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आदेगांव प्रेमनगर में किसके संरक्षण में चल रहा है क्लीनिक व मेडिकल स्टोर

आदेगांव प्रेमनगर में किसके संरक्षण में चल रहा है क्लीनिक व मेडिकल स्टोर 


अरविंद परवारी, संवाददाता
आदेगांव। गोंडवाना समय। 

आदिवासी बाहुल्य आदेगांव क्षेत्र में इन दिनों झोला छापों का अड्डा बना हुआ है। इस कस्बा गांव में झोलाछाप डॉक्टर प्राक्टिस धड़ल्ले से कर रहे हैं और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। चाहे वह है बीमारी कितनी भी बड़ी क्यों ना हो यह हाथ डालने से बाज नहीं आते और अंत में जब मरीज ठीक नहीं होता तो अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और बहुत अच्छी बात यह है कि यह ठेका पद्धति से इलाज करते हैं आखिर इनका हुलिया देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पढ़े-लिखे डॉक्टर हैं या झोलाछाप डॉक्टर हैं।

आखिर इन्हें किसने दिया है परमिशन जो अपने मकान में एक बोर्ड नुमा फ्लेक्श लगाकर  बैठे हैं जिसमें साफ शब्दों में लिखा है लिखा है जन स्वास्थ्य रक्षक यह शासन की कौन सी योजना है जिसमें इन्हें खुले रूप से क्लीनिक और मेडिकल स्टोर चलाने का अधिकार देती है, जबकि बोर्ड में इनका रजिस्ट्रेशन नंबर 8517 और डिग्री भी साफ शब्दों में लिखी है बी.ई.एम. एस. जबकि सूत्र बताते हैं कि ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन स्वास्थ्य विभाग में नहीं होता है और ना इन्हें इलाज करने का हक देता है।

लूट की दुकान चलाने के साथ इंसान की जान से कर रहे खिलवाड़ 


बावजूद इसके यह डॉक्टर डेहरिया चला रहे हैं अपने लूट की दुकान और बेच रहे हैं ओने पौने दाम पर दबाईयां जबकि दबाईयां बेचने के लिए मार्केट में खुले रुप से संचालित हो रहे हैं। मेडिकल स्टोर तब क्या इन डॉक्टरों को दवाइयां रखने और बिक्री करने का अधिकार देता कौन है जबकि वही एक और देखा जाए तो यह झोलाछाप डॉक्टर खुद इलाज करता है और खुद के पास से दवाईयां देता है। अब यह यह डॉक्टर है या मेडिकल संचालक यह कह पाना बहुत मुश्किल है अगर जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा इस फर्जी डॉक्टर डेहरिया की जांच की जाती है तो निश्चित ही लोगों के जीवन से खिलवाड़ नहीं होगी। 

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