सार्वजनिक छुट्टियों का आनंद लेने में भारत आगे
भगवंत मान की सरकार ने काम संभालते ही 25 हजार सरकारी नौकरियों की घोषणा कर दी, जिससे कर्ज में डूबे पंजाब पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। अगले दिन कई हजार अस्थाई कर्मचारियों की नौकरी पक्की कर दी। फिर शहीदी दिवस पर छुट्टी की घोषणा कर दी, यानी काम के घंटों का नुकसान। पहले-दूसरे फैसले को फिर भी उचित ठहराया जा सकता है कि चलो कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन छुट्टी करके क्या बताना चाहती है आप सरकार? मान को तो ज्यादा काम करने के मार्ग पर चलना चाहिए, न कि एक नई छुट्टी घोषित करके सरकारी मशीनरी को निकम्मा बनाने के रास्ते पर। सरकारी दफ्तर बंद होने से अंतत: जनता को परेशानी होती है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है। खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है, सो चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा सरकार ने भी छुट्टी कर डाली। यह तो अच्छी बात नहीं है। इससे तो यही संकेत मिलता है कि आम आदमी पार्टी उत्पादकता बढ़ाने के बजाय आरामतलबी में यकीन करती है।
सार्वजनिक छुट्टियों के मामले में भारत को कोलम्बिया से भी ऊपर रखा था
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश का उदाहरण है, जहां भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2017 में कुर्सी संभालते ही 15 सार्वजनिक छुट्टियां रद्द करने की घोषणा कर दी थी। ये छुट्टियां किसी न किसी प्रमुख व्यक्ति के जन्मदिन या पुण्यतिथि को लेकर थीं। इन छुट्टियों को पूर्व की सपा और बसपा सरकारों ने शुरू किया था। योगी का कहना था कि जन्मदिनों की छुट्टियों के कारण स्कूलों में 220 दिन का शिक्षा सत्र सिमट कर 120 दिन का रह गया था। यह एक सच्चाई है कि हम भारतीय दुनिया में सबसे अधिक सार्वजनिक छुट्टियों का आनंद लेते हैं। मर्सर द्वारा 2014 में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत और कोलंबिया में सबसे अधिक सार्वजनिक अवकाश होते हैं, जबकि अमेरिका और मेक्सिको में सबसे कम। एक ट्रेवल पोर्टल होटल्स डॉट कॉम ने 2015 में, सार्वजनिक छुट्टियों के मामले में भारत को कोलम्बिया से भी ऊपर रखा था।
अन्य दिनों के मुकाबले अधिक काम होना चाहिए और उत्पादकता का रिकॉर्ड बनाना चाहिए
भारत में छुट्टियों की अधिक संख्या के कारण उत्पादकता गिरने की चिंता 2003 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने भी जताई थी। उन्होंने छुट्टियों की अधिक संख्या को समग्र आर्थिक विकास में बाधक माना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उम्रदराज होकर भी प्रतिदिन निरंतर काम करते हैं और आज तक उन्होंने एक भी दिन का अवकाश नहीं लिया है।
पंजाब को कर्ज और नशाखोरी से उबारने के लिए अधिक उत्पादक होने की जरूरत है। भगवंत मान को बड़ी उम्मीदों से लोगों ने जिम्मेदारी सौंपी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वह राज्य की उत्पादकता और खुशहाली बढ़ाने में योगदान करेंगे, न कि उसकी पहले से ही खस्ता हालत को और बिगाड़ेंगे।
नई से नई सार्वजनिक छुट्टियां घोषित करने के पीछे राजनीतिक नेताओं की मंशा यह रहती है कि अलग-अलग जातियों और समुदायों को खुश कर दिया जाए ताकि उनके वोट बटोरने में मदद मिले। उस समय वे यह भूल जाते हैं कि निकम्मेपन की कीमत आखिर प्रदेश की जनता को ही चुकानी पड़ती है। होना तो यह चाहिए कि किसी महापुरुष के स्मृति दिवस पर अन्य दिनों के मुकाबले अधिक काम होना चाहिए और उत्पादकता का रिकॉर्ड बनाना चाहिए। खुशी तो तब होती जब शहीदी दिवस पर पंजाब के नेता, अधिकारी और कर्मचारी सामान्य दिनों से अधिक काम करते और बेहतर परिणाम के नये कीर्तिमान स्थापित करते।