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यदि आने वाली पीढ़ी को संरक्षित रखना है, तो देश और दुनिया को आदिवासी संस्कृति की ओर लौटना होगा

यदि आने वाली पीढ़ी को संरक्षित रखना है, तो देश और दुनिया को आदिवासी संस्कृति की ओर लौटना होगा

धरियावद राजस्थान में हुआ 29 वें आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन का आयोजन, देश भर से जुटे लाखों आदिवासी   


अलीराजपुर। गोंडवाना समय। 

आदिवासी एकता परिषद का 29 वां आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन इस बार राजस्थान के धारियावद जिला प्रतापगढ़ में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। जिसमें अलीराजपुर जिले से भी बड़ी संख्या में आदिवासी समाज जन तथा आदिवासी एकता परिषद के शंकर भाई तड़वाल, भीमसिंह मसानिया, भंगुसिंह तोमर, रतनसिंह रावत, केरम सिंह चौहान, करम सिंह किराड़ एवं आदिवासी एकता परिषद महिला प्रकोष्ठ की जिला सचिव गुलाबी तोमर, शारदा चौहान एवं संगीता किराड़ के नेतृत्व में सहभागिता की गई है।

राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष केरम जमरा ने किया देश के युवाओं के नाम संबोधन


आदिवासी एकता परिषद के राष्ट्रीय युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केरम जमरा ने देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी एकता परिषद एक ऐसा वैचारिक आंदोलन है, जो  सन 1994 से देश एवं दुनिया में प्रकति ही जीवन हैं एंव जियों ओर जीनें दो के सिद्धांत के आधार पर आदिवासी एकता, आत्मसम्मान, कला, ज्ञान, परम्परा, इतिहास, स्वालम्बन, सहकार्य एवं प्रकृति सुरक्षा जैसें विषयों को लेकर काम कर रही है। यह वैचारिक आंदोलन घर, गली, मोहल्ले, जिलों, राज्यों तथा देश से निकलकर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) तक पहुंचा है। इसलिए इस वैचारिक आंदोलन को समझने हेतु युवाओं को आदिवासी एकता परिषद के घोषणा पत्र का अध्ययन प्रत्येक युवा को करना चाहिए। आज समाज, राज्यों, देश, एवं दुनिया में एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ मची हुई है। लोग, समाज ओर देश को एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुये है। वर्तमान समय में तीसरे विश्व युद्ध की कयास लगाई जा रही है, यानी पूरी तरस से इस प्रकृति को नुकसान पहुंचाने हेतु परमाणु बम, हाइट्रोजन बम जैसे विनाशकारी आविष्कार तैयार कर लिए है किंतु आदिवासी एकता परिषद प्रकृति ही जीवन है इससें उतना ही लो जितनी आवश्यकता हो। यदि आने वाली पीढ़ी को संरक्षित रखना है, तो देश और दुनिया को आदिवासी संस्कृति की ओर लौटना होगा। 

देश भर के आदिवासी को एक साथ संगठित होकर लड़ाई  लड़नी होगी


श्री जमरा ने कहा आज देश के युवाओ ने बिरसा मुंडा, टंट्या भील, काली बेन, डॉ भीमराव आंबेडकर, जयपाल सिंह मुण्डा  जैसे अनेको जननायकों, क्रांतिकारीयों को पढ़ रहा है और अब जान भी चुका है, उन सभी ने संगठित होकर अन्याय, अत्याचारों, शोषण के खिलाफ संगठित होकर लड़ने की प्रेरणा दी है, इसलिए देश के युवाओं को अब संगठित होकर संविधान में दिए गए संवैधानिक अधिकारों जैसे पाँचवी अनुसूचित, छ: अनुसूचित एवं पैसा एक्ट जैसे अधिकारों को धरातल पर लाने के लिए देश भर के आदिवासी को एक साथ संगठित होकर लड़ाई  लड़नी होगी।    

वरिष्ठ एवं कनिष्ठ कार्यक्रता, विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे थे


कार्यक्रम को एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अशोक भाई चौधरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल जी रावत, राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष अनिता सोलंकी, पूर्वोत्तर राज्यों आसाम के सांसद श्री नम्बा हीरा कुमार सार्डिया काकराझार, नागालैंड के जनरल सेक्रेटरी श्री नुगुराव कुरुमो, दिल्ली से आये निकोलस, राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, शंकरभाई तड़वाल, भवर लाल परमार एवं चौरासी विधायक राज कुमार रोत ने संबोधित किया। इस अवसर पर राजस्थान सरकार के आदिम जाति कल्याण मंत्री, जल संसाधन विकास के केबीनेट मंत्री सहित देश भर से आये अन्य जनप्रतिनिधि, एकता परिषद के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ कार्यक्रता, विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे थे।

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