के नाम पर असंवैधानिक तरिके से बिना ग्रामसभा की अनुमति के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3)क, अनुच्छेद 244 (1),अनुच्छेद 19 (5)(6),तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लंघन करके भूमि अधिग्रहण रोकने तथा अनुसूचित क्षेत्रो में  गुजरात पुलिस एक्ट 1951 तथा सीआरपीसी 1898 के अधीन असंवैधानिक पुलिस कार्यवाही, भूमि अधिग्रहण पर तत्काल रोक की मांग की लेकर जयस द्वारा 26 जून से 30 जून 2020 तक पूरे भारत मे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अनेक राज्यो में अलग-अलग जिले, तहसील, ब्लॉक स्तर पर महमहिम राष्ट्रपति के नाम संवैधानिक ज्ञापन सौपा गया था उक्त ज्ञापन के आधार पर जयस राष्ट्रीय प्रभारी इंजी लोकेश मुजाल्दा को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली से एक पत्र प्राप्त हुआ है। जिसमें केवड़िया की याचिका को भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा संज्ञान में लिया जाकर भारत सरकार के गृह सचिव को इसकी जांच के आदेश दिए, साथ ही पत्र में लिखा है कि इस मामले को लेकर सीधे जयस से बात की जाएगी। 

राष्ट्रपति जी का किया आभार व्यक्त 


जयस यानि आदिवासी समाज की आवाज अब राष्ट्रपति भवन में गूंजने लगी है। संवैधानिक प्रावधानों को लागू करवाने के लिए जयस हमेशा प्रतिबद्ध रहता है। महामहिम राष्ट्रपति ने जयस के ज्ञापन व संवैधानिक मांगों पर आधारित आवेदन को प्रमुखता से स्वीकार किया है। इसके लिये महामहिम राष्ट्रपति का जयस परिवार आदिवासी समाज की ओर से धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते है। वहीं जयस ने मांग किया है कि इस मामले पर जल्द से जल्द करवाई की जाए ओर विस्थापित आदिवासियों को जल्द न्याय मिले, जिससे संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा कायम रहे। वहीं इससे लोकतंत्र ओर संवैधानिक प्रावधानों को मजबूती मिलेगी।

आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात-विक्रम अच्छालिया 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस के संस्थापक विक्रम अच्छालिया ने कहा कि जयस संवैधानिक तरीके से अपनी बातों को शासन-प्रशासन के सामने रख रहा है। संविधान में दिए गए आदिवासियों अधिकारों को लेकर जनजागरूकता का कार्य कर रहा है। जयस के ज्ञापन पर महामहिम राष्ट्रपति जी को भी ध्यान देना पढ़ रहा है, जब आप संविधान की धाराओं के साथ बात करेंगे तब आपकी बातों का जवाब संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोगो को देना ही पड़ेगा, यही जयस की ताकत है। आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात है की जयस द्वारा लिखे गए ज्ञापन को भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा संज्ञान में लिया जा रहा है। 

आदिवासी समाज के साथ न्याय होगा, ऐसी हमे उम्मीद है-लोकेश मुजाल्दा 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस के राष्ट्रीय प्रभारी इंजी लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि जयस हमेशा संवैधानिक अधिकारों को धरातल पर लागू करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। केवडिया गुजरात में असंवैधानिक जमीन अधिग्रहण को लेकर हमने ज्ञापन की प्रतिलिपी प्रशासन के माध्यम से एवं मेल के द्वारा राष्ट्रपति भवन तक प्रेषित किये थे, जिसका जवाब आया है।

जल्द इस मामले पर करवाई होगी ओर संवैधानिक अधिकारों को देखते हुए आदिवासी समाज के साथ न्याय होगा, ऐसी हमे उम्मीद है। इंजी लोकेश मुजाल्दा ने आगे कहा कि संविधान में आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधान जैसे 5 वी-6 टी अनुसूची को धरातल पर अमल में लाने के लिए जोर दे रहा है। केवड़िया के आदिवासी अपने आप को अकेला महसूस न करे पूरे देश का आदिवासी समाज,जयस आपके साथ है। वहीं महामहिम राष्ट्रपति ने हमारे ज्ञापन को स्वीकारा व गंभीरता से लेकर इस मामले में अग्रिम कार्यवाही हेतु पत्र गृह मंत्रालय को प्रेषित किया इसके लिये जयस की ओर से महामहिम राष्ट्रपति का आभार वयक्त करते है। 

सामाजिक मुद्दों को लेकर जयस हमेशा रहता है तत्पर-सीमा वास्कले


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस की नारीशक्ति राष्ट्रीय प्रभारी श्रीमती सीमा वास्कले ने बताया कि जयस संविधान में विश्वास रखता है और संविधान में दिए गए अधिकारों को लोगो तक पहुँचा रहा है, जिसका नतीजा है जयस की बात को महामहिम राष्ट्रपति जी ने संज्ञान में लिया है, आगे जो भी सूचना होगी वह आमजन तक पहुंचाएंगे। जल-जंगल-जमीन के मुद्दों को लेकर जयस हमेशा अपनी आवाज बुलंद करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। 

जयस समाज के हक, हितों के लिये हमेशा करता रहेगा संघर्ष-अनिल कटारा 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल कटारा ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति को जयस द्वारा प्रेषित ज्ञापन को संज्ञान में लेना इस बात को स्वत: सिद्ध करता है कि जयस धीरे-धीरे ही सही पर अपने मूल उद्देश्य के तरफ अग्रसर हो रहा है। गुजरात के आदिवासी समाज सहित देश के समस्त आदिवासी  समाज व कबीलो के लोगों को यकीन दिलाता है कि जयस भविष्य में भी समाज के लिये इसी तरह के कार्य करते हुए समाज के हक और हितों के लिए हमेशा संघर्ष करता रहेगा।  

संविधान में वर्णित अधिकार आदिवासियों तक पहुँच सके-मुकेश रावत 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस के मध्य प्रदेश प्रभारी मुकेश रावत ने कहा कि जयस गुजरात केवड़िया के आदिवासी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संवैधानिक हक अधिकारों के लिये संघर्ष करेगा। जयस द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार जमीन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की पूरी कोशिश किया जा रहा है और आगे भी करता रहेगा जिससे संविधान में वर्णित अधिकार आदिवासियों तक पहुँच सके। 

जयस साथ देने समस्त आदिवासियों की ताकत का है असर-संगीता चौहान 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस की नारीशक्ति मध्य प्रदेश प्रभारी संगीता चौहान ने कहा कि सामाजिक व संवैधानिक बात का असर है कि आज जयस व आदिवासियों की आवाज को सुना जा रहा है। यह जयस की सिर्फ मेहनत है बाकी आदिवासियों के द्वारा जयस को दिये जा रहे सहयोग की ताकत है। जहाँ सामाजिक क्रांति, जन आंदोलन होता है वहाँ हमारी बातों को तवज्जो दी जाती है। जयस के आवेदन को स्वीकार किए व संज्ञान में लिए पर महामहिम राष्ट्रपति जी जयस की समस्त नारीशक्ति की ओर से महामहिम राष्ट्रपति जी का धन्यवाद व आभार व्यक्त करती है। 

राष्ट्रपति द्वारा देश के मूलबीज, मूलवंश, मूल मालिक के हित में संज्ञान लेने पर आभार-राकेश देवड़े 


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवड़े ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा  देश के मूलबीज, मूलवंश, मूल मालिक के हित में संवैधानिक प्रावधानों जैसे अनुच्छेद 244 (1), अनुच्छेद 13(3) क, अनुच्छेद 13(2), एडाप्शन आॅफ लॉ आॅर्डर 1950, अनुच्छेद 19 (5),(6) तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा  दिए गए निर्णय जैसे समता जजमेंट 1997, कैलाश बनाम महाराष्ट्र सरकार 5 जनवरी 2011, वेदांता बनाम उड़ीसा 2013 के पालनार्थ  गहन अध्ययन करके गुजरात केवड़िया में असंवैधानिक तरीके से की गई भूमि अधिग्रहण को गंभीरता से लिया गया है। जयस व समस्त आदिवासी समाज की ओर से महामहिम राष्ट्रपति जी का जोहार आभार व्यक्त करते हैं। 

जयस संवैधानिक अधिकारों को लागू कराने कर रहा संघर्ष-कमलेश सोलंकी  


वहीं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जयस की मांग को गंभीरता के साथ लिये जाने पर जयस कार्यकर्ता कमलेश सोलंकी ने कहा कि जयस हमेशा संवैधानिक बातों को  उठाता रहा है और आगे भी निरंतर उठाता रहेगा। जयस अलग से कुछ नहीं मांग रहा है संविधान में जो अधिकार प्राप्त है उन्हें धरातल पर लागू करवाने के लिए संघर्ष कर रहा है ओर जिसमें धीरे-धीरे सफल हो रहे है। 


संवादाता मोहन मोरी-9977979099

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