Type Here to Get Search Results !

कितना बेरूखीपन है जीवन के लिए कि हम प्राकृतिक वस्तुओं को नष्ट कर कृत्रिम पर्यावरण का निर्माण कर रहे हैं

कितना बेरूखीपन है जीवन के लिए कि हम प्राकृतिक वस्तुओं को नष्ट कर कृत्रिम पर्यावरण का निर्माण कर रहे हैं

आॅक्सीजन की कमी होना, यह प्रकृति द्वारा मानव के लिए चेतावनी के रूप में एक संकेत है

ये प्रकृति इंसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए है, ना कि इंसानों के लालचों को पूरा करने के लिए है

अगर पेड़ काटना हमारा अधिकार है तो 
पेड़ लगाना हमारा कर्तव्य भी है।
और पेड़ बचाना हमारा दायित्व हैं।
तों वृक्षारोपण हमारा संकल्प हों एक लक्ष्य हों।
''वृक्षारोपण'' एक पौधा, एक लक्ष्य।



लेखक-विचारक
दीनू उइके गोंड
प्रदेश सदस्य,
गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन
मध्य प्रदेश
आज के इस चकाचौंध की दुनिया मे तमाम विकास वृक्षो की बलि देकर की जा रही है और मनुष्य इस बात के लिए खुश है कि विकास कर रहे हैं, दूसरी तरफ आक्सीजन के प्राकृतिक स्रोत वृक्षों की लगातार बलि चढ़ाता जा रहा है और आक्सीजन पाने के लिए आक्सीजन का प्लांट लगाया जा रहा है। कितना बेरूखीपन है जीवन के लिए कि हम प्राकृतिक वस्तुओं को नष्ट कर कृत्रिम पर्यावरण का निर्माण कर रहे हैं, कांक्रीट के जंगल तैयार कर रहे हैं। आज यदि प्रकृति संतुलित है तो सिर्फ वृक्षो के कारण। यदि प्रकृति में वृक्ष न हो तो जीवन की कल्पना करना मुश्किल है ।

वृक्षारोपण से पर्यावरण और पर्यावरण से जीवन का निर्माण होता है


वृक्षारोपण से तात्पर्य वृक्षों के विकास के लिए पौधों को लगाना और हरियाली फैलाने से ही नहीं है, साथ ही इसका आशय वृहद स्तर पर पर्यावरण को संतुलित बनाए रखना भी है। पर्यावरण संतुलन के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है। मानवीय वातावरण हो या प्राकृतिक पर्यावरण हो, सभी को बेहतर बनाने में वृक्षारोपण मुख्य भूमिका निभाती है। यहां समझने की बात है कि वृक्षारोपण से पर्यावरण और पर्यावरण से जीवन का निर्माण होता है। साथ में मनुष्यों, पशुओं एवं पर्यावरण में पायें जाने वाले सभी जीव-जन्तुओं को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। विकास के नाम पर वर्तमान समय में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई हो रही है। यदि आज हमने वृक्षारोपण को बढ़ावा नहीं दिया तो आने वाले समय में आने वाली पीढ़ी को संकटमय परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।

वृक्षों को काटकर मानव सीमेंट-कांक्रीट को बढ़ावा देते है

''वृक्षारोपण'' एक महान कार्य है क्योंकि इससे किसी एक इंसान, पशु या जीव-जंतु या किसी एक समूह के जीवन पर प्रभाव नही पड़ता बल्कि समस्त जीव जगत पर्यावरण पर आश्रित है] इसलिए सर्वप्रथम वृक्षारोपण को प्राथमिकता देना चाहिए। वृक्षों को काटकर मानव सीमेंट-कांक्रीट को बढ़ावा देते है लेकिन वे ये नही सोचते की जिस सीमेंट कांक्रीट के नीचे मिट्टी दबी हुई है] उसके संरक्षण के लिए पेड़ पौधों का होना आवश्यक है। विगत एक-दो वर्षो में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विश्व में आॅक्सीजन की कमी देखने को मिल रही हैं। आॅक्सीजन की कमी होना, यह प्रकृति द्वारा मानव के लिए चेतावनी के रूप में एक संकेत है, जो हमसे कहना चाहती है की, ये प्रकृति इंसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए है, ना कि इंसानों के लालचों को पूरा करने के लिए है। 

पर्यावरण की महत्ता को समझना होगा

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारो द्वारा विभिन्न नियम व अधिनियम बनाए गये हैं। हम मानवीय नियमों का तो साहसपूर्ण सामना कर सकते है परंतु प्राकृतिक नियमों का प्रतिरोध नहीं कर सकते। वैसे तो जनसमुदाय के द्वारा समय-समय पर वृक्षारोपण के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।  ''वृक्षारोपण''  एक पौधा, एक लक्ष्य इस मुहिम को सफल तभी बनाया जा सकता है, जब हमे प्रकृति से और पर्यावरण से लगाव होगा और पर्यावरण की महत्ता को समझना होगा ।

हमारे मानवीय जीवन एक वृक्ष के ना जाने कितने उपकार है

एक बीज जो पौधा बनता है, एक पौधा जो पेड़ बनता है, यह पेड़ हमसे क्या चाहते है ?  केवल थोड़ी सी जगह, थोड़ा सा प्यार और कुछ भी नहीं है। बदले में ये पेड़ हमे शुद्ध हवा, छांव, फल, फूल, औषधि, फर्नीचर और साथ ही हमें बाढ़ से बचाते है, मिट्टी को बहने से रोकते है, ये सब पेड़ अपने लिए नही बल्कि, हमारे लिए करते है वो भी नि:स्वार्थ भाव से करते है। ना जाने कितने उपकार एक वृक्ष का हमारे मानवीय जीवन में हैं।

देशज समुदाय का जीवन जल, जंगल और जमीन के बिना शून्य है

एक तरफ हम महामारियों के आते ही पर्यावरण की चिंता शुरू करते हैं, जबकि विश्व में जितनी जनसंख्या है, अगर सभी एक पौधा, एक लक्ष्य को दृढ़ निश्चय के साथ वृक्षारोपण को बढ़ावा दे, तो हर तरफ हरियाली ही हरियाली होगी। वहीं जमीन से जुड़ी देशज समुदाय की कोयापुनेमी व्यवस्था से समझा सीखा व जाना जा सकता है कि पर्यावरण संरक्षण, संतुलन व संवर्धन कैसे किया जाना है। देशज समुदाय का जीवन जल, जंगल और जमीन के बिना शून्य है, इसलिए वह वृक्षारोपण की महत्ता को जानता है।

अब सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाए हम

यहां विशेष उल्लेखनीय है कि वृक्षारोपण के लिए शिक्षित होना आवश्यक नही है, एक जिम्मेदार नागरिक होना आवश्यक है। जिम्मेदार नागरिक वृक्षारोपण का महत्व अच्छे से समझते हैं और दायित्वों का भी निर्वहन करते हैं। अत: हमें सिर्फ अधिकारो की बात न कर अपने दायित्वों की चिंता करना जरूरी है क्योंकि अब सांसे हो रही है कम, आओ मिलकर पेड़ लगाए हम, क्योंकि वृक्ष बिना मृदा नही, मृदा बिना जल नही, और जल बिना जीवन नही है। 

बीमारी में दवा और घुटन में सांसे देगा

हम सभी को अपने जीवनकाल में एक छोटा पौधा लगाकर उसकी देखभाल एक छोटे बच्चे की तरह करना चाहिए और जब वह छोटा पौधा, पेड़ बन जायेगा तब वह पेड़ आपकी जरूरतें पूरी करेगा। गर्मी में ठंडी हवाएं, धूप में छांव, भूख में फल, बीमारी में दवा और घुटन में सांसे देगा।




लेखक-विचारक
दीनू उइके गोंड
प्रदेश सदस्य,
गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन
मध्य प्रदेश

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.