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महिला कॉलोनाइजरो की अग्रिम जमानत निरस्त

महिला कॉलोनाइजरो की अग्रिम जमानत निरस्त


सिवनी। गोंडवाना समय।

जिला मुख्यालय सिवनी में रा नं. 50/33, 50/4 में अन्नपूर्णा डेवलपर्स के द्वारा अनमोल रेसीडेंस नाम की कालोनी बनाकर काटी गई थी और कूटरचित दस्तावेज तैयार कर प्लॉट बेच दिये गये थे। बताया जाता है कि उक्त कालोनी महिला कालोनाइजरो के द्वारा बनाई गई थी। जिसमें श्रीमती आरती अग्रवाल पति श्री रविंद्र अग्रवाल, श्रीमती पूनम अग्रवाल पति श्री राकेश अग्रवाल, श्रीमती संतोष अग्रवाल पति श्री तरूण अग्रवाल, श्रीमती सुनीता अग्रवाल पति श्री राधेश्याम अग्रवाल, श्रीमती आशा अग्रवाल पति श्री कृष्ण कुमार अग्रवाल शामिल है। 

अग्रिम जमानत आवेदन की सुनवाई में सम्माननीय न्यायालय ने किया निरस्त 

जिनके विरूद्ध श्री प्रहलाद सिंह चौहान पिता श्री रामप्रताप चौहान, श्री नारायण बघेल पिता श्री तारासिंह बघेल, श्री विजय कुमार चौरसिया पिता स्व. श्री अशोक चौरसिया, श्री प्रदीप पिता श्री महेश बघेल, श्री महेंद्र चंदेल पिता चौहान सिंह चौहान, टीकाराम पिता शिवदयाल सनोडिया, दिनेश ठाकुर पिता रघुवीर सिंह ठाकुर ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराया तब कोतवाली पुलिस ने अपराध क्र. 0132/20 के अंतर्गत धारा 420, 467,468, 471, 34 के तहत मामला पंजीबद्ध करते हुए जांच में लिया था।
        बताया जाता है कि इस पूरे मामले के बाद महिला कालोनाइजरों ने अग्रिम जमानत के प्रयास तेज कर दिये थे। बीते दिनों प्रथम अपर सत्र सम्माननीय न्यायाधीश राजश्री श्रीवास्तव के समक्ष अग्रिम जमानत को लेकर सुनवाई हुई, जिसके बाद प्रथम अपर सत्र सम्माननीय न्यायाधीश राजश्री श्रीवास्तव ने महिला कालोनाइजरो के अग्रिम जमानत आवेदन को निरस्त कर दिया। 

संभ्रात परिवार की महिला होने का रखा तर्क 

प्राप्त जानकारी के अनुसार सम्माननीय न्यायालय के समक्ष महिला कालोनाइजरो की तरफ से तर्क रखा गया था कि वह नगर की संभ्रात परिवार की महिलाएं है और उन्होंने किसी तरह की कोई धोखाधड़ी, छल या कूटरचना नहीं किया है। अग्रिम जमानत में उनकी तरफ से कहा गया कि चालाक चुस्त शिकायकर्ताओ के द्वारा सरल स्वभाव की महिलाओ पर अपने उद्देश्यो की पूर्ति के लिए झूठे आधार पर दबाव बनाने के लिए शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा और भी तर्क प्रस्तुत किये गये हैं। 

भूमि विक्रय किये जाने का गंभीर अभियोग 

जिसके बाद आपत्तिकर्ताओ ने भी प्रकरण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रमाणित कई दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए सम्माननीय न्यायालय को यह अवगत कराया कि अन्नपूर्णा डेवलपर्स के द्वारा वर्ष 2012 से अनमोल रेसीडेंस के नाम से अवैधानिक कालोनी बनाई गई है और उक्त कॉलोनी में दर्शित खसरा नंबरो में स्थित जिन प्लॉटो का विक्रय किया गया था, वह प्लॉट मौके पर है ही नहीं, ऐसी स्थिति में शिकायकर्ताओ को प्लॉट नहीं दिये गये, जिसके साथ शिकायकर्ताओ ने कई प्रमाण भी प्रस्तुत किये। बताया जाता है कि इस मामले को सम्माननीय न्यायालय ने गंभीरता से लिया और पाया कि महिला कालोनाइजरो के विरूद्ध कूटरचित दस्तावेज तैयार कर भूमि विक्रय किये जाने का गंभीर अभियोग है। वहीं इस पूरे प्रकरण की विवेचना की जा रही है। 

कॉलोनी की वैधता के संबंध में भी जांच की जा रही 

आवेदकगण-अभियुक्तगण द्वारा अनमोल रेसीडेंस निर्मित कालोनी में क्रय किये गये प्लॉटो का कब्जा प्राप्त हुआ है या नहीं इसकी जांच भी की जा रही है तथा कॉलोनी की वैधता के संबंध में भी जांच की जा रही है। अत: प्रकरण के तथ्य परिस्थिति एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए श्रीमती संतोष अग्रवाल, श्रीमती आशा अग्रवाल, श्रीमती सुनीता अग्रवाल, श्रीमती आरती अग्रवाल, श्रीमती पूनम अग्रवाल के द्वारा प्रस्तुत अग्रिम जमानत आवेदन अंतर्गत धारा 438 द.प्र.सं. स्वीकार किये जाने योग्य प्रतीत ना होने से निरस्त किया जाता है। 

5 अधिवक्ताओं ने लगाई थी आपत्ति 

प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्नपूर्णा डेवलपर्स से जुड़ी श्रीमती आरती अग्रवाल पति श्री रविंद्र अग्रवाल, श्रीमती पूनम अग्रवाल पति श्री राकेश अग्रवाल, संतोष अग्रवाल पति श्री तरूण अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल पति श्री राधेश्याम अग्रवाल, आशा अग्रवाल पति श्री कृष्णकुमार अग्रवाल के विरूद्ध लगभग 11 महीने पहले विभिन्न धाराओ के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था, जिनकी तरफ से अधिवक्ता श्री राघवेंद्र शर्मा, श्री वीरेंद्र शर्मा एवं श्री शैलेष सक्सेना ने अग्रिम जमानत का आवेदन सम्मानीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
        बताया जाता है कि जब इस बात की जानकारी पीड़ितों को लगी तो उन्होंने भी अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से आपत्ति लगा दिया। बताया जाता है कि आपत्तिकर्ता श्री दिनेश ठाकुर की ओर से श्री वीरेंद्र सोनकेशरिया, श्री विजय चौरसिया एवं श्री महेंद्र चंदेल की ओर से श्री रवि गोल्हानी, श्री प्रदीप बघेल की ओर से अधिवक्ता श्री अनिरूद्ध जायसवाल एवं श्री प्रहलादसिंह चौहान व श्री नारायण बघेल की ओर से श्री ए.के. जैन ने आपत्ति लगाई वहीं शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक श्री चंद्रशेखर ठाकुर ने अपने तर्क रखे।


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