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अनुसूचित जनजाति वर्ग के सचिव के पद में सिवनी जिला पंचायत अंतर्गत स्वीकृत 239 में से 159 ही क्यों भरे गये ?

अनुसूचित जनजाति वर्ग के सचिव के पद में सिवनी जिला पंचायत अंतर्गत स्वीकृत 239 में से 159 ही क्यों भरे गये ?

अनुसूचित जाति प्रवर्ग के 19 सचिवों का अनारक्षित पद के विरूद्ध किया गया समायोजन 

वर्ष 2015 के बाद नहीं हुई सचिव पद के लिये भर्ती की प्रक्रिया

सिवनी। गोंडवाना समय। 

जनजाति बाहुल्य जिला सिवनी में जिला पंचायत सिवनी के अंतर्गत ग्राम पंचायतों सचिव के पद के लिये निर्धारित पद संख्या के पश्चात भी जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
                


जिला पंचायत में ही अनुसूचित जनजाति वर्ग के अनेक जनप्रतिनिधि जिला पंचायत सदस्य बनकर प्रतिनिधित्व कर रहे है, इसके साथ ही विधायक व सांसद का भी प्रतिनिधित्व अनुसूचित जनजाति वर्ग का होने के बाद भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के हक अधिकारों के साथ हो रहे हनन या खुले शब्दों में शोषण होने के बाद भी गंभीर मुद्दे पर कोई आवाज नहीं उठा रहा है। सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका खुलासा सिवनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री दिनेश राय मुनमुन के द्वारा लगाये गये प्रश्न के बाद हुआ है। 

सत्ताधारी दल के विधायक को गोलमोल जवाब देने की चर्चा


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा क्षेत्र सिवनी के विधाायक श्री दिनेश राय मुनमुन ने जिला पंचायत सिवनी के अंतर्गत पंचायत सचिव की अनुकंपा नियुक्ति एवं अन्य नियुक्तियों में आरक्षण नियमों एवं शासन के नियमों का पालन किये बिना नियुक्ति दिये जाने की प्राप्त शिकायतों में जांच व कार्यवाही के लिये प्रश्न विधानसभा में उठाया गया है। इसके बाद जिला पंचायत में जानकारी देने के मामले में गंभीर लापरवाही बरते जाने की भी चर्चा हो रही है। सत्ताधारी दल के विधायक श्री दिनेश राय द्वारा पूछे गये प्रश्न का जवाब गोलमोल कर दिये जाने की चर्चा चल रही है। अब देखना यह है कि जिला पंचायत सिवनी द्वारा सिवनी विधायक श्री दिनेश राय के द्वारा पूछे गये प्रश्न का जवाब सही मिला है या नहीं इस संबंध में आगे क्या कदम सिवनी विधायक उठाते है यह तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है। 

239 में 159 ही अनुसूचित जनजाति वर्ग के पद भरे गये

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार इस मामले में हम आपको बता दे कि सिवनी जिले में सचिव के कुल 645 पद स्वीकृत है, जिसमें से अनुसूचित जाति वर्ग के 64, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 239, अन्य पिछड़ा वर्ग के 90 और अनारक्षित वर्ग के लिये 252 पद स्वीकृत है। जिला पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में जितने पद स्वीकृत जिस वर्ग के लिये उस आधार पर उसी वर्ग के सचिव को नियुक्त किया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकार के साथ खिलवाड़ किया गया है क्योंकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये 239 पद स्वीकृत है लेकिन उसमें से मात्र 159 पद ही भरे गये है, उसके स्थान पर अन्य वर्गों को प्राथमिकता देकर सचिव के पद पर नियुक्ती दी गई है इस संबंध में जिम्मेदार अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनप्रतिनिधि भी सवाल नहीं उठा पा रहे है। जिला पंचायत में अनुसूचित जाति के 83 पद भरे गये है वहीं अनुसूचित जनजाति के 159 पद भरे गये है। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग 296 पद भरे हुये है वहीं अनारक्षित के 79 पद भरे हुये है। इस आधार पर कुल 617 पद भर हुये है, वहीं 28 सचिव के पद खाली पड़े हुये है।

अनुकंपा नियुक्ति में सामान्य वर्ग को लाभ देकर अनुसूचित जाति वर्ग का हुआ हनन

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सिवनी से सचिव पद के लिये भर्ती की प्रक्रिया वर्ष 2015 में हुई थी उसके बाद आज तक नहीं हो पाई है। अनुकंपा नियुक्ति में कई प्रकार की शिकायत प्राप्त होने के बाद भी सामान्यवर्ग के व्यक्ति को अनुसूचित जाति वर्ग का लाभ दे दिया गया है, जिससे अनुसूचित जाति वर्ग के  अधिकार का हनन हुआ है।

पदोन्नति होती तो सचिव बन जाते पंचायत इंस्पेक्टर

रोस्टर का पालन नहीं करने से अनुसूचित जाति, व अनुसूूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के लिये बनाये रोस्टर नियमों का खुला उल्लंघन भी जिला पंचायत में सचिव की नियुक्ति से लेकर पदोन्नति तक की गई है। यहीं कारण है कि इसी के चलते सचिव के पद पर सेवा देने वाले कर्मचारियों की जिले में पदोन्नति भी रूकी हुई है। जबकि कई सचिव तो अब सेवानिवृत्ति होने के कगार पर है यदि समय रहते पदोन्नति होती तो वे पंचायत इंस्पेक्टर बन सकते थे लेकिन विभाग की लापरवाही और शासन प्रशास की अनदेखी के चलते ऐसा नहीं हो पाया।

आखिर किसने किया है जानकारी देने में सत्ताधारी दल के विधायक को गुमराह करने का प्रयास

सूत्र बताते है कि जिला पंचायत द्वारा सत्ताधारी के विधायक को ही गुमराह करने का प्रयास जिला पंचायत सिवनी के अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा किया गया है। बताया जाता है कि उक्त जानकारी को बनाने वाले एक कर्मचारी जो कि शासकीय हाईस्कूल खबासा में पदस्थ है लेकिन सैटिंग व साँठगांठ से जिला पंचायत में ही बीते लगभग कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे है।

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