Type Here to Get Search Results !

हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड प्रबंधन ने 10 दिनों में नहीं लिया संज्ञान तो करेंगे जंगी आंदोलन

हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड प्रबंधन ने 10 दिनों में नहीं लिया संज्ञान तो करेंगे जंगी आंदोलन 

19 दिन बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट प्रबंधन मलांजखंड ने नहीं दिया ध्यान तो क्षेत्रवासियों ने लिया निर्णय 

बालाघाट। गोेंडवाना समय। 

महाप्रबंधक, हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड जिला बालाघाट को विभिन्न प्रतिनिधिमण्डल के द्वारा 10 दिसंबर को मीटिंग का आयोजन करते हुये विभिन्न बिंदुओं के तहत प्रमुख मांगों, समस्यायों व आवश्यकताओं को लेकर सौंपा गया है, जिसमें उक्त समस्त बिंदुओं पर चर्चा करने की बात 10 दिनों के अंदर समय सीमा निर्धारित की गई है अन्यथा 10 दिनों के उपरांत जंगी आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है। 

विडंबना पूर्ण तानाशाही कृत्य जो कि न्याय संगत नही है


यहां यह उल्लेखनीय है कि 22 नवंबर 2021 को हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड के निजिकरण की संभावना के विरूद्ध एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड से जुड़े विभिन्न समस्याओं को लेकर एचसीएल मेनेंजमेंट क्षेत्रिय संगठनों, जनप्रतिनिधियों एवं मजदुर यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त चर्चा की मांग को लेकर महाप्रबंधक के नाम थाना प्रभारी मलांजखंड के द्वारा ज्ञापन दिया गया था। इसके बाद भी लगभग 19 दिन बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट प्रबंधन मलांजखंड द्वारा आज दिनांक तक ज्ञापन को संज्ञान में लेते हुऐ कोई भी कारगर पहल नहीं किया गया। जिससे यह साफ जाहिर होता है की मेनेंजमेंट स्थानिय लोगों एवं स्थानिय समस्याओं को अनदेखी करता है। यह एक बडी ही विडंबना पूर्ण तानाशाही कृत्य है, जो कि न्याय संगत नही है। 

विषयवार चर्चा हेतु समय निर्धारित करने के लिये लिखित में सौंपा गया


पुन: इस संबंध में 10 दिसंबर 2021 दिन शुक्रवार को थाना चौक मलांजखण्ड में क्षेत्रवासीयों एवं जिले के विभिन्न संगठनो के प्रतिनिधियों द्वारा बैठकर विभिन्न विषयों में चर्चा किया गया। उक्त बैठक पर प्रमुख बिंदु लिये है जिन्हें लिखित में हिन्दुस्तान ताम्र परियोजना मलांजखंड के प्रबंधन 10 दिवस के अंदर उपरोक्त प्रतिनिधि मंडलों चर्चा विषयवार करने के लिऐ समय निर्धारित करने के लिये सौंपा गया है। इसके साथ ही संज्ञान नहीं लेने पर दस दिवस उपरांत जंगी आंदोलन करने पर बाध्य होना पडेÞगा की चेतावनी दी गई है। 

निजीकरण बंद हो या भूमि मालिकों को उनकी भूमि वापस किया जावे


प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि निजीकरण का विरोध के तहत अवगत कराया गया कि भूमि अधिग्रहण में लोगों ने सरकार को संचालन हेतु अपनी स्थाई भूमि संपत्ति आदि देने की स्वीकृति दी न कि किसी निजी व्यक्ति, कंपनी परिवार हेतु अत: निजीकरण बंद हो या भूमि मालिकों को उनकी भूमि वापस किया जावे। 

क्षेत्रिय युवाओं को ही कार्य में अवसर प्रदान करें

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि यहां संचालित कंपनी या कंपनियां शोषण को रोकते हुये क्षेत्रिय युवाओं को ही कार्य में अवसर प्रदान करें। कंपनियों में अधिकारी संवर्ग में 50 प्रतिशत एवं कर्मचारी संवर्ग में 80 प्रतिशत की नियुक्ति अनिवार्य हो। 

समस्याओं पर चर्चा करें न कि चुपके से आकर चले जाये

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि हिन्दुस्तान कॉपर मुख्यालय से आने वाले अधिकारीगण स्थानीय नागरिक जनप्रतिनिधि श्रम संगठनों से निश्चित रूप से समस्याओं पर चर्चा करें न कि चुपके से आकर चले जाये, स्थानीय नागरिकों जनप्रतिनिधियों एवं श्रम संगठनों से चर्चा करना सुनिश्चित करें। 

सीएसआर के तहत मूलभूत सुविधायें सुनिश्चित किया जाये

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि सीएसआर सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत व्यय धन की स्थानीय स्तर पर खर्च कर क्षेत्र का स्थायी विकास करें, स्थाई उद्योग कार्य पर ध्यान कर 10 किमी का क्षेत्र में मूलभूत सुविधा सुनिश्चित किया जाये। 

200 करोड़ रूपये का बंदरबांट का पारदर्शीता के खुलासा किया जाये

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि स्टार टेÑस कंपनी द्वारा निर्मित सयंत्र जिसमें सोना, चांदी सिलिका, मेगनाइट कॉपर कन्सटेÑट इत्यादी उत्पादन के नाम पर करीब 200 करोड़ रूपये का बंदरबांट का पारदर्शीता के खुलासा किया जाये। इसमें कौन-कौन शामिल है, इसकी जानकारी दी जावे एवं इन पर क्या कार्यवाही हुई है। परियोजना में नॉनटेनिक्ल कार्य पूर्णतय: स्थानीय बेरोजगारों के माध्यम से कराया जाये।  

आदिवासी समुदाय को 4 एकड़ भूमि आबंटित किया जावे

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि हिन्दुस्तान कॉपर प्रोजेक्ट जो कि आदिवासी क्षेत्र में स्थापित है और स्थानीय आदिवासी समुदाय को प्रोजेक्ट द्वारा उनके सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक विकास के लिये भूमि आबंटित नहीं की गई है, जो भूमि वर्तमान में आबंटित है, वह केवलपरियोजना में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी के समाजिक गतिविधियों के लिये है, इसलिये आदिवासी समुदाय को 4 एकड़ भूमि आबंटित किया जावे। 

स्वास्थ्य सुविधा के लिये परियोजना कर्मचारी गेरेण्टर की प्रथा समाप्त किया जाये

प्रतिनिधिमंडल द्वारा लिखित में अवगत कराते हुये बताया गया है कि इसके साथ ही परियोजना द्वारा निर्मित चिकित्सालय में स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य परिक्षण कराने में असुविधा होती है किसी भी व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराना हो तो एक परिचित परियोजना कर्मचारी को गारंटी के रूप में लाना पड़ता है, परियोजना में स्थानीय लोग जो कर्मचारी थे वह लगभग सेवानिवृत्त हो चुके है, ऐसी स्थिति में चिकित्सा का लाभ लेने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता रहा है, इसलिये परियोजना अधिकारी कर्मचारी को गेरेण्टर बनाने की प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त किया जावे। प्रतिनिधि मण्डल में द्रोपकिशोर मेरावी, इंजिनियर भुवन सिंह कोर्राम, देव सिंह मरकाम, एस आर धुर्वे, राजेन्द्र सिंह मेरावी, गोपाल सिंह मरकाम, दिनेश मेरावी, शिव प्रसाद कौशिक, भूपेन्द्र तेकाम आदि मौजूद रहे। 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.