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टोंडा-मण्डा-कुण्डा संस्कार, पुरखों द्वारा स्थापित नैसर्गिक पुनेमी जीवन मार्ग व गाँव का डिजाइन कर प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया

टोंडा-मण्डा-कुण्डा संस्कार, पुरखों द्वारा स्थापित नैसर्गिक पुनेमी जीवन मार्ग व गाँव का डिजाइन कर प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया

मूलवासी जनजातीय समाज का 5 दिवसीय कोया पुनेम-एवं संवैधानिक प्रशिक्षण शिविर संपन्न

मैं हूं क्योंकि हम हैं, हर कदम प्रकृति की ओर


बिछिया। गोंडवाना समय।

जनजातीय युवा पीढ़ी को जागरूक करने के उद्देश्य से ग्राम-राजो, विकास खंड-बिछिया, जिला मंडला (मप्र) में वार्षिक कोया पुनेम एवं संवैधानिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में भाग लेने मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों से जनजाति समाज के 315 युवक-युवतियां शामिल होने पहुंचे। उक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता गोंड रविकांत शाह पन्द्रे छिन्दिगढ़, मवई ने जानकारी देते हुये बताया कि गोंडियन आदिम समुदाय के सुख-समृद्धि के लिए कार्यरत मूलवासी सेवा समिति मध्यप्रदेश एवं गढ़ मंडला क्षेत्र में कार्यरत समस्त जनजातीय संगठनों के सौजन्य से 15 जनवरी 2021 से 19 जनवरी 2021 तक पूर्णत: आवासीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। 

पांचवी अनुसूची, पेसा एक्ट, वनाधिकार कानून जैसे महत्वपूर्ण कानूनों का प्रशिक्षण दिया गया 

वार्षिक कोया पुनेम एवं संवैधानिक प्रशिक्षण शिविर में मूलवासी गोंडियन समाज के प्रकृति केंद्रीय जीवन पद्धति, पुरखों द्वारा हजारों साल से सतत वैज्ञानिक अनुसंधानों से जांची-परखी पुनेमी जीवन शैली, पर्यावरण को नुकसान नहीं करने वाली-कोयतोडियन टेक्नोलॉजी, समुदाय में सांस्कृतिक-धार्मिक संक्रमण के कारण व्याप्त आडम्बरों को मिटाने टोंडा-मण्डा-कुण्डा संस्कार, पुरखों द्वारा स्थापित नैसर्गिक पुनेमी जीवन मार्ग व गाँव का डिजाइन कर प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही संविधान में उल्लेखित जनजातीय समुदाय के हितार्थ प्रावधानों में पांचवी अनुसूची, पेसा एक्ट, वनाधिकार कानून जैसे महत्वपूर्ण कानूनों का प्रशिक्षण दिया गया। 

गोटूल के अनुशाशन को विस्तार से बताया गया


वार्षिक कोया पुनेम एवं संवैधानिक प्रशिक्षण शिविर में रेला पाटा, सैला-रीना, करमा-ददरिया के मधुर संगीतमय धुन में प्रशिक्षार्थी युवा युवतियों के पुनेमी जिर्र को जगाते हुए आदिवासी गोंडियन समाजिक-प्रशासनिक-शैक्षणिक-आर्थिक-आधारभूत संरचना को परिचित कराया गया। प्रशिक्षण शिविर में परगना के प्रशिक्षार्थियों के अलावा अन्य राज्यों से लयाह लयो का आगमन हुआ था तथा परगना के प्रमुख पेन शक्तियों का भी आगमन रहा। शिविर में कोया पुनेम के महत्वपूर्ण जानकारी व गोटूल करसना खेल खेल में कराया गया और गोटूल के अनुशाशन को विस्तार से बताया गया। 

नार्र व्यवस्था व टोण्डा-मण्डा-कुण्डा के बारे में वैज्ञानिक सम्मत विस्तार से बताया

वार्षिक कोया पुनेम एवं संवैधानिक प्रशिक्षण शिविर में फिर अगले सत्र में पंडुम नेंग दस्तूर, वाद्य यंत्रों की जानकारी, कोया पुनेम व नार्र व्यवस्था के बारे में बताया गया। दोपहर के सत्र में नार्र व्यवस्था व टोण्डा-मण्डा-कुण्डा के बारे में वैज्ञानिक सम्मत विस्तार से बताया गया। प्रशिक्षर्थियों में आपस में ग्रुप डिस्कस कराया गया। वहीं संवैधानिक अधिकारों के बारे में बताया गया। इसके साथ ही साथ रात के सत्र में प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रेक्टीकली वन अधिकार मान्यता कानून, पेसा कानून की जानकारी दी गई। अंतिम सत्र के में रात में व्यक्तित्व विकास मंच के साथ ही परिचित सत्र रखा गया। पेन शक्तियों व सियानो से आशीर्वाद के साथ ही प्रशिक्षर्थियों का बिदाई व पेन शक्तियों का बिदाई किया गया।


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