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कोया पुनेम एवं संवैधानिक पांच दिवसीय केंद्रीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ भव्य समापन

कोया पुनेम एवं संवैधानिक पांच दिवसीय केंद्रीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ भव्य समापन 

पर्यावरण संरक्षण एवं ग्राम सभा सशक्तिकरण था प्रशिक्षण की थीम 

दीनदयाल परते की रिपोर्ट
धमतरी/नगरी। गोंडवाना समय। 

छत्तीसगढ़ राज्य के ग्राम-बोराई, तहसील-नगरी, जिला-धमतरी में 23 दिसंबर 2021 से 27 दिसंबर 2021 तक कोया पुनेम एवं संवैधानिक पांच दिवसीय केंद्रीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें 10 राज्यो से आये प्रशिक्षार्थियों एवं बुद्धिजिवियों का समागम हुआ।
            


वहीं 5 दिवसीय केन्द्रीय प्रशिक्षण में युवाओं में सहस्राब्दियो से सतत वैज्ञानिक अनुसंधानों से जांची परखी रूढ़िगत विश्वासों परम्पराओं को और मजबूत करने, वर्तमान में तेजी से हो रहे प्रकृति पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने, कोयतोरिन टेक्नोलॉजी का अनुप्रयोग करने, समुदाय में व्याप्त आण्डम्बरो को जड़ से समाप्त करने हेतु टोण्डा-मण्डा-कुण्डा संस्कार का परिपालन करने, प्रकृति सम्मत गोण्डीयन पंडुम को समझने, पेन ऊर्जाओं पर आधारित नार-जागा-गढ़-मण्डा की प्रकृति सम्मत डिजाइन की मानवीय व्यवस्थाओं को अध्ययन करने, गोटूल एजुकेशन सिस्टम के साथ ही आधुनिक शिक्षा के उच्चतम बिन्दुओं को समझने,  हाटुम इकोनॉमी व हड़प्पीयन सभ्यताओं से विकसित गोण्डीयन आत्मनिर्भर इकोनॉमी सिद्धांत को समझकर वर्तमान घोर बेरोजगारी की समस्या से निपटने, यूपीएससी/आईएएस/पीएससी/पीएमटी/एसएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने, भारतीय संविधान में निहित आदिवासियों के लिए स्वशासन की भावना व पांचवी अनुसूची जैसे तत्वों को समझने, गण्ड-गोण्ड-गोण्डवाना-गोटुल-गुड़ी-गायता-गोण्डी के व्यवस्थित सामाजिक-प्रशासनिक-शैक्षणिक-आर्थिक-आध्यात्मिक अदभुत संरचनाओं को समझकर युवाओं में उनके जीर्र/डीएनए को जगाते हुए अपने आत्मविस्वास को प्रबल करने आदि अनेकों बिन्दुओं पर केंद्रित विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 18 वॉ पांच दिवसीय केन्द्रीय कोया पुनेम व संवैधानिक जागरूकता कार्यशाला रखी गई। प्रशिक्षण के दौरान गोटुल एजुकेशन सिस्टम की तरह अनुशासित ढंग से हमारे देश भर से आऐ विषय विशेषज्ञों-मांझी (माजी)-मुखियाओं-पेनो-पुजारियों-रिसर्चरों-भूमकाओ (बूमका)-आदि के द्वारा प्रशिक्षक ही प्रशिक्षु और प्रशिक्षु ही प्रशिक्षक की भावना लिए हुए सभी की सहभागिता के साथ आयोजित किया गया। वर्तमान में हमारे समुदाय के साथ ही पृथ्वी पर प्रकृति और मानव का जीवन संकटग्रस्त स्थिति में पहुंच गया है इसलिए प्रकृति पुनेम के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले सगाजन जोश जुनून के साथ हजारों की संख्या में भाग लिए ताकि सब मिलकर शोषणमुक्त-कर्जमुक्त-आडम्बरमुक्त-भयमुक्त, रोजगारयुक्त-आत्मनिर्भर-स्वावलंबी-आत्मविश्वास से लबरेज पुनेमी समुदाय का निर्माण कर सके। 

इन महत्वपूर्ण विषयों पर दिया गया प्रशिक्षण


केबीएस टीम के विभिन्न विंग के द्वारा महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया जिसमें  (1) पर्यावरण विंग, (2) ब्लड डोनर विंग एंड हेल्थ विंग, (3) लीगल एड विंग, (4) इकोनॉमिक् एन्ड सेल्फ एनफ्लोयमेंट विंग (5) एजुकेशन एन्ड एम्प्लॉयमेंट विंग, (6) पुनेम मांझी विंग, (7) एग्रीकल्चर डेवलपिंग विंग, (8) गोत्र रक्षा विंग, (9) डिस्कवरी एन्ड प्रदर्शनी विंग (10) स्पोर्ट्स विंग आदि विषय शामिल है। 

प्रशिक्षणथीर्यो गोटुल नियमो का पुर्ण रुप से किया पालन


प्रशिक्षण कार्यक्र में प्रशिक्षणर्थियों द्वारा गोटूल के नियमों का पालन किया गया जिसमें (1) लयोरो को सदियों से चली आ रही पारम्परिक सफेद पगड़ी व लयाओ को सफेद स्कार्फ पहनकर शिविर मे प्रशिक्षण लेते  थे, (2)  सभी प्रशिक्षार्थी अपने पांरम्परिक वेशभूषा,गोटुल श्रृगांर वाद्ययंत्रो के साथ आये थे, (3) प्रशिक्षण स्थल पर पॉलिथीन व प्लास्टिक से बनी सामग्रियाँ पुर्ण प्रतिबंधित था । ताकि पर्यावरण का संरक्षण कर सके, (4)  प्रशिक्षण स्थल पर बस्तर संभाग व क्षेत्र के प्रमुख पेन शक्तियाँ भी आमंत्रित किया गया था अत: प्रशिक्षणार्थियो को पेन नियमों का परिपालन अनिवार्य रुप से किये गया, (5) प्रशिक्षण स्थल पर नशा पान पूर्णत: वर्जित था यदि ऐसा करते पाया जाता तो  गोटुल दण्ड के भागीदारी होंना पड़ता परन्तु सभी लया लयोर ने गोटुल नियम का पूर्ण पालन किये, (6) लया-लयोरो  को प्रतिदिन होने वाले  सभी सत्रो मे उपस्थित नाश्ते/स्नान /शयन जैसे अवकाश सत्र में भी पारम्परिक आदिवासी कोयतोरियन जीवनशैली को प्रायोगिक ढंग से समझाने की कोशिश की गई है, (7). लया लयोरो को कार्यक्रम व्यास्थापन संचालन हेतु अलग जिम्मेदारी भी  निर्वहन करने का मौका दिया गया। 

प्रशस्ति पत्र और रेला पाठा के साथ भव्य विदाई किया गया

इसके साथ ही प्रशिक्षार्थियों में नेतृत्व क्षमता विकसित हो इसके लिये कोया बुमकाल क्रांति सेना के मास्टर ट्रेनरो के द्वारा परीक्षार्थियों को कोया पुनेम एवं संविधानिक जानकारी एवं पेसा एक्ट के सिल्वर जुबली (रजत जयंती) के उपलक्ष्य पर भारत के तमाम राज्यों से आए प्रशिक्षाथीर्यों जो जोश और जुनून पैदा किया वह देखने लायक था। शिविर में हजारों की संख्या लया लयोर प्रशिक्षण लिया। संविधानिक 5 दिवसीय केंद्रीय प्रशिक्षण शिविर के भव्य समापन समारोह में प्रशिक्षथीर्यो को अतिथियों के द्वारा प्रशस्ति पत्र और रेला पाठा के साथ भव्य विदाई किया गया। 

प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ये हुये शामिल

केबीकेएस के पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के मीडिया प्रभारी तिरु. दीपक जुरी दादा के द्वारा बताया गया कि समापन कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पहुंचे क्षेत्रीय विधायक, जिला कलेक्टर, जिला कप्तान, सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष ललित नरेटी, झाड़ू सलाहकार, गोंडवाना समाज इतवारी नेताम, ईश्वर नेताम, भगवान सिंह, बलराम सॉरी, मोहन मरकाम, निश्चल मरकाम, सोनाराम नेता, हरक मंडावी, रामप्रसाद मरकाम, कुंदन साक्षी, बुधराम साक्षी देवनाथ, सर्व आदिवासी समाज की युवा प्रभाग के अध्यक्ष प्रमोद कुंजाम, आसम से अमृत इगें, जयराम इन्हीं, प्रदीप किलिंग, उड़ीसा से शुक्कणु मरकाम, अश्वनी नेताम, बुद्धू नेताम, मध्य प्रदेश से कमल किशोर आर्मो, कमलेश मरकाम, झारखंड से सूरज प्रसाद, महाराष्ट्र चंद्रशेखर पद्दा, परसराम, तेलगाना से नेहरू मडावी, सर्व आदिवासी समाज व प्रभाग के अध्यक्ष जिला गोरैया पेंद्रे, मरवाही मनीष धुर्वे, जीवन सैंडल, सूरजपुर जिला युवा प्रभाग के अध्यक्ष राजा शामिल रहे गोंड समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तिरुमाल सोनऊ नेताम,गोड़वाना समाज ब्लॉक नगरी के अध्यक्ष रामप्रसाद मरकाम, संरक्षक कुंदन साक्षी, सलाहकार गोड़वाना समाज साधुराम नेताम, जिला पंचायत सदस्य मनोज साक्षी, महिला प्रभाग गोड़वाना समाज अध्यक्ष बिंदा नेताम, पूर्व सचिव गोड़वाना समाज चिंताराम तुमरेटी, हरक मंडावी , दिनेश्वरी नेताम जनपद अध्यक्ष नगरी, महेन्द नेताम, सरपंच संघ सचिव मुनेंद्र ध्रुव , आत्माराम सोरी , शत्रुघन साक्षी, थाना प्रभारी बोराई युगल किशोर नाग, थाना1 प्रभारी नगरी कोमल नेगाम, सीईओ जागेश्वर ध्रुव, अधिकारी तथा कर्मचारी प्रभाग एवं केबीकेएस के सभी बिंगो के पदाधिकारी की उपस्थिति पर कार्यक्रम का भव्य समापन हुआ। 

गोटुल सिलेदारों ने राष्ट्रीय कार्यशाला में गोटूल करसना के गुर सिखाये 


बोराई में चल रहे केबीकेएस के केंद्रीय पांच दिवसीय कोया पुनेम व संवैधानिक कार्यशाला में  बूम गोटूल यूनिवर्सिटी के कुलपति ति. नारायण मरकाम सर के द्वारा गोटूल करसना को खेल खेल में बताया गया साथ ही पर्यावरण में पाए जाने वाले जीवो के भांति करसना जैसे मासुल करसना , डोक्के कर्सना आदि कराया गया साथ ही नार्र व्यवस्था के भैंसासुर पेन का जिक्र करते हुए उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पानी का विवरण को बताया गया । सत्र के अंतिम में गोटूल लया लयोरो द्वारा रेला पाटा किया गया।

घर की अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ाया जाए

अगले सत्र में गोण्डरी टेक्नोलॉजी के मास्टर ट्रेनर तुलसी नेताम जी ने गोण्डरी बाड़ी के बारे में बताते हुए घर की अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ाया जाए इसे गोण्डरी में पाए जाने वाले फल फूल व सब्जी भाजी के माध्यम से अपना आय का स्रोत के साथ जोड़ाते हुए और आॅर्गेनिक सब्जी का उपभोग करने हेतु प्रशिक्षार्थियों को अपने उद्बोधन में कहा । कार्यशाला में बीच बीच मे अतिथियों , सामाजिक सियानों व अधिकारी कर्मचारियों का आगमन होता रहा जिसे मंच के संचालन साथियों के द्वारा स्वागत रेला पाटा के माध्यम से किया गया।

पेसा, पांचवीं अनुसूची व आदिवासियों को अधिकार देने वाले कानूनों की जानकारी दिए 


असम से आये आदिवासी समुदाय के अमृत इंगति, जयराम इंगहि, प्रदीप किलिंग ने 6 वीं अनुसूची के अधिकारों वहां के रीति रिवाज, पारंपरिक व्यवस्था व असम के रहन सहन बोली भाषा को बताया गया। दोपहर के सत्र में पेसा विशेषज्ञ अश्वनी कांगे जी द्वारा पेसा पांचवीं अनुसूची व आदिवासियों को अधिकार देने वाले कानूनों की जानकारी दिए । कार्यशाला में गोटूल स्पोर्ट्स एकेडमी के कोच बंसीलाल नेताम व विगत दिनों सिक्किम से आये पर्वतारोहीयों का आगमन हुवा । अपने उद्बोधन में कोच बंसीलाल नेताम ने कार्यशाला में आये देश के अलग अलग राज्यों व छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों के प्रशिक्षार्थियों को खेल जीवन के बारे बताते हुए ओलम्पिक में अपना राह तक कैसे पहुंचे इसकी जानकारी दिया साथ ही खेलकूद संबंधित जानकारी दी गयी। 

गोंडी भाषा सीखने और सिखाने पर जोर दिया गया 

पत्रकारिता के सत्र लेने आये स्वतंत्र पत्रकार तामेश्वर सिन्हा  व शुभम तिग्गा द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात, दुनिया के लोगों तक कैसे पहुंचाया जाय व अपनी अधिकारों की लड़ाई सोशल मीडिया के माध्यम से कैसे लड़ा जा सके तथा आदिवासीयों को पत्रकारिता में आकर अपने कल्चर के शब्दो को कैसे सही तरीके से लिखकर प्रस्तुत किया जाय इसकी जानकारी दी गई। अरुण सर्वा जी द्वारा स्वरोजगार व व्यवसाय के बारे में जानकारी दिए। शिक्षा के क्षेत्र में कैसे आगे आये व शिक्षा को किस तरीके से समझे इसकी इसकी जानकारी रोजी गावड़े व एलेक्सा जी के द्वारा जानकारी दी गयी । तेलांगाना से आये नेहरू मड़ावी द्वारा गोंडी भाषा सीखने और सिखाने पर जोर दिया गया।


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