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आदिवासी समाज ने बड़े हर्षो उल्लास के साथ मेघनाद बाबा का किया पूजन अर्चना

आदिवासी समाज ने बड़े हर्षो उल्लास के साथ मेघनाद बाबा का किया पूजन अर्चना


अखिलेश मर्सकोले, प्रदेश संवाददाता
कारापाठा/केवलारी। गोंडवाना समय। 

केवलारी ब्लॉक के आस-पास निवासरत आदिवासी समाज जो आज से कई हजार वर्ष पूर्व से शक्ति को मानने वाले है उनकी आराधना करते है उस शक्ति के भरोसे ही अपना कार्य सफल होता है। वैसे ही तहसील केवलारी के अंतर्गत छिंदा चौकी के समीप आदिवासी गांव ग्राम कारापाठा जहाँ कई वर्षों से मेघनाद बाबा को शक्ति के रूप मानते है उन्हें देवता स्वरूप भगवान पूजते है । 

मेघनाद बाबा का पूजन अर्चना में लगता है पूरा दिन 


जहाँ पूरे देश प्रदेश में होली का पर्व मनाया जाता उस समय आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मेघनाद बाबा के पूजा की तैयारी करते है। यह पूजा पूर्णिमा से प्रारम्भ हो जाता है। ऐसा मान्यता है कि आदिवासी समाज किसी तारिक के आधारित अपना शुभ कार्य नही करते बल्कि तिथि आधारित हर कार्य को सम्पन्न किया जाता है वैसे ही फाग के पूर्णिमा के दिन से मेघनाद बाबा का जगह-जगह अलग-अलग दिन पूजन अर्चना किया जाता है। ग्राम कारापाठा में सुबह से ही गांव सभी गणमान्य नागरिक इस पूजा की तैयारी करते है दो बड़े लकड़ी को खड़ा करते जिसको बड़े ही सावधानी से खड़ा किया जाता है। 
        एक लकड़ी को सीधा खड़ा करते है और दूसरी लकड़ी को आड़े में खड़े कर ऊपर बैठने योग स्थान बनाया जाता है जिसकी ऊँचाई लगभग 25 फीट ऊँची है, सब काम होने के बाद स्नान कर गांव के सभी देवता को होम धूप लगाकर नमन किया जाता। इसके बाद एक घर मे चोक बनाकर बिना खीले का पीढ़ा में एक व्यक्ति को बैठाया जाता है। पुन: फिर उसी स्थान में चोक के सामने होम धूप लगाकर मेघनाद बाबा को उनकी शक्ति का अहवान किया जाता है ततपश्चात चोक में बैठे व्यक्ति में वह शक्ति आती है फिर उसे तैयार किया जाता है दूल्हे के रूप में हल्दी लगाया जाता है गुलाल से तिलक किया जाता है उनके सहयोग के लिए एक सवासा रहता है जो उसके साथ पूरे समय तक रहता है जब तक झूला न झूल ले।
            इस पूरे कार्यक्रम में पूरे समय नगाड़ा बजते रहता है उस नगाड़े की धुन में जिसे शक्ति आती है वह नाचने लगता है। इसके जहाँ स्थान बनाया गया उस स्थान तक वह शक्ति पहुँचती है और फिर उस स्थान में पूजा किया जाता है जब तक उन्हें शक्ति आदेश नही देती तब तक वह ऊपर नही चढ़ते है शक्ति आदेश पर जब वह सीधे लकडी में चढ़ने के लिए बने सुविधा से वह ऊपर चढ़ता है तो ऊपर कुछ सहयोगी पहले से उपस्थित रहते है जो उनको उल्टा लटका कर कपड़े के सहारे बांध दिया जाता है और दूसरा सिरा से रस्सी बंधा रहता है जिसका अंतिम छोर नीचे रहता है जिसे पकड़ कर आस पास दौड़ता है और इस तरह झूला झूलाकर कार्यक्रम को सम्पन्न किया जाता है। 

मेघनाद बाबा के दरबार हर मन्नत होती है पूरी

ऐसा माना जाता है कि मेघनाद बाबा के दरबार मे जिसके सन्तान नही हो पाते है वह महिला वहाँ पूजा अर्चना करने और मेघनाद बाबा से भेंट करने से सन्तान की प्राप्ति होती है । यह एक सत्य रहस्य है पहले भी ऐसा हुआ है इसीलिए इसी विस्वास से जनता की भीड़ लगी रहती है और अपनी मन्नत पूरी होने के बाद भी भेंट करने आते है । मेघनाद बाबा की पूजा अर्चना को जिस विधि विधान करना चाहिए वह सिर्फ आदिवासी समाज जानता है और लोगो की आस्था है कि यह आदिवासियों के देवता है । आज पूजा कर इनसे आने वाले समय मे अच्छी बारिश हो और फसल अच्छा हो जिसके सारे आदिवासी समाज प्रार्थना करते है । 

होली पर्व के उपलक्ष्य में मनोरंजन के लिए झंडा तोड़ने का किया गया कार्यक्रम

ग्राम कारापाठा ब्लॉक केवलारी जिला सिवनी में होली पर्व के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी मनोरंजन के लिए करीब 30 फीट उचाई पर प्रतिभागियों के लिए इनाम बंधा रहता है जिसे ऊपर चढ़कर उस इनाम को प्राप्त करना होता है । झंडा एक लकड़ी का बना होता जिसे नहला धुलाकर अच्छे से तैयार खड़ा किया जाता है । उस इनाम को पाने के लिए आस पास गांव से झंडा तोड़ने के लिए टीम आती है । जानकारी प्राप्त अनुसार इस झंडा को एक समय मे तोड़ नही पाते है अत: इसे तोड़ने के लिए दो दिन लग जाते है इतना चिकनापन किया जाता है इस तरह त्योहार के रूप में आदिवासी समाज प्रतिवर्ष कार्यक्रम करता है । जिसके उपलब्ध में कुछ बाहर के दुकाने भी आती है जिस वजह से आस पास गांव के जनता एक जुट होने से मेले के रूप में आज दिन भव्य हो जाता है ।


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