Type Here to Get Search Results !

पांचवी अनुसुुचि क्षेत्र में आदिवासी के संरक्षण हेतु राज्यपाल चाहे तो अलग से प्रावधान लागू कर सकते है-अनुसुइया उईके

पांचवी अनुसुुचि क्षेत्र में आदिवासी के संरक्षण हेतु राज्यपाल चाहे तो अलग से प्रावधान लागू कर सकते है-अनुसुइया उईके 

राज्यपाल ने कही पांचवी अनुसुचि क्षेत्र में आदिवासी समाज सर्वसहमति से सहमत नहीं होगा तो वहां पर कोई भी इंडस्ट्री या उद्योग नहीं लगाये जा सकते है

छत्तीसगढ़ राज्यपाल व केंद्रीय मंत्री कुलस्ते ने राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा का किया अनावरण 

गोंड समाज महासभा के तत्वाधान में सिवनी जिले के चुरनाटोला में हुआ सफल आयोजन 


सिवनी। गोंडवाना समय। 

गोंड समाज महासभा द्वारा आयोजित राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ की प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके ने कहा कि इतनी बारशि के बाद भी प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में आपका उत्साह देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है।


वहीं हमारे द्वारा गोंड राजा शंकर शाह व रघुनाथ शाह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह हम सबके लिये गर्व की बात है। सभी आदिवासी बहन भाईयों का मैं सेवा जौहार, हार्दिक अभिनंदन करती हूं। 

मान सम्मान और स्वाभिमान के लिये उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके


गोंड समाज महासभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चुरनाटोला ग्राम में पहुंची छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके ने कहा कि राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी की प्रितमा का अनावरण कर बहुत खुशी हुई। राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी ने आजादी की लड़ाई में किस तरह से अंग्रेजों के छक्क्के छुड़ाये और संघर्ष किया। उसके बाद मान सम्मान और स्वाभिमान के लिये उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके, इसलिये हमें उनके बलिदान को भूलना नहीं चाहिये वहीं उनसे प्रेरणा लेकर समाज को आगे बढ़ाना चाहिये। 

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा आजादी का 75 वां वर्षगांठ 


आगे छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके ने कहा कि पहली बार हमारी आजादी के 75 वां वर्षगांठ अमृत महोत्सव के रूप में भारत देश में मनाया जा रहा है। इसके लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आहवान किया कि ये 75 वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मनाये और हम उन लोगों को याद करें जिन्होंने आजादी की लड़ाई में संघर्ष किया जो लोग अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गये। इस संबंध में ये भी कहा गया जनजागरण के माध्यम से जनता को बताया जाये। 

जनजाति शहीदों के इतिहास को पाठ्य पुस्तक में शामिल कर पढ़ाया जाना चाहिये


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने कहा कि बहुत सारे जनजाति समाज छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के बहन-भाईयों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को लेकर काफी कुछ किया है लेकिन इितहास के पन्नों में गुमनाम हो गये है। छत्तीसगढ़ वीर नारायण सिंह, राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह, टंटया माना, ऐसे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुये है। प्रत्येक प्रदेशों में जनजाति शहीदों के इतिहास को पाठ्य पुस्तक में शामिल कर पढ़ाया जाना चाहिये। 

आदिवासी समाज के दु:ख दर्द को समझकर कार्य करने पर मिला राज्यपाल के रूप सम्मान 


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने कहा कि आज मुझे बड़े गर्व के साथ आपके सामने कहना चाहूंगी कि मैंने कभी जीवन में कल्पना नहीं किया था कि विधायक, सांसद मंत्री बनकर राज्यपाल के पद तक पहुंचगी लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि मैं यहां तक पहुंची तो मैंने आदिवासी समाज के दु:ख दर्द को अच्छे से समझा था और इन पदों पर रहकर जो कार्य किया था उसी के परिणाम रूप में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति जी ने उक्त कार्यों के रूप में मुझे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल में कार्य करने के लिये भेजा है। ये सम्मान मेरे व्यक्तिगत व आदिवासी समाज का अकेले का नहीं है ये लाखों करोड़ो आदिवासी समाज को ये सम्मान मिला है। 

संविधान में जनजाति समाज के विकास के लिये स्पष्ट प्रावधान किया गया है


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि संविधान जब बना था तो संविधान में ये स्पष्ट था कि पूरे देश के जनजाति समाज के लिये प्रावधान किया गया था कि आदिवासी समाज के लिये आर्थिक, समाजिक, शैक्षणिक और संविधान में क्या क्या प्रावधान किया जाये जिससे कि वे मुख्य धारा से और लोगों की तरह सक्षम हो सके। चाहे राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण की बात हो या विभिन्न क्षेत्र में सरकारी नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता मिलने की बात हो। 

आदिवासी समाज के साथ में किस तरह से अन्याय, अत्याचार किया गया है उसे मैंने बहुत करीब से देखी हूं


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि देश में जो क्षेत्र पांचवी अनुसूचि कहलाता है वहां पर 1996 पेशा कानून लागू है लेकिन इन तमाम सारे प्रावधान के बावजूद भी हमारे आदिवासी समाज इन अधिकारों से वंचित है। मैं जब जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर थी तब मैंने पूरे देश के जनजाति समाज के बीच में जाकर दौरा किया।
            आदिवासी समाज के पास जो प्राकृतिक गुण है लेकिन उनके पास आर्थिक सक्षमता नहीं है। वहीं हमारा आदिवासी समाज जो कि भोला भाला, सीधा साधा, सहज सरल है उनके साथ में किस तरह से अन्याय, अत्याचार किया गया है उसे मैंने बहुत करीब से देखी हूं। चाहे राउरकेला, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रेदश, उड़ीसा जहां लाखों आदिवासी समाज का जल, जंगल, जमीन में राज था, आज उनको बेदखल करके उन्हें किस हालत में फैंका है। आदिवासियों की जमीन में बड़ी-बड़ी फैक्ट्री खुल गई है लेकिन आज भी आदिवासी अपनी एक एक इंच जमीन के लिये तरस रहा है।
            

कई जगह तो उस आदिवासी परिवार को मुआवजा नहीं मिला, उस परिवार को नौकरी नहीं मिली थी और आदिवासी परिवार संघर्ष कर रहा था और उसके नाम से सरकार ने बड़ी बड़ी बिल्डिंग तान ली, बड़े बड़े उद्योगों को बना लिया लेकिन आज भी हमारा आदिवासी समाज वो ही गरीबी वो ही संघर्ष में जी रहा था। मैंने देखा कि ये तो बहुत बड़ा अन्याय है और फिर उसके बाद मैंने जनजाति आयोग में बैंच लगाकर प्रत्येक राज्यों में जाकर समस्या को सुना उसके बाद हमने निर्देश दिया कि बड़े कलेक्टर, आईएएस अधिकारी को दिल्ली अरबों खरबो रूपये निकाल रहे और आदिवासी को जंगल से निकालकर बाहर फेंक दिया गया है। आदिवासी को परिवार को तो ये भी नहीं मालूम नहीं कि उसकी कितनी जमीन है बेचारे लोग जिस हालत में थे उसी में जिंदगी जी रहे थे। 

राउरकेला के 3000 आदिवासियों को पट्टा दिलाई हूं


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि वर्ष 1954 और 1960 की बात है और पूरे हिन्दुस्तान में आदिवासी समाज के साथ अन्याय, अत्याचार हो रहा था मैंने कहा कि जनजाति आयोग के माध्यम से कोशिश करेंगे कि जनजाति समाज के लिये जनजाति आयोग के एक प्रकार से न्यायालय है जैसे हाईकोर्ट व सुप्रीर्म कोर्ट है जिसकी जानकारी आदिवासी समाज को नहीं थी। भटक रहे थे मैंने उनके लिये लड़ाई लड़ी राउरकेला के 3000 आदिवासियों को पट्टा दिलाई हूं। 

पांचवी अनुसुचि क्षेत्र में ग्राम सभा को पूर्ण अधिकार है 


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि चाहे झारखंड की बात हो अभी मैंने पिछले दिनों राष्ट्रप्रति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री से मिली और मैंने इनके सामने ये बात रखी कि जिस तरह का पांचवी अनुसूचि क्षेत्र है। आज सरकार पूरे कानून को पूरी तरह से अवैधानिक तौर पर रखकर आदिवासी के अधिकार की अनदेखी करते हुये बड़ी इंडस्ट्री ला रही है।
            जबकि पांचवी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा में पूरा अधिकार दिया गया है कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार वहां पर कोई पर कोई योजना, विकास के कार्य, माईनिंग, कोई उद्योग, आदिवासी समाज सर्वसहमति से सहमत नहीं होगा तो वहां पर कोई भी इंडस्ट्री या उद्योग नहीं लगाये जा सकते है। इसके बावजूद भी जबरन उनको अंगूठा लगाकर किसी भी तरह प्रशासन द्वारा उन्हें बेदखल करके निकाल दिया जाता है। 

पांचवी अनुसूचि क्षेत्र में केंद्र सरकार या राज्य सरकार की आवश्यकता नहीं होती है इतना अधिकार और शक्ति राज्यपाल को होती है

कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री जी से एक बात कहीं कि हो सके छत्तीसगढ़ में 80 ग्राम पंचायतों को तोड़कर नगर पालिका क्षेत्र बना लिया गया था जो कि प्रावधान नहीं है। वहीं पांचवी अनुसूचि क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी जमीन सिर्फ आदिवासी को ही बेच सकता है गैर को नहीं और इसलिये राज्यपाल को अधिकार दिया गया था उसका सही पालन होता तो पांचवी अनुसूचि क्षेत्र में गर्वनर को जो पॉवर है जो शक्ति है उस आधार पर वह आदिवासी समाज का संरक्षक व रक्षक गर्वनर राज्यपाल होता है।                 पांचवी अनुसुुचि क्षेत्र में आदिवासी की सुरक्षा व संरक्षण के लिये राज्यपाल चाहे तो अलग से कानून का प्रावधान बनाकर वहां पर लागू किया जा सकता है। केंद्र सरकार या राज्य सरकार की आवश्यकता नहीं होती है इतना अधिकार और शक्ति राज्यपाल को होती है। ये चीजे महाराष्ट्र में लागू किया गया वहां के आदिवासी के वन अधिकार के तहत एक संयुक्त परिवार वन अधिकार का पट्टा दिया जाता है। लोकल लोगों को प्राथमिक स्तर पर सरकार ने वहां पर कार्यवाही नहीं किया तो फिर वहां के गर्वनर ने कहा कि यदि सरकार इन क्षेत्रों में यदि आदिवासी को उनके हक अधिकार नहीं दिलायेगी तो वहां के गर्वनर ने कहा कि मैं स्वयं अपने कानून को लागू करकर वहां पर लागू करवा दुंगा तो वहां के गर्वनर ने कानून लागू किया तो वहां पर जनजातियों बेरोजगार को स्थानीय स्तर पर नौकरी मिली और पट्टा दे दिया गया। 

आदिवासी परिवार को बनाया जाये शेयर होल्डर ताकि वो जिंदगी भर मालिक बना रहे 

कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि वन विभाग के द्वारा कई बार आदिवासी के अधिकारों के विपरीत उनको भी बेदखल करके बाहर कर दिया जाता है तो इस संबंध में मैंने प्रधानमंत्री जी को कहा कि इसको रोका जाये। वहीं पांचवी अनुसुचि क्षेत्र में जितनी भी माईनिंग, इंडस्ट्री व उद्योग इन क्षेत्रों में आते है तो कम से कम उसके लिये जो रायल्टी व लाभांश मिलता है तो उसमें  आदिवासी को शेयर होल्डर बनाया जाये ताकि वो जिंदगी भर मालिक बना रहे। इस तरह मैं यह निरंतर प्रयास कर रही हूं कि आदिवासी के अनेक अधिकारों को लेकर प्रधानमंत्री से निवेदन कर रही हूं कि सभी हक अधिकार को आदिवासी को मिल सके। 

समाज के बच्चे डॉक्टर, इंजिनियर, आईएएस, आईपीएस बने इस पर विशेष ध्यान देना होगा

कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि समाज विकास के लिये मूल बात पर हम सबको सोचना होगा कि हमारा आदिवासी समाज के अधिकारों की सुरक्षा हो, हमारी आने वाली पीढ़ि है, जो बच्चे है वे अच्छी शिक्षा लेकर मेडिकल की पढ़ाई करे डॉक्टर बने, इंजिनियर बने, आईएएस बने, आईपीएस बने इस पर विशेष ध्यान देना होगा। वहीं अगर हम छोटी-छोटी चीजों को लेकर राजनीति करेंगे तो यह उचित नहीं है। इससे अच्छा हम एक मंच में आकर समाज की विचारधारा की बात करें तो उस दिन की दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो आपके विकास से रोक सके। 

छत्तीसगढ़ में राजभवन का द्वार आदिवासी समाज के लिये हमेशा खुला है

कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारे आदिवासी समाज ये सोच भी नहीं सकते थे कि वे राजभवन तक कैसे पहुंच सकते है लेकिन मैंने पहली बार वो मान सम्मान और उनसे कहा कि आपकी बहन बेटी राज्यपाल है आपको डरने की जरूरत नहीं है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि मैं भी गोंड समाज से हूं और इसीलिये राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती जी रही है। वहीं हमारे पूर्व जन्म का ऐसा कुछ कार्य रहा है कि आज कुलस्ते हो चाहे राजनैतिक क्षेत्र में है या सामाजिक क्षेत्र में संघर्ष करते रहे है। 

दादा हीरा सिंह मरकाम व मनमोहन शाह बट्टी ने समाज में लाई जागृति 


कार्यक्रम में संदेश देते हुये राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आगे कहा कि आज मैं उस बात को याद करूंगी दादा हीरा सिंह मरकाम जी को मैं उनको नमन करती हूं कुछ भी हो उन्होंने आदिवासी समाज में क्रांति लाई थी जागृति लाई थी ।

वहीं चाहे मनमोहन शाह बट्टी जी क्यों न हो हम उनको भूलेंगे नहीं। वास्तव में उनके सच्चे मार्गदर्शक है उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि और मोक्ष अगर मिलेगा तो ऊपर से भी देख रहे होंगे। इसी तरह से हमारे जो पूर्वज रहे होंगे सही श्रद्धांजलि होगी जब उनके पद्चिह्नों में चलकर समाज को संगठित होकर और जो कुरितियां है उनको दूर करकर एक भाईचारा की भावना से, तेरा-मेरा, ये गोंडवाना, कांगे्रस-बीजेपी कोई ये है कोई वो है। 

हमारी संस्कृति को बचाने के लिये हमें जागरूक रहना है


इसके साथ ही राज्यपाल ने आगे कहा कि इस बात की बहुत चर्चा की है कि आज हमारे समाज को कुछ षडयंत्रकारी भी विद्यटन करने की स्थिति में ला रहे है। कई ऐसे लोग है जो धर्म परिवर्तन की बात करते है जिससे हमारी संस्कृति को बचाना है समाज को जागरूक होना है। यदि वो हमारी संस्कृति अपने समाज के प्रति, हमारे प्रकृति हमारे देवी देवता और किस तरह से हमारे लोगों के साथ अन्याय होते देखा है। इसलिये आप सबको आगे आने होगा किस तरह से धर्म परिवर्तन को लेकर हमारी बेटी, बहु और हमारी मां का किस तरह से रक्षण कर सकते है इसको समझने को आपको सोचना होगा। 

हक तो आप लोगों को ज्यादा बनता है बाद मैं छत्तीसगढ़ का बनता है 

जब मैं राज्यसभा सांसद थी तो गोंड समाज महासभा प्रदेश अध्यक्ष बी एस परतेती मिलते रहते थे हक तो आप लोगों को ज्यादा बनता है बाद मैं छत्तीसगढ़ का बनता है मैं दलगत राजनीति से उठकर इस संवैधानिक पद पर मैं बैठी हूं। मेरी यही कोशिश होगी कि हमारे समाज के जो अधिकार है वे उन्हें मिले वही जहां कहीं भी आदिवासी समाज पर अन्याय-अत्याचार हो रहे है उन्हें रोकने की कोशिश करूंगी।  वहीं मै कोशिश करूंगी कि मध्य प्रदेश के गर्वनर से बात करके और वे प्रावधान जो महाराष्ट्र में लागू हुये थे जैसा कि कुलस्ते जी ने कहा कि वहां के गजट जो वहां पर लागू हुये थे उस संबंध में मध्य प्रदेश के गर्वनर के साथ बैठक चर्चा करके यहां भी पांचवी अनुसूचि का पालन जल्दी से जल्दी हो इसका प्रयास करूंगी। 

गोंडी भाषा व गोंडी धर्म की मान्यता के लिये करूंगी विशेष प्रयास 

आठवी अनुसूची क्षेत्र में गोंडी भाषा को मान्यता मिली थी जब कुलस्ते जी केंद्रीय मंत्री थे जब दिल्ली में सेमीनार हुआ था हमने भी इस बात के लिये मांग उठाई है कि जब हिन्दुस्तान में लगभग 12 करोड़ की संख्या में जनजाति समाज है सबकी अपनी धार्मिक मान्यता है, सिख लोगों पंजाबियों की अपनी मान्यता है, क्रिश्यचनों की अपनी मान्यता है, मुस्लिम का इस्लाम धर्म है, सारे लोगों का अपना अपना धर्म है तो हमारे देश में गोंडवाना गोंडी समाज करोड़ो की संख्या में है तो गोंडी धर्म क्यों नहीं होना चाहिये।
            इसके लिये हमें आगे आकर आवाज उठाना चाहिये और आपकी बात को हम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक पहुंचायेंगे। वहीं राज्यपाल ने कहा कि जिसकी जिस धर्म में मानने की आस्था है तो उसे उस धर्म को मानने से रोकना उचित नहीं है। वहीं उन्होंने समाज को विकास की दिशा में ले जाने के लिये कहा कि हम कैसे अपनी आने वाली पीढ़ि को आगे बढ़ा सकते है सशक्त कर सकते है, हम एकजुट होंगे तो हमारा समाज विकास करेगा, हमारे लोग विकास करेंगे। यदि हम आपस में लड़ते जायेंगे तो जहां की स्थिति की वहीं बनी रही रहेगी। समाज के जितने भी जनप्रतिनिधि है हम सब मिलकर एक होकर और आदिवासी समाज के विकास के लिये कार्य करेंगे। 

राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह आदिवासी समाज के गौरव है


केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने चुरनाटोला में आयोजित प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में गोंडवाना समय से चर्चा के दौरान कहा कि अमर शहीद राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह आदिवासी समाज के गौरव रहे हैं। आपको जानकर समझ में आयेगा कि देश की आजादी के लिए जब संघर्ष प्रारंभ हुआ था उस समय राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी ने इस पूरे आंदोलन की शुरूआत की थी।
             उनमें से जब अंग्रेजों को ऐसा लगा कि पिता पुत्र दोनो ही आने वाले समय में अंग्रेज सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं तो अंग्रेजों ने पिता पुत्र दोनो को तोप से बांधकर उड़ा दिया। देश की आजादी के लिए ऐसा बलिदान देश में आज तक न कभी किसी ने सुना होगा जैसा कि आदिवासी समाज के गोंड राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह ने दिया। इसीलिए आदिवासी समाज के द्वारा अनेक स्थानों में अमर शहीदों के बलिदान दिवस के अवसर पर मनाया गया है।
            आज आदिवासी समाज के लिए गौरव का विषय है कि चुरनाटोला में अमर शहीद राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आगे कहा कि जहां पर अमर शहीद पिता पुत्र को तोप से उड़ाया गया था वहां के लिए सरकार के द्वारा देश की आजादी के लिए शहीद हुए पिता पुत्र के नाम पर शहीद स्मारक बनाने के लिए 5 करोड़ रूपये की घोषणा की गई है। उसकी आधारशिला रखी गयी है आदिवासी समाज के लिए यह गर्व का विषय है कि सरकार अब आदिवासियों के महापुरूषों के बारे में सोच रही है।

देश की आजादी के लिये न तो पिता ने न ही पुत्र ने माफी मांगी ये इतिहास है हमारा गोंड़ो का है-ओमकार मरकाम 


राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा स्थापित कर समाज के सम्मान को ऊंचाईयों पर ले जाने का अमिट काम किया है। शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी जब अंगे्रजों को खदेड़ने के लिये रणनीति बना रहे थे तब अंग्रेजों ने अपने सिपाईयों को साधु के भेष में भेजकर उनकी रणनीति की जानकारी लेकर अंग्रेजी हुकुमत को बता देते है। इसके बाद पिता पुत्र को अंग्रेज ने गिरफतार कर लिया गया। अंग्रेजों ने सजा सुनाने के पहले कहा कि पिता पुत्र यदि माफी मांग ले तो आपको छोड़ दिया जायेगा लेकिन गर्व है हमें कि देश की आजादी के लिये न तो पिता ने न ही पुत्र ने माफी मांगी ये इतिहास है हमारा गोंड़ो का है। 

छत्तीसगढ़ राज्यपाल ने नगर पंचायत को बनाया ग्राम पंचायत इसके लिये समाज की ओर धन्यवाद देते है-श्याम सिंह मरकाम 


श्याम सिंह मरकाम कहा कि छत्तीसगढ़ में जो राज्यपाल जिस तरह से कार्य कर रही है यदि मध्य प्रदेश में ऐसी राज्यपाल हो जाये ओर देश का राष्ट्रपति इसी तरह हो जाये गोंडवाना के लोगों का उद्धार हो जायेगा। पांचवी अनुसूचि, पेशा कानून की बात को लेकर हमने बहुत से राज्यपाल देखे है लेकिन हमारे छत्तीसगढ़ में राज्यपाल में किया है। छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बना दिया गया था उन्हें राज्यपाल सुश्री अनुसुईया जी ने ग्राम पंचायत बनाया इसके लिये समाज की ओर से उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं। 

गोंड समाज महासभा का माना आभार 


चुरनाटोला में राजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह जी की प्रतिमा स्थापना समाज की एकता के लिये गोंड समाज महासभा के द्वारा किये गये आयोजन के लिये छत्तीसगढ़ राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने गोंड समाज महासभा के पदाधिकारियों की सराहना करते हुये उन्हें धन्यवाद देते हुये आभार व्यक्त किया। वहीं आयोजन में पहुंचे सभी अतिथियों के द्वारा गोंड समाज महासभा के द्वारा किये गये सफल आयोजन के लिये समिति की प्रशंसा किया। वहीं गोंड समाज महासभा द्वारा समस्त अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान स्वरूप प्रदान किया गया। 

कार्यक्रम में विशेष रूप से ये रहे मौजूद 

कार्यक्रम में विशेष रूप से गोंड समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस परतेती, ओमकार मरकाम, नीलेश परतेती, कमल मर्सकोले, अशोक सिरसाम, चित्तोड़ सिंह कुशराम, कामिनी शाह, शोभाराम भलावी, नारायण पट्टा, मान सिंह इनवाती गोंडी धर्माचार्य, श्याम सिंह मरकाम, अमान सिंह पोर्ते मौजूद रहे।


Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.