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जनजाति बाहुल्य पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में मुख्यमंत्री को चुनौती दे रहे खनिज माफिया बजरंग और रेवा स्टोन क्रेशर

जनजाति बाहुल्य पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में मुख्यमंत्री को चुनौती दे रहे खनिज माफिया बजरंग और रेवा स्टोन क्रेशर 

अनुपपुर जिले में खनिज माफियाओं पर मेहरबान कार्यालय कलेक्टर खनिज विभाग 

पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के ऊपरीकला में अवैध उत्खनन कर गड्डों और खाई में तब्दील कर रहे खनिज माफिया 


बृजेन्द्र सोनवानी ब्यूरो चीफ 
अनुपपुर/पुष्पराजगढ़। गोंडवाना समय।

जनजाति बाहुल्य जिला अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में आदिवासी बाहुल्य ग्राम ऊपरी कला के आसपास कई क्रेशर प्लांट चल रहे है। जिनके अधिकांश खनिज विभाग के नियम ठेंगा दिखाकर संचालित किये जा रहे है। खनिज माफियाओं ने तो शासकीय भूमि को बड़ी-बड़ी खदानों में तब्दील कर दिया है। वहीं वहीं ग्राम के क्षेत्र में थोड़ा-बहुत कृषि भूमि है जहां पर 80% उपज मे कमी आ चुकी है। ग्राम के कई परिवार बेघर हो रहे हैं, कई लोग बीमारियों से ग्रसित हो चुके है। वहीं ग्रामीणों की कुछेक पशुओं की खदान में गिरने से मृत्यू भी हुई है। ऊपरी कला पंचायत का नजारा गहरे गड्डे और खाई में तब्दील हो चुके जो कि मानव और पशु दोनों के लिये मौत के द्वार के रूप परिवर्तित होकर खतरा बने हुये है।  

खनिज व राजस्व विभाग की सांठगांठ से खनिज माफियाआें के हौंसले बुलंद  


अनूपपुर जिले में बैठे जिला खनिज अधिकारी की भ्रष्ट कार्यप्रणाली मिलीभगत और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी का ही परिणाम है खनिज माफिया ग्रामीणों के मौत के गड्डों को और गहरा करते जा रहे है। भ्रष्ट प्रशासन के करण ऊपरी कला पंचायत में आम जनता के सर के ऊपर मौत मंडरा रही है। पूरे अनूपपुर जिले में क्रेशर संचालकों एवं खनिज माफिया अपना एक छत्र राज चला रहे हैं। जो प्रशासन में बैठे राजस्व कर्मचारी अधिकारी से लेकर खनिज विभाग की खनिज माफियाओं से सांठगांठ होने के कारण खनिज उत्खनन का कारोबार चल रहा है। खनन माफिया पूरे जिले में फल-फूल रहे हैं। ग्राम पंचायत ऊपरी कला के क्रेशरों को मौके पर जाकर देखा जा सकता है की ऊपरी कला के ग्रामीणों का जीवन कैसे दूभर हो रहा है लेकिन सवाल ये है सांठगांठ करने वाले ही खनिज माफियाओं का साथ दे रहे है तो फिर देखने कौन जायेगा। 

लीज कम और उत्खनन ज्यादा एकड़ पर


हम आपको बता दे कि लीज का खेल भी खनिज विभाग में जमरक चल रहा है। लीज कम एकड़ की लेकर उससे कहीं ज्यादा एकड़ क्षेत्र में खनिज माफियाओं के द्वारा उत्खनन किया जा रहा है। खनिज माफियाओं ने अवैध उत्खनन कर 50 फिट यहां तक 100 फीट तक की गहरी गहरी खाई मेन रोड के समीप ही खोद डाला है। जिस रोड से क्षेत्र के पंच से लेकर के सांसद तक जनप्रतिनिधि गुजरते हैं प्रशासन के सभी बड़े अधिकारी इसी रोड से गुजरते हैं जो देख कर भी अंजान बने रहते हैं।

करपा मेन रोड से लगे बजरंग स्टोन क्रेशर जिस का संचालन भीमसेन उर्फ (लाला) गुप्ता राजेन्द्र ग्राम एवं रेवा स्टोन क्रेशर जिस का संचालन गया प्रसाद उर्फ ( बड़े) अग्रवाल यह ऐसे नाम है जो शिवराज सरकार के लिये चुनौती बने हुये है।

खनिज माफिया के रूप में इनकी पहचान है शासन प्रशासन को अपने जेब में लिए घूमते हैं। शासन प्रशासन इन खनिज माफियाओं की इशारे पर कठपुतली बनकर नाच रहा है। वहीं शिवराज सरकार की खनिज माफियाओं को चुनौती देने वाली बातों को ठेंगा स्वयं अनुपपुर व पुष्पराजगढ़ के राजस्व व खनिज विभाग के अधिकारी दिखवा रहे है। 

क्रेशरों के कारण अपाहिज हो रहे ग्रामीण

अवैध क्रेशरों के संचालन से ग्रामीणों व पशुओं के लिये मौत के गड्डे तो खोद ही रहे है लेकिन वहीं कुछ लोग यहां से निकलने वाले पत्थर के कारण, डस्ट व अन्य पर्यावरण व मानव को हानि पहुंचाने वाले तत्वों के कारण शारीरिक रूप से भी खनिज माफियाओं की प्रताड़ना को सहन कर रहे है। ऊफरी कला के जयपाल सिंह पिता भोग सिंह जिन्हें पत्थर के टुकड़ा आंख में लगने से जिंदगी भर के लिए आंख चली गई है। वहीं क्रेशर में काम करते समय बेलगईहां का अंगूठा हमेशा के लिए चला गया है। वही कमल सिंह का पूरा एक पैर टूट गया और पप्पू नायक का पेट की आंते ही खराब हो गई, जिससे कई बड़े आॅपरेशन कराने के बाद जान बच पाई है। ग्रामीणों को अपनी जान बचाने के लिए लाखों लाखों रुपया खेत बेच बेच कर इलाज कराना पड़ रहा है। 

मानव-पशुओं की मृत्यू का कारण बन रहे क्रेशर प्लांट


ग्राम पंचायत ऊपरी कला के शासकीय जमीनों जहां पर ग्रामीणों ने चारागाह बनाया था और अपना निस्तार करता था। जहां पर क्रेशर संचालकों के इशारे पर बड़े-बड़े खाई बना दिया गया है। जहां गिर गिर कर कई पशु गाय बैल बकरी आदि की मृत्यू हो चुकी है। इतना ही नहीं क्रेशर के आसपास ही नदी नाले व तालाब हैं, जिसमें क्रेशर का डस्ट वाला पानी बह रहा है और पशु इन पानियों को पी पीकर बीमार होकर भी मृत हो रहे है। आदिवासी क्षेत्र में पशु एवं भूमि ही जीविका का साधन है अब इन ग्रामीणों पर जीवन जीने के लिए संकट आ गया है ऐसे कई व्यवस्थाएं क्षेत्रों में आ गई है जिससे जीवन त्राहि-त्राहि मची हुई है। ऊपरी कला में पर्यावरण प्रदूषण होने का प्रमाण अलग ही दिखाई दे रहा है लोग प्रदुषित पानी पी रहे हैं, सांस लेने के लिये वायु भी प्रदुषित ही मिल रही है। 

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