आॅक्सीजन समृद्ध प्रदेश बनाने जन-भागीदारी से शुरू होगा अंकुर कार्यक्रम
सफल पौध-रोपण करने वालों को मुख्यमंत्री प्रदान करेंगे ''प्राणवायु अवार्ड''
प्रतिभागियों को डाउनलोड करना होगा 'वायुदूत एप'
भोपाल। गोंडवाना समय।
Ñराज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश के हरित क्षेत्र में वृद्धि, स्वच्छ पर्यावरण और प्राणवायु से समृद्ध प्रदेश बनाने के उद्देश्य से आगामी मानसून में जन-सहभागिता से व्यापक स्तर पर पौध-रोपण के लिये 'अंकुर कार्यक्रम' आरंभ होगा। कार्यक्रम के तहत फलदार-छायादार वृक्षों का पौध-रोपण और देखभाल करने वाले जिलेवार चयनित विजेताओं को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 'प्राणवायु'' अवार्ड से सम्मानित कर प्रमाण-पत्र प्रदान करेंगे।
कार्यक्रम में भाग लेने के लिये प्रतिभागियों को गूगल प्ले स्टोर से 'वायुदूत एप'' डाउनलोड कर पंजीयन कराना होगा।
प्रतिभागियों को स्वयं के संसाधन से कम से कम एक पौध का रोपण कर पौधे की फोटो तथा एक माह बाद पुन: रोपित पौधे की नई फोटो एप पर डाउनलोड कर प्रतिभागी सहभागिता प्रमाण-पत्र डाउनलोड कर सकेंगे। कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये पर्यावरण नियोजन समन्वय संगठन (एप्को) को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण श्री मलय श्रीवास्तव ने सभी जिला कलेक्टरों को जिला नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर नाम, उपनाम, ई-मेल आईडी आदि कार्यपालन संचालक एप्को को भेजने के निर्देश दिये हैं। जिला नोडल अधिकारी स्थानीय वेरीफायर का नाम एप में डाउनलोड करेंगे, जो चयनित प्रतिभागियों के पौध-रोपण कार्य को सत्यापित करेंगे। विजेताओं की सूची वायुदूत एप में अपलोड की जायेगी।
विजेताओं को 'वृक्षवीर'' और 'वृक्ष वीरांगना'' के रूप में जाना जायेगा। विजेताओं में 50 प्रतिशत पुरुष और 50 प्रतिशत महिलाएँ होंगी। इसी तरह आधे पुरस्कार ग्रामीण और आधे शहरी क्षेत्र के लिये होंगे।
पौध-रोपण घर के आँगन, शासकीय, अशासकीय भूमि, सामुदायिक स्थानों पर किये जा सकेंगे। पौध-रोपण के पहले प्रतिभागी को संबंधित भू-स्वामी से सहमति लेनी होगी। शासकीय और सामुदायिक स्थल पर किये गये पौध-रोपण से भविष्य में होने वाले लाभों के प्रथम हकदार समाज या राज्य शासन होंगे। यह शर्त निजी भूमि पर लागू नहीं होगी। पौध-रोपण से प्रतिभागी को उक्त भूमि के स्वामित्व का कोई अधिकार नहीं होगा। प्रतिभागी केवल प्रतियोगिता के संभावित पुरस्कार के ही हकदार होंगे। इच्छुक प्रतिभागियों को स्थल एवं वृक्ष प्रजाति का चयन और पौधे की सुरक्षा स्वयं करना होगी।