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पांचवी अनुसूचि, पेशा एक्ट, नक्सल समस्या, पुर्नवास, गोंडी भाषा सहित मध्यप्रेश के प्रमुख मुद्दों को उठाया

पांचवी अनुसूचि, पेशा एक्ट, नक्सल समस्या, पुर्नवास, गोंडी भाषा सहित मध्यप्रेश के प्रमुख मुद्दों को उठाया

राष्ट्रीय आदिवासी समागम में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर इंजि. भुवन सिंह कोर्राम ने रखे आदिवासियों के प्रमुख विषय 

कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी समागम में देश भर से एकत्र आदिवासी विषय के विशेषज्ञ

22 मार्च को राज्यपाल व 22 अप्रैल को राष्ट्रपति को सौंपेगे ज्ञापन 

कोलकाता। गोंडवाना समय।

राष्ट्रीय आदिवासी समागम रविन्द्र सदन कोलकाता में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रीय मंच पर मध्यप्रदेश निवासरत आदिवासियों की तमाम ज्वलन्त मुद्दों पर बात रखने का मौका मध्यप्रदेश से इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश को मिला। इसके साथ ही सभी प्रांतो से पहुंचे प्रतिनिधियो ने भी अपनी-अपनी बात रखी।


सभी प्रांतो की सहमति से 12 सूत्रीय प्रस्ताव पास किया गया, जिसे ज्ञापन के माध्यम से 22 मार्च 2022 को प्रत्येक प्रांत के महामहिम राज्यपाल को सौपना तथा 22 अप्रैल 2022 को महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन देने का प्रस्ताव पारित किया गया है।

इन विषयों पर भुवन सिंह कोर्राम ने रखी अपने विचार


कार्यक्रम के पूर्व इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश को मंच पर स्थान सुनिश्चित करने आमंत्रित किया गया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुये इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश द्वारा तैयार किये गये ज्वलंत मुद्दों से अवगत कराया। जिसमें राष्ट्रीय जनगणना प्रपत्र में अलग कालम, तथा जनजाति भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की बात पुरजोर तरीके से रखा। वहीं नक्सल उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय नीति बने ताकि बिना हथियार के समाधान हो सके। वहीं संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244-(1) के तहत पेशा एक्ट का क्रियान्वयन हो, राज्य स्तर पर एडवाइजरी कमेटी अनिवार्य रूप से बने। वहीं वनाधिकार अधिनियम के तहत उऋफ,. कऋफ  का क्रियान्वयन अनिवार्य रूप से किये जाने पर आवस्यक कदम उठाए जाने की बात भी गंभीरता के साथ रखा। इसके साथ ही आदिवासी समुदाय की बेटियां के दूसरे समुदाय के लड़कों से विवाह करने पर आदिवासियों के अधिकार समाप्त किए जाएं, विस्थापन नीति के अनुसार विस्थापित लोगों को पुनर्वास नीति के अनुसार स्थापित करने जैसे खनिज, राजस्व के मुद्दे शामिल को प्रमुखता के साथ रखा गया।  

जनसंख्या के आधार पर जारी बजट एवं गोंडी भाषा को आठवी अनुसूचि में शामिल किया जाये


इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश राष्ट्रीय आदिवासी संसद समागम कार्यक्रम में राष्ट्रीय जन गणना प्रपत्र में अलग कॉलम हो ताकि देश में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या स्पष्ट हो सकेगी और जनसंख्या के आधार पर केंद्रीय बजट का प्रावधान रखा जावे क्यों आदिवासियों की जनसंख्या अनुमानित होने पर सम्पूर्ण बजट नहीं मिल पाता जिससे आदिवासी समाज के विकास में नुकसानदेह साबित होता है। अनुसूचित जनजाति समुदाय के विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व भी जनसंख्या के आधार पर मिलना चाहिए। जनजाति समुदाय के विभिन्न भाषाएं, बोली  है जिसमे गोंडी भाषा बोली लिपि भी है उन्हें आठवीं अनुसूची में दर्ज कर राष्ट्रीय पहचान मिलना चाहिये।

नक्सल समस्या के नाम पर प्रभावित हो रहा आदिवासी समाज


इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश इसके साथ ही मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में लगातार चार दशकों से नक्सली समस्या के नाम पर आदिवासी समुदाय प्रभावित होता आ रहा है जिस पर केंद्र और राज्य सरकार स्पष्ट नीति बनाकर समस्या का समाधान करें।

पांचवी अनुसूचि, पेशा एक्ट किया जाये लागू

इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश द्वारा संविधान की पांचवी अनुसूची के अनुच्छेद 244 (1) में प्रदत अधिकारों के तहत मध्यप्रदेश राज्य में भूरिया कमेटी के अनुशंसा पर पैसा एक 1996 का अमल नहीं हुआ, मध्यप्रदेश सरकार पेसा नियम 2021 जो कि बिना चर्चा और बहस के बनाया गया है और लागू किया गया। वह आदिवासी स्वशासन के विरुद्ध है तथा उसमें बहुत सारी विसंगतियां मौजूद है राज्य सरकार में विधि के अनुरूप आदिवासी मंत्रिपरिषद का गठन नहीं किया गया है जो कि आदिवासी मामलों के लिए बहुत अधिक जरूरी है।

वन अधिकार अधिनियम के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं

इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश वन अधिकारियों की मान्यता अधिनियम 2000 के नियम 2007-08 एवं संशोधन 2012 के तहत व्यक्तिगत दावे ऋकफ  एवं अधिनियम की धारा 31 के अनुसार सामुदायिक हक उऋफ के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं है।

केंद्रीय पुनर्वास योजना स्थापित किया जाये

इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश द्वारा मध्यप्रदेश में टाइगर प्रोजेक्ट ,बांध व अन्य डेवलपमेंट के नाम पर आदिवासी क्षेत्रों में विस्थापन किया जाता है जिनका पुनर्वास नीति के अनुसार स्थापित नहीं किया जाता है इसमें केंद्रीय पुनर्वास योजना स्थापित होना बहुत जरूरी है।

गैर जनजाति वर्ग से विवाह करने पर न दिया जाये लाभ

इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश द्वारा जनजाति समुदाय की बेटियां गैर जनजाति वर्ग के लड़कों से विवाह करने पर संपत्ति दोहन तथा आरक्षण का लाभ गैर जनजातीय वर्ग लगातार ले रहा है। प्रशासन का किसी प्रकार का कुछ भी हस्तक्षेप नहीं है अगर इसे नहीं रोका जाएगा तो समाज की संस्कृति, संपत्ति एवं उनके अधिकारों का दोहन गैर आदिवासियों द्वारा किया जा रहा है, समाज को बहुत नुकसान हो रहा है। सरकार को उचित कदम उठाकर कार्यवाही करने की जरूरत है। 

मध्य प्रदेश से प्रमुख रूप से ये रहे मौजूद

इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश द्वारा अंत में उन्होंने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से कहा कि सभी मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर हमारे संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष करें। हम विश्वास दिलाते है कि मध्यप्रदेश में निवासरत आदिवासी हर संघर्षों में आपके साथ साथ हैं। इस कार्यक्रम में उपस्थित मध्यप्रदेश से इंजि. भुवन सिंह कोर्राम प्रदेश अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद मध्यप्रदेश, मंसाराम मड़ावी अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद बैहर, दशवंत सिंह मेरावी अध्यक्ष गोंडवाना महासभा बैहर रहे।

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