पारूल मार्वे गांव के विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने व खुद एसआई बनने करा रही प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी
जब तक लक्ष्य नहीं तब तक सफलता मिलना संभव नहीं
अब गांव में भी लगने लगी काम्पीटीशन क्लास
अजय नागेश्वर संवाददाता
उगली। गोंडवाना समय।
गोंडवाना समय की कोशिश रहती है कि हम आपको ऐसे लोगों से मिलाए जिनको हम गांव के स्टार कहते हैं। ये वो लोग नहीं हैं जो आजीविका की तलाश में गांव छोड़कर शहर चले गए कुछ काम करने। ये वो लोग हैं जो गांव में ही रहते हैं गांव की ही सोचते हैं और गांव में ही रहकर बहुत बड़े-बड़े काम कर रहे हैं।
आज हम आपको मिलवाएंगे सिवनी जिला के जनपद पंचायत केवलारी से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम मोहबर्रा की रहने वाली सुश्री पारूल मार्वे से इनका सपना पुलिस विभाग में एसआई बनना है जिसकी तैयारी सुश्री पारूल मार्वे अकेले न करके गांव के ही स्कूल के विद्यार्थियों व शिक्षित ग्रामीणों को बुलाकर प्रतियोगिता परीक्षा की कक्षा लगा रही है। जिससे उगली क्षेत्र के अध्ययनरत विद्यार्थी व शिक्षित ग्रामीण भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर शासकीय नौकरी प्राप्त कर सके ।
आर्थिक स्थिति ठीक न होने से शिक्षा लेने नहीं जा पाते शहर
गोंडवाना समय से बातचीत के दौरान सुश्री पारूल मार्वे कहा आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण 12 वी के बाद ज्यादातर विद्यार्थी आगे की शिक्षा लेने के लिए शहर नहीं जा पाते हैं। शहरों में तो महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है।
वहीं ग्रामीण इलाकों में स्थिति बहुत अलग है, यहां महिलाएं पहले अपने पिता पर शादी के बाद पति पर और बुढ़ापे में अपने बच्चों पर निर्भर होती है। कोरोना महामारी के सामने आने के बाद आत्मनिर्भर भारत के नारे को एक बार फिर बल जरूर मिला है लेकिन इसे ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचने की जरूरत है। इसके बाद ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो पाएगा।
लक्ष्य बड़ा रखें लेकिन उन्हें पाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं
गोंडवाना समय से बातचीत के दौरान सुश्री पारुल मार्वे ने कहा कि मैं चाहती तो केवलारी, बालाघाट या अन्य किसी भी शहर में प्रतियोगिता परीक्षा की क्लास खोलकर चला सकती थी, लेकिन मुझे अपने क्षेत्र के लोगों को आगे बढ़ाना है ताकि जिले का एवं गांव का नाम रोशन हो सके। बातचीत के दौरान आगे सुश्री पारुल मार्वे ने कहा कि जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करें और उसे पाने के लिए निरंतर कार्य करते रहें। जब तक लक्ष्य नहीं होगा तब तक सफलता मिलना संभव नहीं है। लक्ष्य बड़ा रखें लेकिन उन्हें पाने के लिए छोटे-छोटे कदम जरूर उठाएं।
विद्यार्थियों ने निर्धारित की कॉन्पिटिटिव क्लास की फीस
प्रतियोगिता परीक्षा की क्लास में अध्ययनरत विद्यार्थयों ने बताया कि प्रतियोगिता परीक्षा के अध्ययन के लिए प्रतिमाह फीस विद्याार्थियों की स्वेच्छा पर आधारित है। वहीं जब सुश्री पारुल मार्वे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अध्ययनरत विद्यार्थयों को ही प्रतिमाह की फीस निर्धारित करने को कह दिया है क्योंकि मेरा उद्देश्य फीस लेने से ज्यादा गांव के विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता दिलाना प्राथमिकता है।
वहीं सुश्री पारुल मार्वे का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती है ज्यादातर लोग गरीब वर्ग के होते हैं। उन्होंने बताया कि मैं भी मध्यम वर्ग परिवार से हूँ, समझ सकती हँू, मेरा लक्ष्य तो विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा के लिए तैयार करना है और सभी विद्यार्थी अध्ययन करने तब तक आएं जब तक उन्हें शासकीय नौकरी नहीं लग जाती है या आत्मनिर्भर नहीं बन जाते हैं।
गोंडवाना समय गांव में आ रहे बदलाव से शहरी व ग्रामीणों को करवाता है परिचित
आप शहर में रहते हैं तो गोंडवाना समय कोशिश करता है कि आपको गांव के बारे में ऐसी चीजें बताए, ऐसे लोगों से मिलवाए जिनसे आप अखबारों में नहीं मिलते हैं, टीवी पर अक्सर नहीं मिलते हैं। वहीं अगर आप गांव में रहते हैं तो हमारा यह प्रयास होता है कि भारत के दुसरे हिस्सों में हो रहे बहुत से अभूतपूर्व बदलाव से अन्य ग्रामीण नागरिकों को परिचित करवाएं। देश के ग्रामीण इलाकों में हो रहे अभूतपूर्व परिवर्तन के बारे में आपको जानकारी दें। भारत देश गांव में ही बसता है या भारत की आत्मा गांव है इसे हम सब को समझने और जानने की आवश्यकता है।