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मुख्यमंत्री के भगवानों और क्षेत्रिय ग्रामीणों के लिये झाबुआ पॉवर प्लांट की राख को डंप करने वाला ठेकेदार कर रहा मौत का इंतजाम

मुख्यमंत्री के भगवानों और क्षेत्रिय ग्रामीणों के लिये झाबुआ पॉवर प्लांट की राख को डंप करने वाला ठेकेदार कर रहा मौत का इंतजाम 

गिरीराज ऐसोसिएट कंपनी ने लिया है झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाली कैमिकलयुक्त राख को डंप करने का ठेका 

शासन प्रशासन की अनदेखी से ठेकेदार मानव जीवन, पशु पक्षी व पर्यावरण में घोल रहा धीमा जहर 


सिवनी/घंसौर। गोंडवाना समय। 

पांचवी अनुसूचि क्षेत्र घंसौर ब्लॉक में झाबुआ पॉवर प्लांट स्थित है, जहां पर बिजली का निर्माण होता है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र घंसौर ब्लॉक में वैसे तो नियमानुसार ग्राम सभा की अनुमति के बाद ही व्यापारिक व अन्य कार्यों को किया जा सकता है लेकिन झाबुआ पॉवर प्लांट की नींव रखे जाने से लेकर वर्तमान में भी ग्राम सभा को दरकिनार कर कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।
            


झाबुआ पॉवर प्लांट के मालिक कहें या कपंनी के लिये भले ही फायदेमंद होगी, वहीं सरकार, शासन-प्रशासन को भी लाभ पहुंचाती होगी लेकिन क्षेत्रिय आदिवासी व ग्रामीण किसानों, पशु पक्षी, पर्यावरण व प्रकृति के लिये नुकसानदेह साबित हो रही हैं। झाबुआ पावॅर प्लांट से निकलने वाली कैमिकल युक्त कोयले की राख को डंप करने का ठेका गिरीराज ऐसोसिएट कंपनी ने लिया हुआ है।
                

इस राख को डंप करने लिये कपंनी ठेकेदार के द्वारा नियमों की धज्जियां तो उड़ाई ही जा रही है इसके साथ में क्षेत्र में ग्रामीणों व आदिवासियों के बीच में दहशतगर्दी का वातावरण भी बनाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन भी झाबुआ पावॅर प्लांट या वहां से संबंधित ठेकेदारों की मनमानी पर रोक लगाने में अक्षम साबित हो रही है या यह कहा जाता है कि शिकवा शिकायतों का कोई असर ही नहीं होता है और न ही कोई प्रभावी कार्यवाही की जाती है। 

घंसौर ब्लॉक से ही मुख्यमंत्री ने आदिवासी को भगवान मानना प्रारंभ किया था 


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासियों को भगवान मानन की संज्ञा सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक से ही प्रारंभ किया था। आदिवासी सम्मान यात्रा के दौरान घंसौर ब्लॉक में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि आदिवासी मेरे भगवान है, इसके साथ ही आदिवासियों के लिये बजट में हक के साथ अनेकों बातें उनके द्वारा कही गई थी अर्थात आदिवासी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के भगवान है। वहीं हम आपको बता दे कि घंसौर ब्लॉक में आदिवासी सर्वाधिक शोषण व प्रताड़ना के शिकार झाबुआ पॉवर प्लांट व वहां पर कार्य करने वाले ठेकेदारों की कार्यप्रणाली से हो रहे है। विशेष संरक्षित जनजाति बैगा परिवार के सदस्य के झाबुआ पॉवर प्लांट से राख को डंप करने का ठेका लेने वाले ठेकेदार के गुण्डों के द्वारा मारपीट कर हाथ पैर तोड़ दिये गये थे। जिसकी एफआईआर करने में घंसौर पुलिस को 13 दिन तक समय लग गया था। बैगा परिवार के सदस्य का उपचार उनके परिजन स्वयं करा रहे है। 

खेती किसानी की जमीन पर बिजलीघर से निकलने वाली राख का कैसे दे दिया ठेका 


हम आपको बता दे कि झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख को डंप करने का ठेका गिरीराज ऐसोसिएट कंपनी ने ठेका लिया हुआ है। ठेकेदार के द्वारा झाबुआ पॉवर प्लांट से राख को लोड कर भारी वाहनों में ले जाकर खेत गड्डा करके डंप किया जा रहा है। झाबुआ पॉवर प्लाँट से राख लाने के दौरान अनेकों ग्रामों में राख की धूल और कण को छोड़ते हुये वाहनों का आवागमन होता है जो कि मानव जीवन व पर्यावरण के लिये नुकसानदेह साबित हो रहे है।

इसके साथ ही अब प्रश्न यह उठता है कि झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख को डंप करने के लिये गिरीराज ऐसोसियट कंपनी के ठेकेदार के द्वारा आदिवासी किसान का खेत को अनुबंध में लिया गया है। आदिवासी किसान के खेत में गड़डा करके भारी वाहनों से लोड कर डंप किया जा रहा है। जबकि पर्यावरण के जानकार बताते है कि बिजलीघरों से निकलने वाली राख को उचित प्रबंधन होना चाहिये क्योंकि यह मानव जीवन, पशु पक्षी, प्रकृति व पर्यावरण के लिये हानिकारक है। इसके बाद भी राख को खेती किसानी की जमीन पर गड्डा करके डंप किया जा रहा है जो कि आदिवासी व क्षेत्रिय ग्रामीणों के लिये भविष्य में नुकसानदेह साबित होगा। सबसे अहम बात यह है कि इस मामले में बिजलीघर से निकलने वाली राख का उचित प्रबंधन किये जाने को लेकर एवं खेती किसानी की जमीन में राख डंप करने के विषय पर शासन प्रशासन के साथ साथ पर्यावरण प्रदुषण बोर्ड गंभीर नहीं है। 

भविष्य में कैसे करेंगे खेती का उपयोग परिजन

हम आपको बता दे कि झाबुआ पॉवर प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख को डंप करने का ठेका लेने वाले ठेकेदार ने आदिवासी किसान की जमीन को अनुबंध के आधार पर लिया है, इसकी संपूर्ण व विस्तृत जानकारी परिजनों को नहीं है कि कितने वर्षों के लिये ठेका लिया है, किस काम के लिये ठेका लिया है। ठेकेदार के द्वारा खेत में जिस तरह से गड्डा करके राख को डंप किया जा रहा है उसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में खेत के मालिक व उनके परिजन खेती किसानी काम नहीं कर पायेंगे। पर्यावरण के जानकार बताते है कि खेती की उर्वरक क्षमता समाप्त हो जायेगी और यदि फसल बोवनी के लिये खेत में हल चलायेंगे तो सिर्फ राख ही राख ही नजर आयेगी। परिणामतय: झाबुआ पॉवर प्लांट से राख निकालने के लिये ठेका लेने वाले ठेकेदार लाभ कमाकर चला जायेगा और खेत मालिक के लिये आजीवन की समस्या छोड़ जायेगा। 

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