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श्री बादलबोई राज्य आदिवासी संग्राहलय नववर्ष पर बना आकर्षण केन्द्र

श्री बादलबोई राज्य आदिवासी संग्राहलय नववर्ष पर बना आकर्षण केन्द्र

पुरानी संस्कृति, गोंडी, बैगा परंपरा आदि बातों को बारीकी से जाना एवं देखा


अनिल उईके जिला संवाददाता 
छिन्दवाड़ा। गोंडवाना समय।
 

नववर्ष का स्वागत एवं इस दिन को यादगार बनाने के लिए लोगो का उत्साह नव वर्ष के पूर्व से होने लगता है। नववर्ष मनाने के लिए लोग नए-नए स्थान देखना घूमना, पिकनिक जाना, पर्यटक स्थान की यात्रा, देवस्थान आदि जाकर मनाते हैं। वहीं जिला में लोग भरता देव, सिमरिया हनुमान मंदिर, कालीबाड़ी लिल्हाई घाट, देवरानी दाई, देवी हिंगलाज मंदिर, खेड़ापति मंदिर, जामसावली हमुनान मंदिर आदि स्थानों पर जाकर नववर्ष को मनाने के लिए पहुंचे है। वही जिला के बीचो-बीच स्थित श्री बादल भोई राज आदिवासी संग्रहालय छिंदवाड़ा भी आज नववर्ष में पर्यटक का विशेष केंद्र बना। यहां पर बच्चे एवं उनके माता-पिता घूमने के लिए आये, पुरानी आदिवासी संस्कृति एवं पुराने रीति रिवाज को दिखाने के लिए लोग संग्रहालय पहुंचे। 

जिज्ञासा व रोचकता के साथ बड़ा ही आंनद लिया


संग्रहालय देखने आए दर्शक श्री श्याम कोलारे, समाजिक कार्यकर्ता, छिंदवाड़ा ने जानकारी देते हुये बताया कि पुरानी परम्परा से संबंधित सामग्री देखकर हमारी संस्कृति को जानना एवं समझना बड़ा ही मनमोहक रहा। बच्चो ने संग्राहलय देखने के दौरान बड़ी जिज्ञासा व रोचकता के साथ बड़ा ही आंनद लिया एवं मन की बहुत सी जिज्ञासा को यह संग्रहित सामग्री देखरेख करीबी से जाना। संग्रहालय में नववर्ष में बहुत ही मनमोहक चहल-पहल देखी गई। लोगों ने कोरोना काल में मास्क लगाकर एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने बच्चों एवं परिजनों को आदिवासी संग्रहालय घुमाया। 

पुरानी संस्कृति को देखने एवं जानने में रुचि रखते है


श्री बादल भोई राज आदिवासी संग्रहालय छिंदवाड़ा में पुरानी संस्कृति, गोंडी, बैगा परंपरा आदि बातों को बारीकी से जाना एवं देखा। आज के इस तकनीकी युग में आदिवासी गोंडी संस्कृति को केवल पुस्तकों में एवं मोबाइलों में ही देखा जा सकता था परंतु आज आदिवासी संग्रहालय में विशेष चहल-पहल को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि लोग ना केवल कंप्यूटर, मोबाइल और तकनीकी युग में पुरानी संस्कृति को देखने एवं जानने में रुचि रखते है। लोग पुरानी संस्कृति, परंपरा एवं रीति-रिवाजों को सहजे गए दृश्यों में अभी भी उत्सुकता से जानना एवं बच्चों को बताते है। छिंदवाड़ा जिला की पुरानी संस्कृति को देखने के लिए आदिवासी संग्रहालय जिला में पर्यटक का और नववर्ष मनाने का विशेष केंद्र बना। 

झूलों का विशेष लुफ्त उठाया एवं घंटो यहां पर अपना समय व्यतीत किया


यहां पर बच्चों ने गार्डन में झूलों का विशेष लुफ्त उठाया एवं घंटो यहां पर अपना समय व्यतीत किया। जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा के बीचो-बीच स्थित एकमात्र श्री बादल भोई राज आदिवासी संग्रहालय जो कि बहुत ही मनोरम एवं पुरानी संस्कृति को सहजे हुए हैं। यहां पर पुरानी परंपरागत के अनुसार जो भी सामग्री संग्रहित है उसे देखकर ऐसा लगता है कि हमारा पुराना समय बहुत ही सहज सरल एवं मनोरम रहा होगा। इस संस्कृति को सही से देखने एवं संयोजित करनेऔर समझने के लिए लोग बड़ी संख्या में संग्राहलय पहुंचे।


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