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राजा शंकर शाह जी व कुंवर रघुनाथ शाह जी के नाम पर केंद्र सरकार पुलिस व सेना के जवानों को पुरस्कार देने की कब करेगी घोषणा ?

राजा शंकर शाह जी व कुंवर रघुनाथ शाह जी के नाम पर केंद्र सरकार पुलिस व सेना के जवानों को पुरस्कार देने की कब करेगी घोषणा ?

राजा शंकर शाह जी व कुंवर रघुनाथ शाह जी की शहादत को वास्तविक सम्मान देने के लिये गृह मंत्री अमित शाह से आदिवासी वर्ग ने जताई अपेक्षा 

अंग्रेजों से स्वतंत्रता दिलाने तोफ के मुंह में उड़कर ऐतिहासिक शहादत का प्रमाण है राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह


संपादक विवेक डेहरिया
सिवनी/जबलपुर। गोंडवाना समय।

अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिये देश में सर्वप्रथम आदिवासी समाज ने ही विद्रोह का बिगुल फूंका था। यह ऐतिहासिक व यथार्थ सत्य है भले ही इतिहासकारों ने आदिवासी समाज के द्वारा आजादी के आंदोलन में दिये बलिदान, शहादत, योगदान को कलम के माध्यम से इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दिया हो लेकिन सच आज भी भारत के बुद्धिजीवि जानते है कि आजादी के आंदोलन में सबसे ज्यादा योगदान आदिवासी समाज का ही रहा है। 

राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह को आम जनता के सामने अंग्रेजों ने तोफ में बांधकर उड़ा दिया था 


हम बात करते है कि अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिये विद्रोह करने के लिये शहादत देने वालों की तो सर्वप्रथम व एकमात्र ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में हमें गोंडवाना साम्राज्य के अंतिम चिराग राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथा शाह जी का बलिदान व शहादत ही प्रमाणित रूप में दिखाई देती है। हालांकि लाखों देशप्रेमियों ने अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिये अपने प्राणों की आहूति, बलिदान, शहादत दिया है।
                

वहीं राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी की शहादत अंग्रेजों ने जिस तरह से लिया था वह सुनकर ही इंसान की रूंह कंपा देता है। अंग्रेजों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में आम जनता के बीच में पिता व पुत्र यानि की राजा शंकर शाह जी व कुंवर रघुनाथ शाह जी को तोफ के मुंह में बांधकर उड़ा दिया था। अब देश वासी ही विचार मंथन करें कि पिता पुत्र देशभक्तों को अंग्रेजों ने तोफ के मुंह में बांधकर जिस समय उड़ाया होगा वहां का मंजर व स्थिति कैसी रही होगी।
            जबकि आम जनता को बुलाकर उनके सामने राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत अंग्रेजों ने लिया था ताकि आम जनता अंग्रेजों की  िखलाफत न कर पाये लेकिन जिस तरह से हंसते-हंसते पिता पुत्र राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी ने तोफ के मुंह में बंधने के बाद भी देश को आजाद कराने के लिये अपनी कुर्बानी देते हुये प्राण न्यौछाबार कर दिये थे।
        तोफ के मुंह में अंगे्रजों के द्वारा उड़ाने के बाद उनके क्षत-विक्षत शव को राजा शंकर शाह जी की पत्नि रानी फुलकुंवर ने अपने हाथों से पति व पुत्र के शव को समेट कर एकत्र किया था सोचिये किस तरह से रानी फुलकुंवर ने यह काम किया होगा। 

गृह मंत्री अमित शाह से आदिवासी वर्ग ने पुलिस व सेना के जवानों के लिये पुरस्कार दिये जाने की घोषणा करने की उम्मीद जताई 


अब प्रश्न यह उठता है कि अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिये ऐतिहासिक शहादत देने वाले पिता पुत्र गोंडवाना साम्राज्य के राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी के बलिदान को क्या आजादी के बाद केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने वो सम्मान आज तक क्यों नहीं दिया जिसके वे वास्तविक हकदार थे और आज भी है।
            केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय व गृह मंत्रालय को पुलिस जवान व सेना के जवानों को उनकी बहादुरी के लिये एवं सर्वोत्तम कार्य के लिये दिये जाने वाले पुरस्कारों के रूप में राजा शंकर शाह जी व कुंंवर रघुनाथ शाह जी के नाम पर पुरस्कार व सम्मान देने की योजना बनाकर लागू करना चाहिये।
        आदिवासी समाज के सगाजनों की भी यही अपेक्षा है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार को पुलिस व सेना के जवानों को पुरस्कार देने के लिये राजा शंकर शाह जी व कुंवर रघुनाथ शाह जी के नाम पर दिये जाने के लिये योजना बनाकर संचालित करना चाहिये जिससे राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत को वास्तविक सम्मान मिल सकता है।
        वहीं केंद्र सरकार के गृह मंत्री श्री अमित शाह स्वयं 18 सितंबर 2021 को जबलपुर पहुंचकर अमर शहीद राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ जी की शहादत स्थल पर स्थित प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान गृह मंंत्री अमित शाह से आदिवासी वर्ग ने अपेक्षा जताई है कि राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी की शहादत को वास्तविक सम्मान देने के लिये पुलिस व सेना के जवानों के लिये पुरस्कार देने की घोषणा करनी चाहिये। 

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