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गोंडी इतिहास को लिपिबद्ध करने में अर्का माणिक राव की साहित्य के क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका

गोंडी इतिहास को लिपिबद्ध करने में अर्का माणिक राव की साहित्य के क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका 

अर्का माणिक राव गोंडवाना के साहित्यिक जगत में तेलंगाना राज्य का गौरव है

पद्मल पूरी, काको एत्मा सुर पेन तेलगु भाषा में किताब लिकर रचा इतिहास


संवाददाता, घोड़ाम रमेश
तेलंगाना। गोंडवाना समय। 

अर्का माणिक राव गोंडवाना के साहित्यिक जगत में तेलंगाना राज्य का गौरव है और आदर्शवान व्यक्तित्वों में से एक है।


अर्का माणिक राव द्वारा गोंडवाना के इतिहास को लिपिबद्ध किया जाकर और समाज को नई दिशा दिखाने का कार्य निरंतर कर रहे है।

उनका कहना है कि गोंडी साहित्य इतिहास की जानकारी गोंडवाना के लोगों को प्राथमिक स्तर से स्कूलो में उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिये। गोंडवाना के सांस्कृतिक इतिहास को लिपिबद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया जिस पर आगे भी तत्पर रहकर इसी कार्य में जुटे हुये है। 

गुस्साडी नृत्य में मोर के पंख की टोपी को सिर पर रखकर किया जाता है नृत्य


तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्यों में गुस्साड़ी कोया नृत्य प्रसिद्ध है परन्तु यह नृत्य को किये जाने की सत्यता एवं प्राकृतिक महत्व से अधिकांश लोग अभी अनजान है। गुस्साडी नृत्य इस नृत्य में मोर के पंख की टोपी को सिर पर रखकर नृत्य किया जाता है।

वहीं शरीर के अंगों पर राख, सपेद या लाल रंग की मिट्टी लगाई जाकर नृत्य किया जाता है। इसी तरह प्रकृति में मिलने वाली वनस्पतियों से माला बनाकर धारण किया जाता है। जड़ के पत्ते, शेर, हिरण, भालू, बकरी और अन्य पशुआें के चर्म का वस्त्र के रूप में लपेटा जाता है। ब्याल के अबुशन, धारण किया जाता है, वास्तव में इस नृत्य परम्परा में शिव, (आदि मानव) परिवेश को पहनकर गुस्साडी नृत्य किया जाता है और अपने आपको लिंगो है मानता है। 

इतिहास को लिपिबद्ध किया और समाज को नई दिशा दिखाई


कई हजारो वर्षों से चली आ रही परंपरा का राज और सत्य को आज भी अधिकांश लोग नहीं जानते है। अर्का माणिक राव ने इस तरह की सत्यता व जानकारी के साथ साथ रेला गाने को, गोंडी शब्द को जाना और एक किताब रूप में इतिहास को लिपिबद्ध किया और समाज को नई दिशा दिखाई। 

अर्का माणिक राव की शैक्षणिक योग्यता व उनकी पारिवारिक जानकारी 

अर्का माणिक राव शैक्षणिक योग्यता में बहुत आगे रहे है। अर्का माणिक राव जो कि प्रधान अध्यापक, एम.ए., बीएड, राजनीती शास्त्र, ऊसमानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से किया है। इनके पिता का नाम जैवंतराव है और माता सावित्रा बाई है। वहीं मूलत: इनका ग्राम गूंजाला तहसील नारनूर, जिला आदिलाबाद है। इनकी धर्म पत्नी अर्का अन्नपूर्णा है। इनके दो बेटी ऐक बेटा है जिनमें गोदावरी बीएससी, बीएड, बेटी गंगासागर बीएससी, डीएड, बेटा मोहानदास बीएससी। अनुसूचित जनजाती आस्रमा बलिका उन्नत विद्यालय उटनूर में कार्यरत है। 

गोंड बालक बालिकाओं को उनकी मातृशक्ति भाषा मे पढ़ाई होना चाहिये


गोंडी संस्कृति साहित्य का वे सदैव अध्ययन करते रहे है। गोंडी भाषा, गोंडी भाषा व संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने हेतु गूंजला गोंडी लिपी, मुंशी मंगल सिंह क्रूर, गोंडी लिपी, गोंड बालक बालिकाओं को उनकी मातृशक्ति भाषा मे पढ़ाई होना चाहिये। इसके लिये प्राथमिक स्तर से कक्षा पहली से कक्षाा पांचवी तक की प्रथमीक स्तर से होनी चाहिये। तेलूगू लिपी से गोंडी भाषा मे शिक्षा न होने से कक्षा 1 से 5 वी कक्षा तक भाषा, गणित, विज्ञान, समाज शास्त्र सहित अन्य पाठ्य पुस्तके लिख चुके है।  कल्चर पेसिफिक एड्युकेश करीकुलम डैलपमेंट थीसेस एनसीआरटी मैसूर यूनिवरसिटी से और गोंडी, तेलगू, हिंदी, इंग्लिश, शब्द कोष 43000 शब्द का शब्द कोष गोंडी करियान साटी पुस्तक सामाजिक संघटन कोयबुम्मक कोयपूनेम तेलंगण राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर कार्यरत है और पाठशाला चलाते है? गोंडी मौखिक साहित्य पाटा, पीटो, पेंदो, मुहावरे, लोकोक्तियॉं, वेसूडी, कथा को लिपी बद्द करना और ग्रंथ तैयार करने का प्रयत्न जारी है। 

तभी होगा गोंडवाना राज्य का सपना साकार           


हम आपको बता दे कि अर्का माणिक राव गोंडवाना के साहित्यिक जगत में तेलंगाना राज्य का गौरव है और आदर्शवान व्यक्तित्वों में से एक है। अर्का माणिक राव जी का कहना है कि गोंड़वाना का युवक गोंडी इतियास को जानने के लिये एक दिन में सिर्फ 10 मिनट का समय दे और आपस में विचार विमर्श करे तब ही गोंडवाना राज्य का सपना साकारा होगा। समाज का हर व्यक्ति शिक्षित हो । 

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